चित्र: टाइबेरियस
टाइबेरियस नियति से बने राजा थे, जिन्हें न जनता पसंद करती थी, न उनके पूर्ववर्ती राजा ऑक्टावियन ऑगस्तस ही। उनसे अधिक काबिल व्यक्ति थे उनके अपने दत्तक पुत्र और परिवार के दामाद जर्मैनिकस। उन्हें रोमन इतिहास में सिकंदर महान के समकक्ष माना जाता है, क्योंकि उन्होंने कम उम्र में कई जीतें दिलायी। जर्मैनिक कबीलों को हराया, और शाही सेना के सेनापति बने। जनता उनमें अगला सीज़र देख रही थी।
एक दिन अचानक जर्मैनिकस चल बसे। उनकी पत्नी अग्रिप्पिना (ऑक्टावियस सीज़र की पोती) ने टाइबेरियस पर षडयंत्र का आरोप लगाया। जनता में विद्रोह का आह्वान करने लगी, तो उन्हें गिरफ़्तार कर देशनिकाला दे दिया गया।
इसकी संभावना कम है कि टाइबेरियस ने ऐसा किया हो। वह तो स्वयं को सीज़र कहलाना नहीं पसंद करते। अपने नाम पर महीना नहीं रखवाया। उन्होंने कई इमारतें बनवायीं, लेकिन उन पर सिर्फ़ पूर्वजों का नाम खुदवाया, अपना नहीं। उनके विषय में वर्णित एक मशहूर विकृति है कि वह स्त्रियों के साथ यौन-संबंध भी स्वयं नहीं स्थापित करते। उन्हें रोज अपने कमरे में बुला कर किसी अंगरक्षक या अन्य पुरुष से रति-क्रिया करवाते और स्वयं शराब पीते हुए निहारते।
बूढ़े और अक्षम दिख रहे टाइबेरियस के शाही सेनापति (Praetorian Guard) बने - सेजैनस। वह षडयंत्रकारी व्यक्ति थे, और जर्मैनिकस की मृत्यु में उनका हाथ हो सकता था।
उन्होंने 26 ईसवी में टाइबेरियस को कहा, “आप कैप्री द्वीप पर जाकर आराम करें। अपने आदेश चिट्ठियों से देते रहें, मैं यहाँ प्रशासन संभाल लूँगा।”
टाइबेरियस वाकई रोम छोड़ कर उस द्वीप पर चले गए, और अपनी मृत्यु तक वहीं रहे। इसी काल में मुमकिन है कि यहूदियों में एक नयी शाखा का जन्म हो रहा हो। कोई व्यक्ति ऐसे हों, जो स्वयं को ईश्वर के प्रतिनिधि कह रहे हों। यह बात मूसा ने कही थी कि एक मसीहा आएँगे, लेकिन वह प्रतीक्षा तो आज तक यहूदी कर रहे हैं।
यीशु का नाम बाइबल के ‘ओल्ड टेस्टामेंट’ में नहीं है। वह किताबें यहूदियों के धर्मग्रंथ ‘तनख़’ पर आधारित है, जिसमें सृष्टि से बात शुरू होकर पवित्र भूमि (जेरूसलम) की ओर मनुष्य के पलायन की बात है। उसमें एक संकेत है कि कोई मनुज परमेश्वर का पुत्र बन कर आएगा।
‘न्यू टेस्टामेंट’ में यीशु की जीवनी है, जो संभवत: 70 ईसवी के बाद लिखी गयी। उससे पूर्व इतिहासकार टैसिटस 64 ईसवी में रोम में लगी आग का वर्णन करते हैं, जहाँ पहली बार एक ‘क्राइस्टस’ नाम की चर्चा है।
उन्होंने लिखा है,
“क्रिश्चियन की उत्पत्ति क्राइस्टस से है, जिसे टाइबेरियस के काल में पोन्टियस पिलाते ने कड़ी सजा दी थी। उससे एक अंधविश्वास का जन्म सबसे पहले यूदाया प्रांत में हुआ। चूँकि रोम में दुनिया की शर्मनाक और बुरी चीजें जल्दी जगह बना लेती हैं, यह भी आ गया….एक अपराधी को भी अगर बुरी यातना दी जाए, तो उसके प्रति संवेदना जन्म ले ही लेती है।”
