Wednesday, 6 July 2022

मंजर जैदी / भारत के वे ऐतिहासिक स्थल जो अब पाकिस्तान में हैं (3)

बादशाही मस्जिद लाहौर ~

गुरुद्वारे से बाहर निकलने के बाद हम बादशाही मस्जिद की ओर बढ़े। मस्जिद में जाने के लिए दिल्ली की जामा मस्जिद की तरह बहुत सी सीढ़ियां चढ़ना पड़ीं। बादशाही मस्जिद में प्रवेश करने पर भूतल पर दायीं ओर एक  संग्रहालय था जिसमें विभिन्न आकार के अति सुंदर कुरान  रखे हुए थे। एक कुरान ऐसा भी देखा जो लगभग 3/2 फीट साइज का कपड़े के पन्नों का बना हुआ था। कपड़े पर कुरान के अक्षर काढ़े गए थे जिसके बनाने में कई वर्ष लगे थे। उसके बायीं ओर प्रथम तल पर एक दूसरा संग्रहालय था जिसमें पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब की पगड़ी, उनकी बेटी हज़रत फ़ातिमा ज़हरा की चादर व उनके नवासे हज़रत इमाम हुसैन की कई अद्भुत वस्तुएं वहां दर्शन के लिए रखी हुई थी। संग्रहालय में फोटो खींचना मना था इसलिए हम वहां के फोटो नहीं ले सके। 

यह मस्जिद मुगल सम्राट औरंगज़ेब द्वारा 1671 - 73 ईसवी की अवधि में बनवाई गई थी। यह एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद थी परंतु 1986 में इस्लामाबाद में फैसल मस्जिद, जो सऊदी अरब के शाह फैसल के नाम से बनवाई गई है, के बनने के बाद यह एशिया की दूसरी बड़ी मस्जिद हो गई है परंतु इस मस्जिद का बाहर का आंगन इतना बड़ा है जो विश्व में किसी दूसरी मस्जिद का नहीं है।  पाकिस्तान के 500 रूपए के नोट पर इस मस्जिद का चित्र बना है। 

नमाज का समय ना होने के कारण मस्जिद में बहुत कम व्यक्ति थे कुछ व्यक्तियों से बात करने का अवसर मिला। हमने उन्हें बताया कि हम इंडिया से आए हैं। हमने उनसे ज्ञात किया कि मस्जिद के बहुत समीप ही गुरुद्वारा है क्या कभी आपको उनसे या उनकी पूजा की वजह से कोई दिक्कत हुई है या उन्हें नमाज के वक्त ज्यादा तादाद में लोगों के इकट्ठा होने की वजह से और मस्जिद में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल करने पर कभी कोई  एतराज़ हुआ।  उन्होंने बताया कि ऐसा अभी तक तो नहीं हुआ है। वे अपनी इबादत करते हैं और हम अपनी इबादत करते हैं। जरूरत पड़ने पर हम एक दूसरे की मदद भी करते हैं। 

मस्जिद से बाहर आए।  सीढ़ियां उतरने के पश्चात  दायीं ओर मशहूर उर्दू के कवि डॉक्टर अल्लामा इकबाल का मकबरा बना हुआ है जिसके अंदर जाकर हमने फातिहा पढ़ी। उस समय हमें डॉ इकबाल की मशहूर कविता की ये पंक्तियां याद आने लगी। 

"सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा। 
हम बुलबुले हैं इसकी यह गुलसितां हमारा। 
मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना। 
हिंदी हैं हम वतन है हिन्दुस्तां हमारा।" 
(जारी) 

मंजर जैदी
© Manjar Zaidi

भारत के वे ऐतिहासिक स्थल जो अब पाकिस्तान में हैं (2) 
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2022/07/2_5.html 
#vss

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