Sunday, 3 July 2022

मंजर जैदी / भारत के वह ऐतिहासिक स्थल जो अब पाकिस्तान में हैं (1)

बस द्वारा दिल्ली से लाहौर की यात्रा ~

कुछ समय पूर्व अपने निकटतम संबंधी की शादी के अवसर पर पाकिस्तान जाने का अवसर प्राप्त हुआ। पाकिस्तान उच्चायोग से शादी का कार्ड दिखाकर वीज़ा प्राप्त करने में कोई कठिनाई नहीं हुई परंतु पाकिस्तान उच्च आयोग में वीज़ा देने के लिए उचित व्यवस्था नहीं की गयी है। उसका मुख्य द्वार बंद रहता है जो नियमित समय पर खुलता है परंतु वीज़ा लेने आए व्यक्तियों की लाइन सवेरे से लग जाती है। गेट के बाहर घंटों लाइन में खड़े हर आयु के लोगों के सर पर ना गर्मी की धूप से और ना बरसात की बारिश से बचने के लिए कोई साया है। पहले विचार था कि हवाई जहाज से सीधे कराची पहुंच जाएंगे परंतु पूर्व में पाकिस्तान की यात्रा कर चुके कुछ संबंधियों ने सुझाव दिया कि बस का सफर बहुत रोचक है। डॉक्टर अंबेडकर बस टर्मिनल से बस द्वारा दिल्ली से लाहौर का टिकट मात्र 1500 रुपए में बुक हो गया। यह बस दिल्ली से लाहौर सप्ताह में केवल रविवार को छोड़कर शेष सभी दिन चलती थी जिसमें 3 दिन दिल्ली परिवहन निगम द्वारा और 3 दिन पाकिस्तान पर्यटन विकास निगम द्वारा चलाई जाती थी। यह बस सेवा भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेई के द्वारा 1999 में आरंभ की गई थी तथा बस के इनॉगरेशन के समय वह स्वयं इस बस से लाहौर गए थे। प्रसिद्ध अभिनेता श्री देव आनंद भी इस सफर में उनके साथ थे। 

नियत तिथि को सामान सहित प्रातः 4:00 बजे डॉक्टर अंबेडकर बस टर्मिनल पहुंच गए। सामान की चेकिंग के पश्चात सामान का वज़न लिया गया। प्रातः 5:30 बजे बस आ गई और परिवहन निगम के कुलियों  द्वारा सामान बस में रख दिया गया। बस पर दोनों देशों के राष्ट्रीय ध्वज लगे हुए थे तथा बस पर 'सदा ए सरहद' लिखा था जिसका अर्थ है 'बॉर्डर की आवाज'। अपने निर्धारित  समय 6:00 बजे बस बाहर निकली।  बाहर निकलने पर देखा कि मार्ग का संपूर्ण ट्रैफिक हमारी बस के कारण रुका हुआ है और हमारी बस के आगे पुलिस की गाड़ी चल रही है। यह देख कर बड़ी प्रसन्नता हुई कि मात्र 1500 रुपए व्यय करके हम वी आई पी बन गए हैं। बस एयर कंडीशन थी।  तथा उसमें दो टीवी स्क्रीन लगे थे जिसमे हिंदुस्तानी फिल्म चल रही थी। बस में मोबाइल फोन सहित समस्त सुविधाएं उपलब्ध थी। बस में पाकिस्तानी नागरिक भी थे। 

लगभग 165 किलोमीटर चलने के पश्चात हरियाणा के शहर पीपली के 'प्रकीट टूरिस्ट कंपलेक्स' में बस रुकी जहां पुलिस की समुचित व्यवस्था में यात्रियों को जलपान कराया गया। इसके पश्चात लगभग 100 किलोमीटर चलने के बाद बस पंजाब के शहर  सरहिंद में 'बोगनविलिया कंपलेक्स' में रुकी जहां विभिन्न रंगों के बौगनविलिया के फूल बहुत सुंदर लग रहे थे। यहां एक विशेषता यह थी कि कंपलेक्स के एक और बड़ी नहर बह रही थी जिस में पैंटून डालकर फ्लोटिंग यानी पानी के ऊपर तैरता हुआ रेस्टोरेंट्स बनाया हुआ था। बस यहां  से 150 किलोमीटर चलकर पंजाब के शहर करतारपुर में रुकी जहां दोपहर का भोजन कराया गया। बस के यात्रियों के द्वारा भोजन अथवा जलपान करते समय किसी अन्य व्यक्ति का प्रवेश रेस्टोरेंट में वर्जित था। इसके अतिरिक्त संपूर्ण यात्रा के दौरान बस के आगे पुलिस की गाड़ी चलती रही जो किसी भी चौराहे पर लाल लाइट पर भी नहीं रुकती थी। 

यहां से चलकर बस भारत व पाकिस्तान के बॉर्डर पर रुकी जहां इमीग्रेशन व कस्टम की औपचारिकताएं पूर्ण की गई। यहां पर भारत व पाकिस्तान दोनों देशों के ध्वज आमने-सामने लहरा रहे थे। इसके पश्चात बस बाघा बॉर्डर में स्थित पाकिस्तान पर्यटन विकास निगम के मोटल पर रुकी जहां संध्या के जलपान की व्यवस्था थी। यहां हमने पासपोर्ट दिखाकर पाकिस्तानी मोबाइल सिम भी प्राप्त किया। कुछ देर बाद बस लाहौर के लिए रवाना हो गई। यहां बस के साथ पुलिस सुरक्षा और अधिक हो गई। पुलिस की एक खुली जीप और मोटरसाइकिल बस के आगे और एक पुलिस की गाड़ी बस के पीछे चलने लगी। लगभग 450 किलोमीटर की यात्रा 13 घंटों में पूर्ण करके हम शाम 7:00 बजे लाहौर पहुंच गए। 

बस स्टैंड से बाहर निकले तो हमारी बहन और उनके पति हमारे स्वागत के लिए उपस्थित थे। हम उनके साथ कार में बैठाकर घर के लिए रवाना हो गए। लाहौर पाकिस्तान का खूबसूरत शहर है और वहां का मौसम भी दिल्ली जैसा था। रास्ते में बाजार से गुजरते हुए हमें भारत और पाकिस्तान में कोई अंतर नहीं दिखाई दिया सिवाय इसके कि वहां दुकानों के बोर्ड उर्दू और अंग्रेज़ी में लिखे हुए थे। वरना उसी प्रकार सड़कों और बाजारों में भीड़। उसी प्रकार मोटरसाइकिल सवार हमारी कार के दाएं और बाएं दोनों ओर से आगे निकलते हुए दिखाई दिए। एक अंतर यह दिखाई दिया कि वहां साइकिल रिक्शा नहीं चल रहे थे।.    
(जारी) 

मंजर ज़ैदी
© Manjar Zaidi 

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