इतिहासकारों के अनुसार रोमन साम्राज्य में यह नीति रही थी कि यहूदियों या किसी अन्य पंथ के निजी मामलों में दखल कम दी जाए। सेजैनस ने 26 ई. में पोन्टियस पिलाते नामक व्यक्ति को यूदाया का राज्यपाल (गवर्नर) नियुक्त किया।
उसी दौरान यहूदियों के धर्म न्यायालय ‘सेन्हाद्रिन’ ने इस नए उभरते पंथ के लोगों को सजाएँ देनी शुरू की। टैसिटस के अनुसार इन सजाओं में जंगली जानवरों द्वारा भक्षण कराना, सूली पर लटकाना, आग लगाना आदि थे। हालाँकि ईश-निंदा (blasphepy) की लिखित सजा पत्थरों से मार-मार कर मृत्यु देना थी। नज़रेथ क्षेत्र के यीशु नामक व्यक्ति को इनमें से एक सजा मिलने की संभावना है।
यह घटना जिन लोगों ने देखी-सुनी होगी, उन्होंने इसका अलग-अलग वर्णन लिखना शुरू किया होगा, जिसने संपादित परिष्कृत होकर ‘न्यू टेस्टामेंट’ का रूप लिया। एक पंथ धीरे-धीरे एक धर्म में तब्दील होता गया, जिसकी विस्तृत चर्चा आगे होगी।
उस समय राजा टाइबेरियस को यह शंका हुई कि सेजैनस अधिक शक्तिशाली होते जा रहे हैं, और मनमर्ज़ी चला रहे हैं। उन्होंने एक दिन अपने द्वीप पर सिनेट और सेजैनस को बुलाया। वहाँ सेजैनस पर आरोपों की फ़ेहरिस्त सुनायी गयी, और वहीं गला घोंट कर मार दिया गया। सेजैनस को मृत्युदंड देकर टाइबेरियस ने अपना नया उत्तराधिकारी चुन लिया।
यह उत्तराधिकारी थे उनके प्रतिद्वंद्वी माने जाते रहे जर्मैनिकस के पुत्र ‘कलिगुला’ (Caligula)। कलिगुला का अर्थ है- छोटे जूते, क्योंकि वह बचपन से ही अपने पिता के साथ फौजी जूते पहन कर घूमते थे। एक दिन जब टाइबेरियस मरणासन्न अवस्था में थे, तो कलिगुला नए शाही सेनापति मैक्रो के साथ उनसे मिलने गए।
उन्होंने कहा, “आपकी अब उम्र हो गयी है। अपने प्राण त्याग कर मुझे रोम सौंप दें।”
यह कह कर उन्होंने एक तकिए से उनकी साँस घोंट कर मृत्यु दे दी। रोम वासी उल्लास में चिल्लाए- ‘टाइबेरियस गया टाइबर (नदी) में’
जूलियस और ऑगस्तस जैसे ताकतवर सीज़र के बाद आए यह ढीले-ढाले, अनचाहे टाइबेरियस इतिहास में गुमनाम ही रह जाते। उनका नाम किसी शिलालेख, किसी इमारत पर नहीं मिलता। लेकिन, वह इकलौते सीज़र बने, जिनका नाम लाखों लोग आज भी पढ़ते हैं।
भले बदनाम सही, मगर बाइबल के लूका अध्याय, खंड 3 की पहली पंक्ति टाइबेरियस से शुरू होती है।
(क्रमशः)
प्रवीण झा
© Praveen Jha
रोम का इतिहास - दो (16)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2022/05/16_25.html
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