मोटरवे द्वारा लाहौर से रावलपिंडी की यात्रा ~
लाहौर में संबंधियों से मिलने और वहां के ऐतिहासिक स्थल देखने के बाद हम रावलपिंडी के लिए रवाना हो गए। लाहौर से रावलपिंडी जाने के लिए दो मार्ग हैं। एक पुराना प्रसिद्ध जीटी मार्ग जो कोलकाता से दिल्ली, लाहौर और रावलपिंडी होते हुए पेशावर तक शेरशाह सूरी के द्वारा बनवाया गया था। यह चार लेन मार्ग है जिसके द्वारा लाहौर से पिंडी 260 किलोमीटर है परंतु इसमें समय बहुत अधिक लगता है। दूसरा छह लेन का मार्ग बाद में बनाया गया है जिसे मोटरवे कहा जाता है। इस मार्ग से रावलपिंडी लाहौर से 390 किलोमीटर है परंतु इस पर समय कम लगता है तथा इस मार्ग की कुछ विशेषताएं भी हैं, जैसे
१-इस मार्ग पर केवल चार पहिया वाहन अर्थात ट्रक, बस और कार ही चलते हैं। मोटरसाइकिल, ऑटो रिक्शा, साइकिल तथा बैलगाड़ी आदि चलाना वर्जित है।
२-थोड़े-थोड़े अंतराल से मार्ग के दोनों ओर कैमरे लगे हैं। निर्धारित गति से अधिक तेज चलने पर कैमरे की पकड़ में आने से गाड़ी का चालान हो जाता है। कार के लिए निर्धारित गति सीमा 120 किलोमीटर प्रति घंटा है परंतु अधिकतम 129 किलोमीटर की रफ्तार से जा सकते हैं।
३-थोड़े थोड़े अंतराल के पश्चात टेलीफोन बूथ की सुविधा उपलब्ध है ताकि वाहन खराब होने पर मोबाइल कार्यशाला को बुलाया जा सकता है।
४-छह लेन के अतिरिक्त मार्ग के दोनों और एक अन्य अतिरिक्त लेन बनाई गई है जिस पर पुलिस का वाहन गश्त करता रहता है जिसके कारण यात्री भी सतर्क होकर गाड़ी चलाते हैं।
५-मार्ग के दोनों और किनारे पर रेलिंग लगी हुई है ताकि किसी जानवर आदि के सड़क पर आने से कोई दुर्घटना न हो एवं यातायात भी बाधित न हो।
अतः इसी मार्ग से रावलपिंडी के लिए रवाना हुए। लाहौर और रावलपिंडी के मध्य जगह-जगह मार्ग से थोड़ा हटकर पेट्रोल /सीएनजी फिलिंग स्टेशन बने हुए हैं जिनके साथ ही जलपान वह भोजन के लिए साफ-सुथरे होटल भी हैं। कार में गैस भरवाने के लिए और जलपान के लिए एक स्थान पर कुछ समय के लिए रुके। होटल में काफी चहल-पहल और भीड़ दिखाई दी। होटल के बाहर छोटी-छोटी कुछ ऐसी दुकानें भी थीं जिनमें खाने के सामान के अलावा बच्चों की दिलचस्पी का सामान भी मौजूद था। यहां पर चारों तरफ काफी हरियाली थी और खूबसूरत फूलों के पौधे भी लगे थे जिन्होंने इस स्थान की सुन्दरता को बढ़ा दिया था। भारत की तरह यहां भी मोटरवे पर टोल टैक्स वसूलने के लिए जगह जगह टोल प्लाज़ा बने हुए थे। रास्ते में कई जगह छोटी-छोटी पहाड़ियों के बीच से भी गुजरना हुआ जहां ठंडी हवा के सुखद झोंके रास्ते की थकान को दूर कर रहे थे। इस तरह हम 4 घंटे में लगभग 400 किलोमीटर की यात्रा करके रावलपिंडी पहुंच गए। यात्रा काफी सुखद रही तथा पहली बार 129 किलोमीटर की स्पीड से कार चलाने का आनंद भी प्राप्त हुआ। -
(जारी)
मंजर ज़ैदी
© Manjar Zaidi
भारत के वह ऐतिहासिक स्थल जो अब पाकिस्तान में हैं (6)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2022/07/6_8.html
#vss
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