Saturday, 7 April 2018

Ghalib - Ijz se apne ye jaanaa ki / इज्ज़ से अपने ये जाना कि - ग़ालिब / विजय शंकर सिंह


ग़ालिब - 48.
इज्ज़ से अपने ये जाना कि, वो बदखू रोगा
नब्ज़ ए खस से तपिश ए शोला के सोज़ा समझा !!

Ijz se apne ye jaanaa ki, wo badakhoo rogaa,
Nabz e khas se tapish e sholaa ke sozaa samajhaa !!
- Ghalib

इज्ज़ - दुर्बलता
बदखू - बुरे और कठोर स्वभाव वाला
खस - एक प्रकार की घास

अपनी दुर्बलता के कारण मैने यह बात समझ ली कि वह, बुरे और कठोर स्वभाव वाला व्यक्ति होगा। फूस की दशा देख कर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि अग्नि की तीव्रता कितनी होगी।

अक्सर हम एक उद्धरण पढ़ते हैं कि जो कमज़ोर हैं वे बलशाली का शिकार आसानी से बन जाते हैं । अगर अन्याय और किसी बलशाली के दमन से मुक्त होना या उसका सामना करना चाहते हैं तो हमे खुद ही मज़बूत होना होगा। दुर्बलता का त्याग करना होगा। ग़ालिब के अभिप्राय के अनुसार मैं दुर्बल हूँ इस लिये मेरा प्रतिद्वंद्वी कठोर और बलशाली है। जिस दिन इस दुर्बलता को हम त्याग कर तन कर खड़े हो जाएंगे उसी दिन से जो कठोर और बलशाली दमनकर्ता हैं वे नज़र नहीं आएगा। इस शेर में फूस के घास की उपमा है। फूस की घास सुखी और जर्जर होती है तो वह आग से जल्दी प्रज्वलित होती है। उसकी प्रज्वलनता भी बहुत तीव्र हो जाती है। वह फूस को जला कर राख भी जल्दी कर देती है। और फूस भी उस अग्नि का प्रतिरोध नहीं कर पता वह राख में बदल जाता है। इस लिये जरूरी है कि हम फूस न बने मज़बूत बनें प्रतिरोध करना सीखें, प्रतिकार करना जानें और बुरे तथा कठोर स्वभाव वाले व्यक्ति , समूह या समाज का जम कर प्रतिकार और पतिरोध करें । 

© विजय शंकर सिंह

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