ग़ालिब - 93.
क़तअ कीजे न तअल्लुक हमसे,
कुछ नहीं है तो, अदावत ही सही !!
Qata'a kiije na ta'alluk hamse,
Kuchh nahiin hai to, adaawat hii sahii !!
- Ghalib
आप हमसे अपना संबंध विच्छेद न कीजिये। अगर कोई संबंध नहीं रखना चाहते तो, अदावत , शत्रुता का ही संबंध रख लें। पर संबंध बिल्कुल भी नहीं खत्म कीजिये।
यह एक कूटनीतिक शब्दावली है। प्रेयसी प्रेम न करे तो न सही पर शत्रुता ही करे। प्रेम से याद न करे तो न सही शत्रुता के ही कारण याद कर ले। पर ग़ालिब संबंध के खात्मे के विरुद्ध है। यहां एक उम्मीद भी है कि अगर प्रेम नहीं शत्रुता या नाराज़गी भी है और सम्बंध बना है तो यह शत्रुता फिर प्रेम में बदल जाएगी। लेकिन अगर ताल्लुकात टूट गया तो सारी सम्भावनाएं ही समाप्त हो जाएंगी।
राजनीति में एक चर्चित उद्धरण है। मुझे यह ज्ञात नहीं कि किसका है। यह उद्धरण यह है कि,
यदि राजनीति में सफल होना है तो, लोग आप को या तो बेहद प्यार करें या फिर बेहद घृणा करें। पर वे भुला न दें। नज़रअंदाज़ न करें।
यही अंदाज़ ग़ालिब का इस शेर में भी है। बस यहां राजनीति के स्थान पर प्रेम रख कर पढ़ लें।
© विजय शंकर सिंह
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