Wednesday, 25 May 2022

प्रवीण झा / रोम का इतिहास - दो (16)

[Appendix- उद्धरण १: यीशु पर अभियोग, बाइबल (न्यू टेस्टामेंट) से]

यीशु गेतसिमेन (Gethsemane) नामक स्थान पर पहुँचे। उन्होंने अपने शिष्यों से कहा, “तुम यहीं बैठो। मैं वहाँ जा कर प्रार्थना करता हूँ”

वह पेतरॉस (Peter) और ज़ेबेदियॉस (Zebedee) के दोनों पुत्रों को अपने साथ लेकर आगे गए। यीशु अत्यन्त उदास और व्याकुल होने लगे। उन्होंने शिष्यों से कहा, “मेरे प्राण इतने अधिक उदास हैं, मानो मेरी मृत्यु हो रही हो। आज मेरे साथ तुम लोग भी जागते रहो”

यीशु दंडवत होकर प्रार्थना करने लगे। उन्होंने परमेश्वर से निवेदन किया, “हे पिता! यदि यह प्याला मेरे पिये बिना मुझसे दूर न हो जाए, तो आपकी इच्छा पूरी हो”

यह कह कर वह अपने शिष्यों के पास लौटे। उन्हें सोया हुआ देख उन्होंने पेतरॉस से कहा, “तुम मेरे साथ एक घण्टा भी सजग न रह सके? जागते रहो, प्रार्थना करते रहो, ऐसा न हो कि तुम परीक्षा में पड़ जाओ। निःसन्देह तुम्हारी आत्मा तो तैयार है किन्तु शरीर दुर्बल।”

तब यीशु ने दूसरी बार जा कर प्रार्थना की, “हे पिता! यदि यह प्याला मेरे पिए बिना मुझ से दूर नहीं हो सकता तो आप ही की इच्छा पूरा हो.”

वह दोबारा लौट कर आए तो देखा कि शिष्य सोए हुए हैं। उनकी पलकें बोझिल थी। उन्होंने तीसरी बार प्रार्थना में वही सब दोहराया। 

तब वह शिष्यों के पास लौटे और उनसे कहा, “तुम लोग सोते रह गए? वहाँ देखो! आ गया है वह क्षण! यह मनुज पापियों के हाथों पकड़वाया जा रहा है। उठो! यहाँ से चलें। मुझे गिरफ़्तार करने वाले आ गए।”

यीशु अपना कथन समाप्त भी न कर पाए थे कि यहूदाह (Judas) जो उनके बारह शिष्यों में से एक थे, वहाँ आ पहुँचे। उनके साथ एक बड़ी भीड़ थी, जो तलवारें और लाठियाँ लिए हुए थी। ये सब पुरोहितों और धर्मशास्त्रियों की ओर से भेजे गए थे। 

यीशु के विश्वासघाती ने उन्हें पहले समझा दिया था, “मैं जिसे चूमूँगा, उसे पकड़ लेना।”

यहूदाह यीशु के पास आये, और उनके हाथ चूम कर कहा, “प्रणाम, रब्बी!”

यीशु  ने यहूदाह से कहा, “मित्र! अब जिस काम के लिए आए हो, उसे पूरा कर लो।”

उन्होंने यीशु को पकड़ लिया। यीशु के शिष्यों में से एक ने तलवार खींची और न्यायाधीश के दास पर चला दी जिससे उसका कान कट गया। 

यीशु ने उस शिष्य से कहा, “अपनी तलवार को म्यान में रखो! जो तलवार उठाते हैं, वे तलवार से ही नाश किए जाते हैं। क्या मैं स्वयं अपने पिता से विनती नहीं कर सकता और वह मेरे लिए स्वर्गदूतों की बड़ी सेना नहीं भेज सकते? फिर भला हमारा पवित्र ग्रंथ कैसे पूरा होगा, जिसमें लिखा है कि यह सब इसी प्रकार होना आवश्यक है?”

