ग़ालिब - 81.
ऐतबार ए इश्क़ को खाना खराबी देखना,
गैर ने की आह, लेकिन वो खफा मुझ पर हुआ !!
Aitbaar e ishq ko khaanaa kharaabii dekhnaa,
Gair ne kii aah, lekin wo khafaa mujh par huaa !!
- Ghalib
प्रेम के विश्वास का एक कुपरिणाम यह है कि, उसे देख कर जब गैर ने आह की तो वे मुझे समझ मुझी पर नाराज़ हो गये।
यह विश्वास की पराकाष्ठा है। उसे मेरे प्रेम पर विश्वास है और मुझे भी उसके प्रेम पर भरोसा है। पर उसे चिढाने और मुझे जलाने के लिये जब मेरे प्रतिद्वंद्वी या मेरे विरोधी, उसे देख कर आह भरते हैं तो वह मुझ पर इस चिढ़ की नाराजगी उतारता है। यह अतिविश्वास ऐसी हरकतों से ईर्ष्या में बदल जाता है। यह प्रेम का एकाधिकार भाव है। जो सभी प्रेमी मन की एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया होती है।
© विजय शंकर सिंह
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