यीशु का जन्म होना या उनका होना इतिहासकारों के लिए पहेली रही है। लेकिन, एक बात पर सहमति है कि यूनानी, मिस्र और रोमन साम्राज्यों के बहुदेववाद के मध्य कुछ एकेश्वरवाद की पौध मौजूद थी। ये कितने लोग थे, किस तरह अपने संप्रदाय को बचा कर रख रहे थे, यह कहना कठिन है।
अगर धार्मिक मान्यताओं से एक खाका बनाए तो आदम के बाद अब्राहम और अब्राहम के बाद याकूब (Jacob) के वंशजों के बारह कबीलों ने मिल कर एक इज़रायल प्रांत बसाया। अन्य मान्यता यह है कि याकूब के एक पुत्र यहूदा (Juda) ने अपने समर्थक कबीलों के साथ ‘यूदाया’ (Judea) प्रांत बसाया। रोमन इतिहासकारों ने सिर्फ़ यूदाया प्रांत का ज़िक्र किया है, तो मैं यहाँ इज़रायल न लिख कर यूदाया ही लिखता हूँ।
आगे मान्यता यह है कि मिस्र के फराओ के समय मूसा का ‘यहोवा’ (ईश्वर) से साक्षात्कार हुआ, तो उन्होंने इस प्रांत के कबीलों को ईश्वर से मिले दस आदेश दिए। पहला आदेश यह था कि तुम मेरे अलावा किसी ईश्वर को नहीं पूजोगे। दूसरा आदेश यह था कि तुम मेरी किसी तस्वीर या मूर्ति को नहीं पूजोगे। इसके अतिरिक्त आठ और आदेश थे जो Ten commandments कहलाते हैं।
यह खाका सिर्फ़ इसलिए रखा कि रोमन साम्राज्य में एकेश्वरवाद के होने की एक पृष्ठभूमि मिले। इन मान्यताओं पर वाद-विवाद भिन्न-भिन्न धर्मशास्त्री करें, मैं पुन: वैज्ञानिक इतिहास पर लौटता हूँ।
इस यूदाया प्रांत पर अलग-अलग समय क्रमशः बेबिलोन, असिरिया, फ़ारस, यूनानी (सिकंदर आदि), और रोमन आधिपत्य रहा। इनमें से फ़ारस के जरथुष्ट्र संप्रदाय (पारसी) के अतिरिक्त बहुधा मूर्तिपूजक और बहुदेववादी थे। मुमकिन है सत्ता के अभाव में इनके लिए एकेश्वरवाद बचाना कठिन रहा होगा। रोमन साम्राज्य में ये मौजूद थे, और लिखित इतिहास में ‘लाइमलाइट’ मिलना भी शुरू हुआ।
ऑक्टावियन सीज़र के समय जब रोम का शांति-काल आया, तो इनमें प्रतिभाशाली लोगों ने रोम नगर में प्रवास शुरू किया। ये उद्यमी और पूँजी की समझ वाले लोग थे, तो समृद्ध क्षेत्रों में इनकी पैठ जल्दी बन जाती। उन दिनों इनके यूदाया प्रांत में सीज़र ने राजा हिरोड को बिठा रखा था।
मान्यता है कि उन्हीं राजा हिरोड के समय बेथलहम में यीशु का जन्म हुआ। इसमें एक ट्विस्ट यह भी है कि राजा हिरोड को बताया गया कि बेथलहम में भविष्य के राजा का जन्म हो रहा है। यह सुन कर उन्होंने कई शिशुओं को मरवा दिया। मगर, यह बात भी ऐतिहासिक नहीं। सिर्फ़ राजा हिरोड की यूदाया प्रांत की ज़मींदारी ही प्रामाणिक है। वह आज के कैलेंडर के हिसाब से ईसा पूर्व ही चल बसे, और उसके बाद उनके बेटों ने प्रांत बाँट लिया।
रोम में 14 ईसवी तक ऑक्टावियन ऑगस्तस सीज़र का राज रहा। वह लगभग अस्सी वर्ष के हो चले थे, जब उनकी मृत्यु हुई। समस्या यह थी कि उन्होंने अपना कोई काबिल उत्तराधिकारी नहीं चुना था। सिर्फ़ उनके सौतेले पुत्र टाइबेरियस बचे थे, जिनको राजा बनने की कोई इच्छा नहीं थी। उनको जंगल में घूमना, द्वीपों पर जीवन बिताना पसंद था। उम्र छप्पन वर्ष हो गयी थी, अब क्या शासन करते?
लेकिन, राजा तो बनना पड़ा। टाइबेरियस को पूछा गया कि जुलाई, अगस्त के बाद अब आपके नाम पर कौन सा महीना रख दें?
टाइबेरियस ने चिढ़ कर कहा, “हर सीज़र के नाम पर एक महीना रखोगे, तो तेरहवें सीज़र के नाम पर क्या रखोगे? मुझे कोई महीना अपने नाम पर नहीं रखवाना।”
रोमन इतिहासकारों ने उनकी छवि बनायी है, कि सबसे एकांत जीवन जीने वाले राजा हुए। वह तो राज भी रोम से दूर द्वीप पर रह कर चिट्ठियाँ लिख कर करते। लेकिन, ईसाई मतों के अनुसार उन्हीं के काल में यीशु को सूली पर लटकाया गया।
(क्रमशः)
प्रवीण झा
© Praveen Jha
रोम का इतिहास - दो (14)
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