ग़ालिब - 90.
और बाज़ार से ले आये अगर टूट गया,
सागर ए जम से मेरा जाम ए सिफाल अच्छा है !!
और बाज़ार से ले आये अगर टूट गया,
सागर ए जम से मेरा जाम ए सिफाल अच्छा है !!
Aur baazaar se le aaye agar tuut gayaa,
Saagar e Jam se meraa jaam e sifaal achchaa hai !!
- Ghalib
Saagar e Jam se meraa jaam e sifaal achchaa hai !!
- Ghalib
मेरा मिट्टी का प्याला, जमशेद के मणिखचित प्याले से अच्छा है। अगर वह टूट जाय तो मैं वैसा ही दूसरा प्याला बाज़ार से ला सकता हूँ।
ग़ालिब कहते हैं कि, सागर के जम से मेरा जाम ए सिफाल अच्छा है। जम यानी जमशेद जो फारस का राजा था। फारस यानी ईरान का। उसका मदिरा पात्र, जो स्वर्ण का है और रत्नजटित है, बहुत कीमती है, से भी उत्तम, मेरा मदिरा पात्र, जो मिट्टी का बना है, कहीं बहुत अच्छा है। वह सस्ता और मिट्टी का भले ही हो, पर वह जमशेद के प्याले से इसलिए भी अच्छा है कि, वह अगर टूट गया तो मैं दूसरा मदिरा पात्र ला सकता हूँ। ग़ालिब का कहना है कि जो भी मेरे पास है वह किसी अन्य के पास महंगी से महंगी चीज़ हो तो उससे भी अच्छा है। मुझे बादशाह के मणिखचित प्याले का कोई लोभ नहीं है है जो मेरे पास है वही पर्याप्त है और मैं उसी से संतुष्ट हूँ। कम से कम अगर वह टूट जाएगा तो दूसरा प्याला इसी तरह का बाज़ार से तो ला सकता हूँ। पर मणिखचित प्याला अगर जम का मेरा पास हो और वह खो या टूट जाये तो वैसा प्याला कहां से लाऊंगा ? मुझे जमशेद के प्याले का कोई लोभ नहीं है। जो मेरे पास है, जितना और जैसा भी है, पर्याप्त है। मैं उसी में संतुष्ट हूँ।
© विजय शंकर सिंह
Excellent translation
ReplyDeleteThanks for the translation
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