Monday, 30 May 2022

डायर्मेड मक्कलक / ईसाइयत का इतिहास - अ हिस्ट्री ऑफ़ क्रिश्चियनिटी (7)

अब हम लोग बेथलहम आते हैं. जहाँ कहा जाता है, जोशुआ का जन्म एक अस्तबल में हुआ था क्योंकि सराय में जगह नहीं थी. जोशुआ के जन्म, उनकी मृत्यु और क्राइस्ट के पुर्नोत्थान (रेज़रेक्शन) के वर्णन हमें उनके चार प्रमुख शिष्यों, मैथ्यू, ल्यूक, जॉन और पॉल,के लिखे वृतांतों से मिलते हैं. ये वृत्तांत गॉस्पेल कहलाते हैं. इस शब्द का मूल भी यूनानी भाषा में है 'एवंजेलिओन', जिसका अर्थ है अच्छी खबर. लैटिन विद्वानों ने इसे लगभग हू-ब-हू अपनाकर 'एवंजेलियम' कह दिया. इंग्लैंड के ऐंग्लो-सैक्सन अध्येताओं ने यूनानी शब्द के अर्थ पर एक अंग्रेजी शब्द गढ़ा, 'गॉडस्पेल' और वापस मौलिक अर्थ पर आ गए. यही गॉडस्पेल कालांतर में गॉस्पेल बना और हिंदी में इसे 'सुसमाचार' कहने लगे जो यूनानी मूल का शाब्दिक अर्थ है.

ऊपर लिखे चार सुसमाचारों में बस दो, मैथ्यू और ल्यूक, में जीसस के बेतलहम के अस्तबल में, हेरोड के शासन काल के अंतिम दिनों में जन्म लेने का प्रसंग आया है. लेकिन चारो सुसमाचारों को ध्यान से पढ़ने पर यह पूरी तरह स्थापित नहीं होता. जॉन का सुसमाचार कहता है, जीसस के वयस्क होने पर जब कुछ यहूदी उन्हें मसीहा बताने लगे थे, तब बहुतों ने इस पर यह कहते हुए आपत्ति की थी कि पैगम्बर (प्रॉफ़ेट) मिकाह के अनुसार यहूदियों के मसीहा को बेतलहम में आना था लेकिन जीसस बेतलहम क्या जूडेआ के भी नहीं थे, वे उत्तर में स्थित गलीली के थे. 

ध्यातव्य है कि चारो सुसमाचार, वे दो भी जो कहते हैं कि जीसस का जन्म बेतलहम में हुआ है, बताते हैं कि वे गलीली क्षेत्र के एक गाँव नज़रेथ के रहने वाले थे. मैथ्यू और ल्यूक में आये जन्म के प्रसंग को छोड़कर कहीं कोई संदर्भ नहीं मिलता कि जीसस बेतलहम के थे, जैसा मिकाह के अनुसार मसीहा को होना था.

ल्यूक के सुसमाचार में जीसस के जन्म के अधिक विस्तृत विवरण हैं. इसके अनुसार जीसस के माता पिता को एक रोमन आदेश का पालन करने क्रम में उन दिनों, जीसस के जन्म के ठीक पहले, नज़रेथ से बेतलहम जाना पड़ गया था. ल्यूक कहते हैं, रोमन एक एक कर-सम्बंधित जनगणना करा रहे थे और चूंकि जीसस के पिता जोसेफ़ यहूदियों के दूसरे राजा डेविड के वंशज थे, इसलिए उन्हें बेतलहम जाने का फरमान मिला था. इसके समर्थन में कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिलते. 

पहली बात तो यह कि जूडेआ कोई रोमन प्रांत नहीं था, वह एक मांडलिक राजा हेरोड का राज्य था. दूसरी, यदि उस समय ऐसी जनगणना हुई होती तो उसके प्रमाण पूरे भूमध्य क्षेत्र में छितराए मिलते. ऐसी जनगणना वास्तव में हुई थी, लेकिन 6 ई. में और उसके पर्याप्त ऐतिहासिक प्रमाण भी मिलते हैं. तब अधिक संभावना यह है कि ल्यूक से, जो घटना की आधी सदी के बाद अपना सुसमाचार लिख रहे थे, भूल हुई. और तब लगता है, शायद, जीसस का जन्म बेतलहम में नहीं हुआ हो.

