Friday 27 May 2022

प्रवीण झा / रोम का इतिहास - दो (18)

कलिगुला की छवि एक पागल और सनकी राजा की है। अनुमान लगते हैं कि किसी बीमारी के बाद वह अजीबोग़रीब हरकतें करने लगे। बीमारी के दौरान ही एक सिनेटर अफ्रैनियस ने चापलूसी करते हुए कहा, “सीज़र! आपके जीवन के लिए मैं जान देने को भी तैयार हूँ”

कलिगुला ने कहा, “ठीक है। इनकी जान यहीं ले ली जाए।”

अफ्रैनियस को मार दिया गया। उन्होंने अपने सौतेले भाई गेमेलस (टाइबेरियस के पोते) और शाही सेनापति मैक्रो को भी मरवा दिया। जो भी विरोध करता, उसे तो खैर मरवा ही देते। उनकी सनक के कई आयाम थे। 

कलिगुला स्वयं गंजे थे, तो जिनके भी अच्छे बाल देखते, उनका आधा सर गंजा करवा देते। अपनी बहन की मृत्यु पर उन्होंने रोम में हँसने पर पाबंदी लगा दी थी, और जो भी हँसते हुए पाया जाता, उसे मृत्युदंड दे दिया जाता। वह स्वघोषित भगवान बन गए। अपना एक कलिगुला पंथ बना लिया, और अपने मंदिर बनवा लिए। हद तो यह कि पहले से उपस्थित देवी-देवताओं की मूर्तियों के सर काट कर अपने सर की मूर्ति लगा दी।

उनकी इन हरकतों से जनता नफ़रत करने लगी थी। जब उन्हें मालूम पड़ा तो ठहाके लगाते हुए कहा, “जब तक वे मुझसे डरते हैं, करने दो नफ़रत! जो मुझसे नहीं डरता हो, उसे मार दो।”

उनके पूर्व रहे राजा टाइबेरियस भले ही कमजोर थे, लेकिन उन्होंने रोम का खजाना अपनी कंजूसी से भर दिया था। कलिगुला ने अपनी इन अय्याशियों पर सरकारी खजाने खाली कर दिए। वह कहते कि अगर राजा भी कंजूस हो, तो राजा काहे का? (‘A man must either be frugal or a Caesar’ - सूटोनियस लिखित क्रोनिकल में)

उनके पिता जितने ही वीर और कुशल जनरल रहे, कलिगुला उनके विपरीत युद्धभूमि में भी चद्दर तान कर सोने वाले हुए। एक क़िस्सा है कि ब्रिटेन के गॉल (सेल्टिक) ने रोमन साम्राज्य से बग़ावत कर अपनी सत्ता पुन: स्थापित कर ली थी। कलिगुला वहाँ सेना लेकर गए। यूरोप के पश्चिमी तट पर समंदर किनारे उन्होंने अपने सैनिकों को कहा, “ब्रितानिया में क्या रखा है? असली खजाना तो यहाँ रेत में है। तुम लोग यहाँ बिछी सारी सीपियाँ चुन कर जमा करो। यह समुद्र का ख़ज़ाना है।”

वह इन सीपियों से भरे झोले लेकर रोम आए, और जनता के मध्य प्रदर्शित किया कि हम यह खजाना लूट कर आए हैं! जनता अब इस शहंशाह के पागलपन से पक चुकी थी।

41 ई. में एक दिन अपने महल की मुंडेर पर बैठे वह शाही खेल देख रहे थे। उन्होंने देखा कि सैनिकों के एक प्रतिनिधि कैसियस उनकी ओर आ रहे हैं, तो हँसते हुए कहा, “आओ कैसियस! तुम्हारी लड़कियों जैसी आवाज़ सुनना भी एक मनोरंजन है”

कैसियस ने करीब आकर कलिगुला को छुरा भोंक दिया। इसके साथ ही आस-पास खड़े अन्य कुलीनों ने भी छुरा भोंकना शुरू किया। जूलियस सीज़र की ही तरह, लेकिन अधिक नाटकीय अंदाज़ में यह घटना हो रही थी। सामने मैदान में खेल चल रहा था, और वहीं ऊपर मंच पर राजा को छुरे भोंके जा रहे थे। जनता के लिए तो यह खेल अधिक रोमांचक था, जब उनका यह सनकी राजा मारा जा रहा था। यह खेल अधिक वीभत्स होता गया, जब उनकी पत्नी और बच्चे को भी सार्वजनिक मृत्यु दी गयी।

तभी उन्होंने पर्दे के पीछे छुपे कलिगुला के चाचा क्लॉडियस को देखा। वह परिवार के बदसूरत और मंदबुद्धि माने जाने वाले व्यक्ति थे, तो उनको सार्वजनिक जीवन से दूर रखा जाता। उनकी नाक बहती रहती, बेढंग हँसी हँसते, शरीर खुजलाते रहते। लेकिन, वह इतने बेवकूफ़ भी नहीं थे। 

जब उन्हें पकड़ने गए तो उन्होंने कहा, “मुझे मत मारो। मैं पंद्रह हज़ार मुद्राएँ अभी के अभी दे सकता हूँ।”

घूस खाकर उन कुलीनों ने क्लॉडियस को मंच पर लाया, और जनता के समक्ष कहा, “हमारे नए सीज़र क्लॉडियस का स्वागत कीजिए!”

आश्चर्यजनक रूप से क्लॉडियस एक ठीक-ठाक काबिल शासक रहे, और उन्होंने ही 43 ई. में ब्रिटेन पर निर्णायक विजय दिला कर उसे पूरी तरह रोमन साम्राज्य का हिस्सा बनाया। वहाँ की भाषा लैटिन बनायी गयी, रोमन संस्कृति और शिक्षा लायी गयी। 

धीरे-धीरे वे असभ्य माने जाने वाले सेल्टिक मूल के लोग भविष्य के ‘सभ्य अंग्रेज़’ बनने लगे।
(क्रमशः) 

प्रवीण झा
© Praveen Jha 

रोम का इतिहास - दो (17) 
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2022/05/17_26.html 
#vss

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