न्यू वर्ल्ड ऑर्डर का जो अगला लक्ष्य है वो है गिग इकनॉमी....पीएम मोदी भी कह चुके हैं, 'कोरोना के बाद एक नई विश्व व्यवस्था उभर रही है, रोजगार के संदर्भ में यह व्यवस्था गिग इकनॉमी ही है
गिग इकॉनमी में कंपनी द्वारा तय समय में प्रोजेक्ट पूरा करने के एवज़ में भुगतान किया जाता है, इसके अतिरिक्त किसी भी बात से कंपनी का कोई मतलब नहीं होता।
जोमैटो स्विगी ओला ऊबर यह सब गिग इकनॉमी के उदाहरण है जिसे आज समाज मे तेजी से स्वीकृति मिल चुकी है लेकिन अब इसका स्वरूप ओर भी अधिक विस्तारित किया जा रहा है.....कोरोना में वर्क फ्रॉम होम का कल्चर डेवलप हो चुका है अब नेक्स्ट स्टेप है कि नियमित नोकरियों को खत्म कीजिए और प्रोजेक्ट बेसिस पर काम कराइये,
देश की बड़ी म्यूचुअल फँड कंपनी निप्पोन असेट मैनेजमेंट कंपनी ने पिछले साल ही इस तरह की व्यवस्था की है। यानी उसके कर्मचारी चाहें तो वे घर से या कहीं से भी काम करें और इस तरह की गिग इकोनॉमी में आ जाएं। वे चाहें तो कई कंपनियों में साथ भी काम कर सकते हैं।
बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) की रिपोर्ट के मुताबिक, इन नौकरियों के बल पर देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP में 1.25% की बढ़त हो सकती है, एक अनुमान के मुताबिक लगभग इस तरह की टेम्परेरी 9 करोड़ नौकरियां पैदा हो सकती हैं।
दरअसल गिग इकॉनमी अनौपचारिक श्रम क्षेत्र का ही विस्तार है, जो लंबे समय से प्रचलित और अनियंत्रित है, इसमें कामगारों को कोई सामाजिक सुरक्षा, बीमा आदि की सुविधा नहीं मिलती है
रोजगार के ऐतिहासिक संदर्भ को यदि हम देखते है तो पाते हैं कि ......एम्प्लॉयमेंट 2.0 का दूसरा दौर मशीनीकरण से आरंभ हुआ जब बड़े बड़े उद्योग लगना शुरू हुए और वहाँ बड़ी बड़ी मशीनों के माध्यम से काम होने लगा ,इसके लिए ट्रेंड स्किल की आवश्यकता महसूस हुई
एम्प्लॉयमेंट 3.0 कंप्यूटर एवं सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और स्वचालित मशीनों पर आधारित था।लेकिन अब आफ्टर कोरोना एम्प्लॉयमेंट 4.0 का युग आ गया है यह अनवरत इंटरनेट कनेक्टिविटी, रोबोटिक्स, आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस, नैनो टेक्नोलॉजी और वर्चुअल रियलिटी पर आधारित है।
अतः कंपनियों को अब वैसे ही लोगों की ज़रूरत पड़ेगी जो इनमे विशेष रूप से दक्ष हैं और जिनसे प्रोजेक्ट बेसिस पर काम लिया जा सकता है।
कल ही एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2025 तक हर 10 में 6 लोगों को नौकरी गंवाना पड़ सकता है. इसकी वजह काम में मशीनों और इंसानों द्वारा काम में लगने वाले समय को बताया जा रहा है.
'ऊबराइजेशन', यह एक नया सूत्रवाक्य है जो आफ्टर कोरोना वर्ल्ड में रोजगार का पूरा परिदृश्य बदल सकता है। वर्कफोर्स का 'ऊबराइजेशन' होने जा रहा है ....
मोदी सरकार आपको रोजगार नही दे पाएगी अब ऊबराइजेशन के लिए तैयार रहिए।
गिरीश मालवीय
( Girish Malviya )
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