एक स्वाभाविक प्रश्न है, यदि जीसस का जन्म बेतलहम में नहीं हुआ था तो दो सुसमाचारों में ऐसा लिखने की क्या जरूरत थी. एक कारण यह यह हो सकता है कि इस तरह मसीहा के बारे में मिकाह की भविष्यवाणी जीसस पर लागू हो सके. ईसाई विश्वास यह भी है कि बेतलहम में जीसस के जन्म का बहुत अधिक, सृष्ट्यात्मक  प्राय महत्व है. 

बेतलहम में जन्म की बात करने के बाद मैथ्यू और ल्यूक के सुसमाचारों में कुछ भिन्नताएं आती हैं. मैथ्यू कहते हैं कि ईश्वरीय सन्देश पाकर हत्यारे राजा हेरोड से शिशु जीसस को सुरक्षित रखने के लिए तीनो, जोसेफ़, मेरी और जीसस, मिश्र चले गए थे और तब तक वहीँ रहे जब तक हेरोड की मृत्यु नहीं हो गयी और उन्हें वापस पैलेस्टीन लौटने के ईश्वरीय सन्देश नहीं मिले. यह भी एक पुरानी यहूदी भविष्यवाणी - मैं अपने पुत्र को मिश्र से बुलाऊंगा - को पूरी करती बात दीख रही है. 

यह प्रसंग ल्यूक में नहीं है. मैथ्यू और ल्यूक दोनों जोसेफ़ के पूर्वजों के नाम गिनाते हैं. डेविड के नाम दोनों ने गिनाएं हैं किन्तु दोनों सुसमाचारों में वर्णित वंशावलियों में बहुत भिन्नताऐं है.

जीसस के जन्म से सम्बंधित एक महत्वपूर्ण बात है मेरी के कौमार्य की. इसके मूल में मैथ्यू के सुसमाचार में उद्धृत, पहले यहूदी प्रॉफ़ेट यशायाह के कथन का यूनानी अनुवाद जो यूनानी बाइबिल सेप्टुअजिंट (देखें अ हिस्ट्री ऑफ़ क्रिश्चियनिटी 5) से लिया गया है: "देखना, एक कुमारी गर्भवती होगी और एक बेटे को जन्म देगी जिसका नाम होगा एमैनुएल". 

तनख में संकलित हिब्रू रूप में यशायाह 'एक युवती' के गर्भवती होने और बेटे को जन्म देने की बात करते हैं. सेप्टुअजिंट में हिब्रू 'युवती' के लिए यूनानी 'कुमारी' (पार्थेनॉस) का प्रयोग किया गया है और शायद यहीं से यह ईसाई विश्वास पनपा कि मेरी कुंवारी थीं. ईसाई विश्वास यह भी है कि मेरी आजन्म कुंवारी ही रहीं. किन्तु बाइबिल में जीसस के भाइयों और उनकी बहनों के स्पष्ट उल्लेख हैं (लेखक ने संदर्भ नहीं दिए हैं) और जीसस के वे भाई बहन पवित्र आत्मा (होली घोस्ट) से नहीं आ सकते इसलिए मेरी का आजन्म कौमार्य शायद कुछ भाष्यकारों द्वारा बनाया एक मिथक है.

(नोट: ऊपर अनेक बातें ऐसी हैं जिन पर श्रद्धालु ईसाइयों को घोर आपत्ति हो सकती है. उनसे क्षमा मांगते हुए कहना है कि इन बातों पर अपना मंतव्य देने का मुझे कोई अधिकार नहीं है. मैं बस इस पुस्तक का सार संक्षेप हिंदी में लिख रहा हूँ. दूसरी बात, आज इसे पढ़ कर मैं बहुत देर तक उधेड़बन में रहा कि इसे लिखूं या छोड़ दूँ. सब कुछ सोच कर मुझे लिखना उचित लगा. इसे लिख कर जिन किसी को कष्ट पंहुचाया है उनसे क्षमा मांग रहा हूँ.)
(क्रमशः) 

~ सचिदानंद सिंह Sachidanand Singh जी की टाइमलाइन से। 
#vss 

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