Thursday 12 May 2022

प्रवीण झा / रोम का इतिहास - दो (3)

(चित्र: Young Caesar नामक ओपरा से एक दृश्य)

सफलता एक प्रक्रिया है। शायद ही कोई सुपरमैन रूप में पैदा होता हो। जैसे साधारण लोग सीढ़ियों से चढ़ते हुए, संघर्ष करते हुए, ऊपर पहुँचते हैं, वैसे ही जूलियस सीज़र भी पहुँचे। सुल्ला द्वारा सब कुछ छीने जाने के बाद युवा सीज़र के पास न धन था, न शक्ति, न विद्वता, न ही सैन्य-कौशल। उन्होंने एक-एक कर यह चीजें हासिल की। 

वह रोम नगर छोड़ कर पश्चिम एशिया चले आए, और वहाँ के राज्यपाल (गवर्नर) थर्मस के अंतर्गत एक सैनिक रूप में बहाल हुए। चूँकि उनके परिवार की थोड़ी-बहुत इज्जत अब भी बाकी थी, तो वहाँ ठीक-ठाक उत्तरदायित्व मिल गया। वहीं उन्होंने पार्ट-टाइम कविताएँ गढ़ना और भाषण देने की कला सीखनी शुरू की। यह गुण नैसर्गिक कहा जा सकता है। उस काल के इतिहासकार सूटोनियस के अनुसार सीज़र को सुनने मंडली जुट जाया करती थी।

वहीं सीज़र एक विवाद में फँस गए, जो जीवन भर उन पर चुटकुलेबाजी का कारण बना।

क़िस्सा यूँ कि रोमन साम्राज्य लेस्बस (Lesbos) नामक द्वीप पर कब्जा चाहता था। मगर वहाँ के शासक कड़ी टक्कर दे रहे थे। उस इलाके में बितिनिया (आज तुर्की का हिस्सा) के राजा निकोमेडस चतुर्थ की नौसेना शक्तिशाली थी।

राज्यपाल थर्मस ने जूलियस को बुला कर कहा, “तुम्हारे पिता और चाचा, दोनों बेहतरीन वक्ता थे, और इस क्षेत्र की समझ थी। आज वक्त आ गया है कि तुम उनका भार संभालो और राजा निकोमेडस को समझा-बूझा कर मनाओ।”

अमूमन दूत संदेश लेकर जाते और लौट आते। लेकिन, सीज़र तो वहीं उनके दरबार में बस गए। जब उन्हें वापस बुलवाया गया, तो वह फिर से कुछ बहाना बना कर वापस पहुँच गए। किसी ने अफ़वाह उड़ा दी कि जूलियस और निकोमेडस में समलैंगिक प्रेम स्थापित हो गया है। अब इसमें चाहे जितनी भी सच्चाई हो, इस संबंध का नतीजा यह हुआ कि नौसेना मिली और लेस्बस द्वीप* पर क़ब्ज़ा भी हो गया। हालाँकि सीज़र कई स्त्रियों से संबंध के लिए जाने गए, लेकिन यह समलैंगिक संबंध भी कई नाटकों और ओपरा का विषय बना। 

जब ईसा पूर्व 78 में सुल्ला चल बसे, तो जूलियस सीज़र को लगा कि अब रोम उनके लिए सुरक्षित है। उन्हें मालूम था कि अगर रोम की गद्दी तक पहुँचना है, तो वहाँ पैठ बनाना ज़रूरी है। वहाँ पहुँच कर उन्होंने क्या किया, यह पक्का कहना कठिन है। सेना में तो खैर नहीं थे। कयास लगते हैं कि अपनी वाक्पटुता के कारण वह वकालत के व्यवसाय से जुड़े। कम से कम एक विवरण मिलता है कि उन्होंने एक भ्रष्ट गवर्नर के ख़िलाफ़ मुकदमे में सहयोग दिया।

ग्रीक दार्शनिक प्लूटार्क ने अपनी पुस्तक ‘पैरलल लाइव्स’ में एक रोचक क़िस्सा लिखा है, जो सीज़र के चरित्र को दर्शाता है। ईसा पूर्व 75 में पच्चीस वर्षीय सीज़र एक जहाज पर बैठ कर वाक्-कौशल (oratory) अध्ययन के लिए रोड्स द्वीप जा रहे थे। तभी एजियन सागर में समुद्री लुटेरों ने घेर कर उन्हें बंदी बना लिया। इस प्रकरण से लगता है कि वह ज़रूर कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति होंगे, तभी यह अपहरण किया गया। 

सीज़र किसी रोमन अभिजात्य की तरह सीना ताने उन लुटेरों से बतियाते रहे। चुटकुले सुनाते। अपनी कविताएँ भी सुनायी! जब लुटेरों ने कहा कि वह रोमनों से बीस टैलेंट (मुद्रा) की फिरौती माँग रहे हैं, तो सीज़र ने कहा

“सिर्फ़ बीस? तुम लोगों ने मेरी यही कीमत लगायी? कम से कम पचास टैलेंट माँगो। लेकिन, इतना ध्यान रखो कि मैं अगर छूट गया तो तुम सब को सूली पर लटका दूँगा।”

वे लुटेरे हँसने लगे कि यह क्या कर लेगा। खैर, फिरौती आयी, सीज़र छूटे। एक महीने बाद वाकई सीज़र एशिया से एक नौसेना लेकर लौटे और उन सब को पकड़ कर सूली पर लटका दिया!

ऐसी किंवदंतियाँ सच लगने लगती है, जैसे-जैसे हम सीज़र के जीवन में आगे बढ़ते हैं। एक ‘कूल’ दिमाग का, ऊँचे स्वर में बात करने वाला व्यक्ति, जो हारी हुई बाज़ी जीतने की कला जानता है। 
(क्रमश:) 

प्रवीण झा
© Praveen Jha

रोम का इतिहास - दो (3)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2022/05/2.html
#vss 

*लेस्बियन शब्द इसी द्वीप के नाम से जन्मा है, और आज भी यह क्षेत्र समलैंगिक महिलाओं का तीर्थ जैसा माना जाता है

(चित्र: Young Caesar नामक ओपरा से एक दृश्य)

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