ऐतिहासिक मासूम शाह मीनार, सक्खर ~
सक्खर में अभी भी हमारी उन मौसी की एक पुत्री रहती हैं जिनके घर 1970 में सक्खर आया था। अतः बैराज से लौटने के पश्चात हम उनके घर पहुंच गए। वहां अन्य संबंधियों से भी मिलने का अवसर प्राप्त हुआ। अभी शाम नहीं हुई थी अतः उन्होंने सुझाव दिया कि सक्खर शहर में मासूम शाह ऐतिहासिक मीनार है, अतः आज के दिन का पूर्ण उपयोग किया जाए। हम सब तीन कारों में भरकर लगभग आधे घंटे में मारवाड़ी मोहल्ले में स्थित मीनार पर पहुंच गए। मीनार के बारे में वहां बताया गया कि इसका निर्माण 1607 ईस्वी में सैयद निजामुद्दीन, जो मासूम शाह के नाम से प्रसिद्ध हैं, ने कराया था। इसके निर्माण में लगभग 20 वर्ष लगे। मासूम शाह डॉक्टर के साथ-साथ इतिहासकार भी थे। उन्होंने 'तारीखे सिंध' के शीर्षक से सिंध के इतिहास पर किताब लिखी जो 1620 में में प्रकाशित हुई। वह बादशाह अकबर के विश्वास पात्र अफसर थे तथा उनके द्वारा 1595 ईस्वी में पन्नी अफ़ग़ान से युद्ध के समय बादशाह की फौज का नेतृत्व किया गया था। जिसमें वह विजयी हुए थे और अफगानिस्तान, अकबर के शासन के नियंत्रण में आ गया था। इसके फलस्वरूप उन्हें 1598 में सिंध का गवर्नर नियुक्त कर दिया गया था। उसी के पश्चात उनके द्वारा यह मीनार बनवाई गई थी।
मीनार लाल ईटों की गोलाकार में है जिसके ऊपर गुंबज बनाया गया है। मीनार की ऊंचाई और गोलाई 84 फुट है और इसमें ऊपर जाने के लिए गोलाई में 84 सीढ़ियां बनाई गई है अतः इसमें 84 अंक का विशेष महत्व है, परन्तु इसका कारण झात नहीं हो सका। वहां उपस्थित एक व्यक्ति ने बताया कि मीनार के ऊपर से समस्त शहर को देखा जा सकता है। उसने बताया कि सरकार द्वारा उचित ध्यान न दिए जाने के कारण मीनार क्षतिग्रस्त हो रही है। इसके अतिरिक्त इसके आस पास बहुत सी बिल्डिंग्स बन जाने के कारण इसकी सुंदरता कम हो गई है। उसने यह भी बताया कि मीनार के परिसर में मासूम शाह और उनके परिवार के सदस्यों की कबरें हैं। हमने वहां के कुछ फोटोग्राफ लिए।
मीनार देखने के बाद जब हम वापस चले तो हमारे संबंधियों ने हमसे पूछा कि यह मीनार आपको कैसी लगी। हमने कहा कि अच्छी है परंतु दिल्ली में बनी कुतुब मीनार की तुलना में कुछ नहीं है बल्कि यह समझें कि यह उसका एक बच्चा है। हमारे यह बताने पर उन्हें कुतुब मीनार के विषय में जानने की उत्सुकता उत्पन्न हुई। क्योंकि वे सब विभाजन के पश्चात पाकिस्तान में पैदा हुए थे तथा उन्होंने कुतुब मीनार नहीं देखी थी। हमने उन्हें बताया कि कुतुब मीनार की ऊंचाई मासूम शाह मीनार की ऊंचाई 84 फुट की तुलना में 238 फुट है अर्थात लगभग 3 गुना ऊंची है। इसी प्रकार कुतुब मीनार की धरातल पर गोलाई 146 फुट है जबकि मासूम शाह मीनार की गोलाई मात्र 84 फुट है। कुतुब मीनार का निर्माण मासूम शाह मीनार से लगभग 300 वर्ष पूर्व हुवा है। इसके अतिरिक्त कुतुब मीनार ईंटों से बनी विश्व की सबसे ऊंची मीनार है तथा तीन विश्व धरोहर में से एक है।
हमारे तुलनात्मक विवरण को सुनने के पश्चात उनके दिल में कुतुब मीनार के बारे में और अधिक जानने की इच्छा पैदा हुई। हमने उन्हें आगे बताया कि कुतुब मीनार का निर्माण 1193 ईस्वी में दिल्ली सल्तनत के संस्थापक और गुलाम वंश के पहले सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक ने आरंभ कराया था। इस पर हमारे एक भाई कहने लगे, क्या इसीलिए इसका नाम कुतुब मीनार है? हमने कहा नहीं कुतुब मीनार एक बुजुर्ग सुफी कुतुबुद्दीन बख्तियार काफी की याद में बनाने के कारण इसका नाम कुतुब मीनार पड़ा। परंतु केवल भूतल तथा प्रथम तल बनवाने के पश्चात कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु हो गई थी तथा उसके दामाद एवं उत्तराधिकारी इल्तुतमिश के द्वारा इसके द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ तलो का निर्माण कराया गया।
अंत में अंतिम और पांचवें तल का निर्माण 1368 ईस्वी में फिरोज शाह तुगलक के द्वारा कराया गया। इसके हर तल पर झरोखे बने हैं। तीसरी मंजिल के झरोखे से आसपास का सुंदर नज़ारा दिखाई देता है। हम से प्राप्त जानकारी से वे सभी प्रभावित हुए। वापसी में कुछ देर एक बाज़ार में रुके। वहां बहुत भीड़ थी और काफी रौनक थी। यहां चौराहे पर अति सुंदर घंटाघर बना था जिसके कारण इसे घंटाघर बाज़ार कहते हैं। यहां सक्खर की मशहूर खजूरें भी मिल रही थीं। उन्होंने ने बताया कि सक्खर के आसपास खजूरों के बहुत बड़े बड़े बाग़ हैं। सक्खर पाकिस्तान के एतिहासिक एवं बड़े शहरों में गिना जाता है। यहां पर बेगम नुसरत भुट्टो के नाम से हवाई अड्डा भी है। समय अधिक हो गया था अतः हम सब मौसी की पुत्री के घर वापस आ गए।
रात को खाना खाने के पश्चात सब एक जगह एकत्रित हो गए। अब तक पाकिस्तान में जो एतिहासिक और पर्यटक स्थल हमने देखे थे उनके विषय में चर्चा होने लगी। कुछ ही देर में बहस इस पर आरंभ हो गई कि पाकिस्तान अच्छा है अथवा हिंदुस्तान। वह पाकिस्तान की अच्छाइयां गिनवाते रहे और हम अपने देश भारत की अच्छाइयां गिनवाते रहे। बहस का अंत ना होते देखकर हमने कहा कि तुलना बराबर वाले से की जाती है। भारत के सामने पाकिस्तान का कोई अस्तित्व नहीं है। हमारे एक राज्य उत्तर प्रदेश के बराबर भी नहीं है। दूसरे हमारा देश आत्मनिर्भर है जबकि पाकिस्तान में बहुत-सी वस्तुएं दूसरे देशों से आयात की जाती हैं। अगले दिन सुबह क्योंकि मोहनजोदाड़ो के लिए प्रस्थान करना था अतः बहस को समाप्त करके सब सोने की तैयारी करने लगे।
(जारी)
मंजर जैदी
© Manjar Zaidi
भारत के वह ऐतिहासिक स्थल जो अब पाकिस्तान में हैं. (16)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2022/07/16_27.html
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