Thursday 19 May 2022

प्रवीण झा / रोम का इतिहास - दो (10)


सीज़र की उम्र पचपन पहुँच रही थी, जो उन दिनों के हिसाब से बुढ़ापा ही था। आम जनता की बात और थी, सीज़र जैसे लोग किसी न किसी युद्ध में मारे ही जाते। उनके दोस्त क्रैसस और पोम्पे मर चुके थे। जो सांसद सीज़र के डर से भाग गए थे, या विरोध में थे, उन्हें मान-मनौवल कर वह रोम ले आए थे। सिसरो, ब्रूटस, कैसियस जैसे तानाशाही विरोधी अब उनके साथ सिनेट में थे। 

एक केटो जैसे ईमानदार और परंपरावादी व्यक्ति ही थे, जो अब भी सीज़र की सत्ता को पचा नहीं पा रहे थे। वह अफ़्रीका प्रवास में थे। जूलियस सीज़र अपनी सेना लेकर अफ़्रीका पहुँचे कि वहाँ उनके समर्थकों को हरा कर केटो को क्षमा-दान दे देंगे, और वापस रोम बुला लेंगे। लेकिन, केटो ने सर झुकाने से इंकार कर दिया। जब जूलियस सीज़र ने उनको पकड़ कर लाने के लिए सैनिक भेजे, केटो ने आत्महत्या कर ली।

ईसा पूर्व 45 तक सीज़र ने स्पेन, अफ़्रीका और एशिया के क्षेत्रों के सभी विद्रोहियों को हराया। हर जगह वह प्रस्ताव रखते कि जो लोग उनके साथ आना चाहते हैं, वे आ जाएँ, उन्हें क्षमा कर दिया जाएगा। इसकी महिमा ऐसी कि रोमवासियों ने एक जूलियस सीज़र का ‘क्षमा दान मंदिर’ ही बना दिया। उनकी छवि एक निर्दयी सेनापति की नहीं, बल्कि दानवीर की बनी, जो अपने सैनिकों को भी खूब ईनाम देते। 

इन सबसे अधिक सीज़र का महत्व यह है कि उन्होंने संपूर्ण रोमन साम्राज्य के नागरिकों को एक अधिकार दिए। पहली बार रोमन सिनेट में न सिर्फ़ स्पेन, अफ़्रीका और एशिया से, बल्कि गॉल भी आए। वे गॉल जिनको स्वयं सीज़र ने हराया था, और जिन्हें रोमवासी असभ्य मानते थे। रोम के कुलीन चुटकुले बना रहे थे कि अब ये असभ्य (barbarians) लोग भी क्या बाल छँटा कर, नहा-धो कर, टोगा पहन कर घूमेंगे?

दूसरी चीज जो उन्होंने यूरोप में लायी, वह था- उपनिवेशवाद। उन्होंने अपने पुराने सैनिकों को इटली से बाहर के द्वीपों और क्षेत्रों पर औद्योगिक कॉलोनी बसाने के लिए भेजा। मॉडल यह था कि ये लोग वहाँ जाकर निवासियों के अंदर रोमन सभ्यता का इंजेक्शन देंगे, और सबको चाल-ढाल से रोमन बनाएँगे। ऐसा ही एक रोमन उपनिवेश इंग्लैंड में भी बना। भविष्य में इस उपनिवेश ने जूलियस सीज़र के मॉडल को दुनिया में किस तरह फैलाया, यह बताने की ज़रूरत नहीं। 

तीसरी चीज़ वह लेकर आए एक कैलेंडर। इससे पहले कई चंद्र और सौर कैलेंडर अपनाए गए थे, जिनमें लगभग 355 दिन होते थे। सीज़र ने इनको 365.25 दिन का बना कर स्थिर कर दिया। इसके लिए उन्होंने सिकंदरिया (Alexandria) के यूनानी गणितज्ञों की मदद ली, और यूरोप में यही कैलेंडर सोलहवीं सदी तक चलता रहा। रूस में तो बीसवीं सदी तक जूलियस सीज़र का बनाया कैलेंडर चलता था (अब भी उनके गिरजाघर में चलता है)। अन्य क्षेत्रों में पोप ग्रेगरी ने मामूली बदलाव किया, जो अब तक कायम है।

चौथी और सबसे दूरगामी प्रभाव की चीज रही ग्रीको-रोमन संस्कृति का पूरे यूरोप में एकीकरण। वह जर्मैनिक कबीलों को पूरी तरह जीत कर ‘फुल एंड फाइनल’ करना चाहते थे। उन्होंने ग़ुलामी भी बहुत कम कर दी, और एक तरह से यह स्थापित कर दिया कि पूरा यूरोप और पश्चिम एशिया एक ही परिवार है। खुल कर कहा जाए तो उन्होंने ‘गोरों’ को एक सामूहिक नस्ल बनाने का प्रयास किया। 

लेकिन, संसद में बैठे कुलीनों को तानाशाह जूलियस सीज़र की उदारता और दृष्टि में उनका दंभ दिख रहा था। उनकी नज़र में जूलियस सीज़र रोमनीकरण से अधिक दुनिया का सीज़रीकरण कर रहे थे। वह जीते-जागते देवता बन गए थे। वह तो अपनी राजधानी भी रोम से उठा कर सिकंदरिया ले जाने की बात कर रहे थे।

उनके सिपहसलार मार्क एंटनी एक दिन उनके लिए सोने का ताज लेकर आए और कहा, “आप हमारे राजा (King) हैं। आप यह ताज पहनें।”

सीज़र के अधिकतर बाल उड़ गए थे, मगर उन्होंने ताज पहनने के बजाय पत्तों का बना रोमन पट्टा पहन कर कहा, “न मैं यह सोने का ताज पहनूँगा, और न राजा कहलाऊँगा। मैं और मेरे बाद जो भी मेरी जगह बैठेगा, वह कहलाएगा- सीज़र।”

यह सुनते ही सिनेट में काना-फूसी शुरू हो गयी। एक राजा या एक तानाशाह तो फिर भी उन्हें स्वीकार था, लेकिन यहाँ एक व्यक्ति कह रहा था कि वह उनसे भी कहीं ऊपर है। जैसे वह दुनिया का केंद्र हो, और वहीं से दुनिया शुरू हो रही हो। ऐसे किसी भ्रम का होना भविष्य की मानवता के लिए उचित न था। 

इस भ्रम का अंत तो जूलियस सीज़र के अंत से ही संभव था। 
(क्रमशः)

प्रवीण झा
© Praveen Jha

रोम का इतिहास - दो (9)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2022/05/9.html 
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