Friday, 20 May 2022

प्रवीण झा / रोम का इतिहास - दो (11)


“ब्रूटस, तुम भी? 
[Et Tu, Brute?]

- शेक्सपीयर के जूलियस सीज़र पर आधारित नाटक में खंड 3, दृश्य 1

ब्रूटस उन लोगों में थे जिनको जूलियस सीज़र ने फार्सेलस के युद्ध में क्षमा-दान दिया था और ऊँची पदवी दी थी। वह उन ब्रूटस के वंशज भी थे जिन्होंने रोम में गणतंत्र की स्थापना की थी। इस कारण वह स्वयं को गणतंत्र के रक्षक मानते थे।

ब्रूटस के साथ सिनेट के तमाम कुलीन जमा हुए, और स्वयं को ‘मुक्तिवाहक’ (Liberators) कहते हुए उन्होंने जूलियस सीज़र और उनके सिपहसलार मार्क एंटनी के वध की योजना बनायी। ब्रूटस ने समझाया कि एंटनी को मारने का कोई प्रयोजन नहीं, न्याय सिर्फ सीज़र के साथ ही हो।

ईसा पूर्व 44 में जूलियस सीज़र ने अपने स्पैनिश अंगरक्षकों को छुट्टी दे दी और कहा, “मैंने प्रकृति और यश-अर्जन, दोनों रूपों से अब बहुत जी लिया। अब मैं किसी भय से नहीं जीना चाहता। लेकिन, अगर मेरी हत्या होती है तो रोम में गृह-युद्ध होगा। यहाँ की जनता मुझे मरने के बाद भी मरने नहीं देगी।”

वसंत का महीना था। नयी कोपलें फूटी थी। हर साल की तरह उत्सव का माहौल था। उन्हें एक भविष्यवक्ता ने कहा था कि वसंत पूर्णिमा के दिन उनकी मृत्यु होगी। शेक्सपियर ने इस दृश्य का मशहूर नाटकीकरण किया जब भीड़ में से कोई फुसफुसाता है, 
“मार्च की पूर्णिमा से बच कर रहिए”
[Beware the ides of March!]

इतिहास में वर्णित है कि सीज़र ने उन भविष्यवक्ता को उस दिन मुस्कुरा कर कहा, “पूर्णिमा का दिन तो आ गया, मैं अब भी जीवित हूँ”
उन्होंने कहा, “सीज़र! अभी दिन बीता कहाँ है?”

अब मैं इतिहासकार प्लूटार्क के वर्णन का अनुवाद लिखता हूँ,
“सीज़र के प्रवेश के साथ ही सिनेट सदस्य खड़े हो गए, और उन्हें घेर लिया। षडयंत्रकारियों ने टिलियस सिम्बर को सीज़र के पास अपने भाई के लिए क्षमा-दान माँगने भेजा। उनके साथ बाकी सदस्य भी सीज़र से विनती करने लगे, और उनके हाथ चूमने लगे। पहले तो सीज़र ने उन्हें यूँ पास आने से मना किया, लेकिन जब वे नहीं रुके, तो सीज़र बलपूर्वक धक्का देकर खड़े हो गए।

टिलियस ने उनका कंधा पकड़ कर उनका वस्त्र फाड़ दिया। सीज़र के पीछे खड़े कास्का ने अपनी तलवार निकाल कर पहला वार कंधे पर किया, लेकिन यह जख्म गहरा नहीं था। सीज़र ने उनकी तलवार छीनते हुए कहा- कास्का! तुम यह क्या कर रहे हो?

कास्का ने घबरा कर ग्रीक में अपने भाई को आवाज दी। इतने में बाकी लोगों ने एक-एक कर चाकू घुसेड़ना शुरू किया। घायल सीज़र उस भीड़ से निकल कर आगे बढ़ रहे थे और तभी उन्होंने देखा कि ब्रूटस सामने तलवार लेकर खड़े हैं। सीज़र उन्हें देखते ही जमीन पर बैठ गये, अपना सर कपड़े से ढक लिया, और पीठ झुका कर समर्पण कर दिया। षडयंत्रकारियों ने इस झुके हुए सीज़र को चाकूओं और तलवारों से बींध दिया।”

इतिहासकार सूटोनियस इसी घटना में जोड़ते हैं कि जब सीज़र ने अपने सामने ब्रूटस को देखा तो ग्रीक में कहा, 
“तुम भी? मेरे बच्चे!” 
[Kai Su, Teknon!]

जूलियस सीज़र मर चुके थे। अब उनकी भविष्यवाणी सत्य होने का वक्त था। गृह-युद्ध।

सीज़र को मार कर हाथ में रक्त-रंजित चाकू लेकर तमाम हत्यारे बाहर सड़क पर आए और जनता से कहा, “अब आप लोग आज़ाद हैं। सीज़र मर चुका है।”

यह सुन कर जनता खुश होने के बजाय भड़क गयी, और उन्हीं पर टूट पड़ी। वे वापस भाग कर छुप गए। सीज़र के प्रधानमंत्री एंटनी और लिपिडस उस समय रोम से बाहर थे। वे खबर सुनते ही अपनी सेना लेकर रोम आए और सिनेट को घेर लिया। ब्रूटस और अन्य षडयंत्रकारी उनके समक्ष आए और अपना पक्ष रख कर कहा कि उनसे कोई शत्रुता नहीं है, यह सिर्फ़ गणतंत्र की रक्षा के लिए आवश्यक था।

एंटोनी, जूलियस सीज़र की लाश लेकर उसे दफ़नाने आए, और एक विशाल भीड़ के समक्ष सीज़र के खून से सने वस्त्र लहराते हुए कहा, “ये खून से सने कपड़े हमारे सीज़र के हैं, और इनकी हत्या किसी तर्क से हुई है। ब्रूटस और तमाम बुद्धिजीवी ऐसा कह रहे हैं, तो शायद ठीक कह रहे हों। लेकिन, हमें स्मरण रहे कि यह हम सबके प्रिय सीज़र थे।”

एक विशाल वेदी पर सीज़र के शव को जलाया गया, और इस दहकती आग को देख कर जनता का गुस्सा उमड़ पड़ा। वे वहीं से जलती लकड़ियाँ उठा कर रोम की सड़कों पर निकल पड़े, और षडयंत्रकारियों के घर जलाने लगे। एक तो सिन्ना नामक ऐसे व्यक्ति को जला दिया, जो स्वयं षडयंत्र में शामिल भी नहीं थे। ब्रूटस डर कर रोम छोड़ कर भाग गए।

सीज़र की मृत्यु से छिड़े इस गृह-युद्ध का हल न एंटनी थे, न लिपिडस, इसका हल थे स्वयं सीज़र। अपनी मृत्यु से पूर्व सीज़र ने अपनी बहन के पौत्र को अपना दत्तक-पुत्र घोषित कर दिया था। सिसरो इस पूरे षडयंत्र में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं थे, लेकिन वह खतरा भाँप चुके थे। 

उन्होंने लिखा, “सीज़र की हत्या का काम रोम के लिए अच्छा हुआ। किंतु अधूरा हुआ।”

उन्नीस वर्ष का वह युवक ऑक्टावियस सीज़र अपने पिता की जलती वेदी के सामने बहुत बारीकी से उन शत्रुओं पर ग़ौर कर रहा था, जैसा कभी स्वयं जूलियस सीज़र ने किया था। गणतंत्र का वास्तविक अंत उसी के हाथों लिखा था। 
(क्रमशः)

प्रवीण झा
© Praveen Jha

रोम का इतिहास - दो (10)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2022/05/10.html  
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