यीशु ने भीड़ को सम्बोधित करते हुए कहा, “तुम्हें मुझे पकड़ने के लिए तलवारें और लाठियाँ ले कर आने की क्या ज़रूरत थी? यह सब तो किसी डाकू को पकड़ने के लिए होती है। मैं तो प्रतिदिन धर्मस्थल में बैठ कर शिक्षा दिया करता था। उस समय तुमने मुझे नहीं पकड़ा। यह सब इसलिए हुआ है कि पवित्र ग्रंथ की बातें सत्य हो।”

उनके सभी शिष्य उन्हें छोड़ कर भाग चुके थे। 

यीशु को पकड़ कर न्यायाधीश कायफ़स के पास लाया गया, जहाँ धर्म-शास्त्री इकट्ठा थे। पेतरॉस भी यीशु के पीछे-पीछे चलते हुए महायाजक के प्रांगण में आ पहुँचे थे, और वहाँ प्रहरियों के साथ बैठ गए कि देखें आगे क्या-क्या होता है।

प्रधान पुरोहितों तथा परिषद का प्रयास यह था कि वे यीशु के विरुद्ध झूठे गवाह खड़े कर लें और यीशु को मृत्युदण्ड दिला सकें। अनेक झूठे गवाह सामने आए किन्तु मृत्युदण्ड के लिए आवश्यक दो सहमत गवाह उन्हें फिर भी न मिले। 

अन्त में ऐसे दो गवाह आए, जिन्होंने कहा, “यह व्यक्ति कहता था कि यह परमेश्वर के धर्मस्थल को नाश करके उसे तीन दिन में दोबारा खड़ा करने में समर्थ है।”

न्यायाधीश ने पूछा, “जो आरोप तुम पर लगाए जा रहे हैं, क्या उसके बचाव में तुम्हें कुछ कहना है?”

यीशु मौन ही रहे। तब न्यायाधीश ने यीशु से कहा, “मैं तुम्हें परमेश्वर की शपथ देता हूँ। तुम हमें बताओ क्या तुम्हीं मसीह यानी परमेश्वर-पुत्र हो?”

यीशु ने उत्तर दिया, “आपने यह स्वयं कह दिया है, फिर भी, मैं आपको यह बताना चाहता हूँ कि आज के बाद आप एक मनुज को सर्वशक्तिमान की दायीं ओर बादलों पर बैठ कर आता हुआ देखेंगे।”

यह सुनना था कि न्यायाधीश ने अपने वस्त्र फाड़ डाले और कहा, “इसने परमेश्वर-निन्दा की है! क्या अब भी गवाहों की ज़रूरत है? यह मृत्युदण्ड के योग्य है।”

तब उन्होंने यीशु के मुख पर थूका, उन पर घूंसों से प्रहार किया, कुछ ने उन्हें थप्पड़ भी मारे और फिर उनसे प्रश्न किया, “मसीह महोदय! यदि आप सर्वज्ञानी हैं, तो अपनी भविष्यवाणी से बताइए कि आपको किस-किस ने मारा है?”

(खंड समाप्त, आगे)

पेतरॉस आँगन में बैठे हुए थे. एक दासी वहाँ से निकली और पेतरॉस से पूछने लगी, “तुम भी उस ज़लील यीशु के साथ थे न?”

पेतरॉस ने अनजान बन कर कहा, “क्या कह रही हो? मैं समझा नहीं!”

एक दूसरी दासी ने कहा, “यह उस नाज़रेथ के यीशु के साथ था।”

एक बार फिर पेतरॉस ने शपथ खा कर नकारते हुए कहा, “मैं उस व्यक्ति को नहीं जानता।”

एक अन्य व्यक्ति ने कहा, “इसमें कोई सन्देह नहीं कि तुम भी उनमें से एक हो। तुम्हारी भाषा-शैली से यह स्पष्ट हो रहा है।”

पेतरॉस अपशब्द कहते हुए शपथ खा कर कहने लगे, “मैं उस व्यक्ति को नहीं जानता!” 

उनका यह कहना था कि मुर्गे ने बाँग दी। पेतरॉस को यीशु की वह कही हुई बात याद आई, “इसके पूर्व कि मुर्गा बाँग दे, तुम मुझे तीन बार नकार चुके होगे”

पेतरॉस बाहर गए और फूट-फूट कर रोने लगे।

[Matthew 26:32-68]
(क्रमशः)

प्रवीण झा
© Praveen Jha

रोम का इतिहास - दो (15) 
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2022/05/15_24.html 
#vss

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