Sunday, 15 May 2022

प्रवीण झा / रोम का इतिहास - दो (6)

                  (चित्र: कैटो)

यह सत्य है कि जूलियस सीज़र में सिसरो जितनी विद्वता नहीं थी, पोम्पे मैग्नस जैसा सैन्य कौशल नहीं था, क्रैसस जितना धन नहीं था; लेकिन हम आज इन सब में सबसे अधिक किसे जानते हैं? जिन्हें इतिहास-बोध नहीं, वह भी जूलियस सीज़र के नाम से अनभिज्ञ नहीं होंगे। यह बात सीखने की है कि एक औसत व्यक्ति कैसे धीरे-धीरे स्वयं को औसत से कहीं ऊपर ले जाता है।

पहली चीज़ आप ग़ौर करेंगे कि उन्होंने ‘जॉब स्विच’ खूब किया, और अपनी ‘स्किल’ के विस्तार पर ध्यान दिया। मसलन सिसरो भले ही कई किताब लिख गए, पढ़ गए, प्रधानमंत्री भी बन गए; लेकिन उन्होंने नौसेना में तो कार्य नहीं किया, उत्सव आयोजन नहीं किए, युद्ध नहीं लड़े, रोम के बाहर के क्षेत्रों में कार्य कम किया। इसलिए वह कभी सीज़र नहीं बन सके।

हमने पढ़ा कि जूलियस सीज़र पहले जूपिटर मंदिर में पुरोहित रहे। फिर पश्चिम एशिया में जाकर थलसेना और नौसेना में कार्य किया। उसके बाद वह संभवत: कुछ समय वकालत करने लगे। कविताएँ लिखी, वाक्-कौशल के कोर्स किए। क्वेस्टर का पद लेकर वित्त कार्य सीखा। एडील का पद लेकर ग्लैडिएटर उत्सव आयोजन सीखा। पोन्टिफस मैक्सिमस का पद लेकर धर्म का ज्ञान लिया। 

यह सब करने के बाद उन्होंने ‘प्रीटर’ का पद लिया और हिस्पैनिया (स्पेन-पुर्तगाल) क्षेत्र में सेना के कमांडर बने। वहाँ उन्होंने जीत दर्ज़ कर ‘इम्परेटर’ की पदवी हासिल की। इस तरह अपने अनुभवों और अध्ययन से उन्होंने अपने सी.वी. को इतना मजबूत कर लिया कि उन्हें किसी भी आधार पर रिजेक्ट करना कठिन था।

हमने यह भी देखा कि यह सब पदवियाँ उन्होंने पैरवी, रिश्वत, तिकड़म हर तरह से अर्जित की। उन्होंने अपने परिवार के ख़िलाफ़ हुए अन्यायों और अपनी संपूर्ण संपत्ति छिने जाने का प्रत्यक्ष प्रतिशोध नहीं लिया। बल्कि उन्होंने तो अपने परिवार के शत्रु तानाशाह सुल्ला की नातिन पोम्पिया से विवाह भी किया। कहीं ऐसा तो नहीं कि यह उनके प्रतिशोध लेने का सोचा-समझा तरीका था?

एक उदाहरण देता हूँ। ईसा पूर्व 62 में एक सेक्स-स्कैंडल हुआ।

रोम में एक देवी ‘बोना डिया’ का उत्सव हर साल आयोजित होता था, जिसमें सिर्फ़ महिलाएँ ही पूजा करती थी। पुरुषों को इस आयोजन में जाने की मनाही थी। उस वर्ष जूलियस सीज़र की पत्नी (और सुल्ला की नातिन) पोम्पिया ने यह आयोजन किया।

उस आयोजन में पोम्पिया के विवाहेतर प्रेमी क्लोडियस एक महिला बाँसुरी-वादक के भेष में छुप कर आ गए। वह वहाँ जूलियस सीज़र की पत्नी के साथ रति-क्रिया में धर लिए गए। ज़ाहिर है उन पर सिनेट और जनता का गुस्सा उमड़ पड़ा क्योंकि आखिर यह एक पवित्र पूजा थी। सिसरो ने क्लोडियस के ख़िलाफ़ मुहिम चला दी, और उन्हें पूरे सिनेट के बीच बेइज्जत किया। 

लेकिन, वहाँ भी जूलियस सीज़र ने सिर्फ़ इतना कहा, “अगर ऐसा कोई आरोप मेरी पत्नी या परिवार पर लगा है, तो मैं अपनी पत्नी को त्यागता हूँ। मेरा परिवार रोम के किसी अहित में सम्मिलित नहीं।”

इस घटना की क्या व्याख्या हो सकती है? अफ़वाह तो यह भी थी कि सीज़र स्वयं मंदिर में ‘वेस्टल वर्जिन’ स्त्रियों के साथ संबंध रखते थे। लेकिन, जनता के सामने वह नैतिकता के पुतले बन जाते थे। यह उनकी राजनीति थी। 

क्रैसस, पोम्पे, सिसरो और सीज़र ने मिल कर एक गठजोड़ बनाया कि वह सिनेट में एक-दूसरे का साथ देंगे। बाद में सिसरो ने कहा कि वह निष्पक्ष रहना पसंद करेंगे, किसी गुट में नहीं। सिसरो को छोड़ कर बाकी तीन का गठबंधन कहा गया- प्रथम त्रिशासकदल (First Triumvirate)

इस तरह जूलियस सीज़र ईसा पूर्व 59 में प्रधानमंत्री बने। पद संभालते ही उन्होंने एहसान चुकाया, और अपने धनी मित्र क्रैसस की एशिया से हो रही कमाई का टैक्स तिहाई कर दिया। वहीं अपने दूसरे मित्र पोम्पे के पूर्व सैनिकों को ज़मीन दिला दी। डील ही यही थी।

सिनेट ने जब देखा कि ये तीनों रंगदारी पर उतर आए हैं, और सिसरो भी साथ दे रहे हैं, तब सीज़र के ख़िलाफ़ खड़े हुए केटो। केटो भी तगड़े वक्ता थे, जिन्होंने अपनी दलीलों से सबको मात कर दिया। सीज़र ने केटो को जेल में बंद किया, तो उनके साथ कई कुलीन गिरफ़्तारी देने आ गए। आखिर कैटो को छोड़ना पड़ा।

जूलियस सीज़र अब क्रैसस और पोम्पे को लेकर जनता के मध्य गए और उनसे सामूहिक रूप से पूछा कि क्या आपको हमारे फ़ैसलों से कोई शिकायत है। उन्होंने समवेत स्वर में कहा- “नहीं!”

यह बात अब रोम के कुलीनों को स्पष्ट दिख रही थी कि सीज़र सिनेट को पीठ दिखा कर सीधे जनता से संपर्क कर रहे हैं। उन्हें नज़र आ रहा था कि रोम एक भीड़ (mob) है, जिसमें किसी संसद से अधिक शक्ति है। 

इस मॉब का दिल जीतना तानाशाह बनने की पहली सीढ़ी थी। 
(क्रमशः)

प्रवीण झा
© Praveen Jha

रोम का इतिहास - दो (5)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2022/05/5.html 
#vss 

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