Tuesday, 22 May 2018

धर्मांध पाकिस्तान बनने से बचें - विजय शंकर सिंह

आज तीन खबरें मीडिया में हैं। एक पाकिस्तान , दूसरी मेरठ और तीसरी दिल्ली से है ।

* पाकिस्तान की खबर यह है कि वहां की सीनेट ने यह प्रस्ताव किया है कि,
रमजान के दौरान जो भी व्यक्ति दिन में कुछ खायेगा पियेगा उसे 3 माह के कारावास से दंडित किया जाएगा। यह बिल एहतराम ए रमजान के नाम से सीनेट ने पारित किया है ।

* मेरठ के नगर प्रमुख ने मेरठ में लगने वाले नौचंदी मेले को रमजान के दौरान शोर शराबे की संभावना के कारण रोक दिया है।

* दिल्ली के आर्कबिशप ने ईसाइयों से भाजपा को वोट न देने की अपील की है।
यह अपील कानून का उल्लंघन है। सरकार को आर्क बिशप के विरुद्ध कार्यवाही करनी चाहिये। यह अलग बात है कि ऐसी अपीलें धर्म की राजनीति करने वाले दलों को रास भी आती हैं।

यह सभी खबरे धर्मांध मानसिकता के दबाव में ली गयी हैं। पाकिस्तान की खबर पर कोई अचरज नहीं हुआ क्यों कि पाकिस्तान तो एक घोषित धार्मिक देश है। वह इस्लामिक रिपब्लिक है। पर भारत की खबर पर हैरानी भी है और एतराज़ भी। भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है। यहां के कायदे कानून धार्मिक आधार पर संचालित नहीं होते हैं। मेरठ के नगर प्रमुख का नौचंदी मेले को रमजान की आड़ में स्थगित करने का यह कदम निंदनीय और यह असंवैधानिक भी है। नौचंदी का मेला बहुत सालों से लग रहा है। और रमजान भी इस्लाम के जन्म से ही मनाया जा रहा है। पर जिस प्रकार इन धार्मिक कर्मकांडो को लेकर सरकारें धार्मिक तुष्टिकरण के आलोक में विवेकहीन फैसले लेने लगी हैं उनसे देश मे धार्मिक मतभेद बढ़ा ही है। यह मतभेद धर्म आधारित दलों को संजीवनी देता है। परिणामतः समाज मे मतभेद और अविश्वास फैलता है।

संविधान हर किसी को अपनी उपासना पद्धति के अनुसार, अपना अपना धार्मिक कर्मकांड मानने की अनुमति देता है पर वह दूसरे की  स्वतंत्रता पर कोई बाधा डालने की बात नहीं करता है। लोगों को जितना हक़ रोज़ा रखने का है उतना ही हक़ औरों को दिन के समय सार्वजनिक स्थान पर खाने पीने की आज़ादी का है। अगर इस तरह से धार्मिक भावनाओं की आड़ में खाने पीने घूमने फिरने की आज़ादी पर रोक लगाई जाने लगेगी तो ऐसे कदम, भारत जैसे बहुलतावादी संस्कृति के देश मे अनेक नयी नयी समस्याएं पैदा करने लगेंगे । कल हो सकता है नवरात्र में कुछ लोग यह कहने लगें कि इस अवसर पर मांसाहार बंद हो। बिना यह जाने कि नवरात्र में मांस भी शाक्त सम्प्रदाय की उपासना में एक प्रमुख स्थान रखता है। और यह भी हो सकता है नवरात्र के दौरान ही रमजान पड़ जाय तो ? यह तो धर्मान्धता से भरे दलों के लिये ध्रुवीकरण का एक ईश्वर प्रदत्त अवसर ही समझा जाएगा। अतः इस प्रकार का प्रतिबंध मूलतः राजनैतिक तुष्टिकरण के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।

कमलेश्वर का एक अलग तरह का उपन्यास है, कितने पाकिस्तान। इस उपन्यास में जो पाकिस्तान शब्द आया है वह धर्म के आधार पर बने हुए राज्यो के लिये प्रयुक्त किया गया प्रतीक है। राज्य या देश अधिकतर भौगोलिक या राजनैतिक दृष्टिकोण से बनते हैं। लेकिन पाकिस्तान दुनिया का अकेला मुल्क है जिसका आधार धर्म है और धर्म के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। दुनिया मे केवल धर्म के आधार पर कोई नया देश बनने की यह पहली घटना है। इसके लिये जिन्ना और सावरकर का द्विराष्ट्रवाद जिम्मेदार है। भारत को इस धर्मांधता के खतरे से दूर रहना होगा। यह खतरा कट्टर कहने वाले हिंदुत्व से भी हैं और कट्टर इस्लाम से भी। यह शब्द कट्टर ही किसी भी देश को बरबाद करने के लिये पर्याप्त है। दुर्भाग्य से यह शब्द , कह कर कुछ लोग गर्वान्वित होते हैं। लेकिन एक का गर्व जब दूसरे के लिये शर्म की तरह दिखने लगता है तो समाज और देश दरकने लगता है। पाकिस्तान बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। यह लोगों को केवल धर्म के दायरे में ही सोचने के लिये बाध्य कर देती है। जीवन की अन्य जो विविधता और सौंदर्य होता है उसकी ओर यह धार्मिक ग्रन्थि सोचने ही नहीं देती है। ऐसी मनोवृत्ति का सबसे अधिक लाभ पौरोहित्यवाद उठाता है। धर्म और ईश्वर जो मुक्ति के लिये कभी मानव ने इज़ाद किया था उसे अनेक बेमतलब के बंधनों में बांधने लगता है। मेरठ के मेयर का निर्णय एक प्रकार का धार्मिक तुष्टीकरण है और उन्हें इसे रद्द करना चाहिए।

© विजय शंकर सिंह

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