Monday, 25 July 2022

मंजर जैदी / भारत के वह ऐतिहासिक स्थल जो अब पाकिस्तान में हैं (14)

ऐतिहासिक शहर - मुल्तान ~
 

प्रातः 8:00 बजे लाहौर से कार के द्वारा रवाना हुए। अच्छी फोरलेन की  नेशनल हाईवे थी, परंतु रावलपिंडी से लाहौर आने वाली मोटर-वे की तरह नहीं थी।  इस पर सभी प्रकार के वाहन चल रहे थे जबकि उस पर केवल चार पहिया वाहन ही चलते हैं। यहां कार की गति सीमा भी 120 के स्थान पर 100 किलोमीटर प्रति घंटा थी। अभी हमारी कार, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में चल रही थी। यहां चारों ओर भारत के पंजाब की तरह काफी हरियाली थी। खेतों में भी फसल खड़ी हूई थी। हमारी बहन का छोटा बेटा हमारी सीट के पीछे कार में लगे स्क्रीन पर पाकिस्तानी फिल्म 'तेरे बिन लादेन' देख रहा था। यह फिल्म  हिंदुस्तानी सिनेमा घर में हम देख चुके थे इसलिए डायलॉग सुनकर फिल्म का आनंद हम अगली सीट पर बैठ कर भी ले रहे थे। हमारी मौसी के बेटे अनवर ने हमें मुल्तान बस स्टैंड पर मिलने के लिए कहा था। लगभग 5 घंटे में 350 किलोमीटर की यात्रा करके हम 1:00 बजे दोपहर में मुल्तान पहुंच गए।

बस स्टैंड काफी बड़ा था और बाहर काफी बसें खड़ी थीं। हम अंदर बैठकर अनवर की प्रतीक्षा करने लगे। थोड़ी ही देर में अनवर भी वहां पहुंच गए। उन्होंने घड़ी देखते हुए कहा कि सबसे पहले खाना खाया जाए उसके बाद अगला प्रोग्राम तय करेंगे। वह हमें एक पॉश इलाके के होटल में ले गए। खाना खाते समय हमने उनसे मुल्तान के बारे में जानकारी प्राप्त की। 

उन्होंने बताया कि मुल्तान साउथ एशिया के कुछ प्राचीन शहरों में एक है तथा पाकिस्तान के प्राचीन शहरों में  पेशावर के बाद दूसरे नंबर पर है। यह लगभग 18 लाख जनसंख्या वाला पाकिस्तान का सातवां बड़ा शहर है।  एलेग्जेंडर द ग्रेट के जमाने में यहां सूर्य मंदिर था जहां सूर्य देवता की पूजा होती थी। मुल्तान के हाईकोर्ट के समीप इसके अवशेष उपलब्ध हैं। इस्लाम से पूर्व मुल्तान में हिंदू , बुद्धिस्ट और आदिवासी प्रजातियां रहती थी। उन्होंने बताया कि मुल्तान में अन्य मंदिर भी हैं जैसे प्रह्लाद मंदिर, नरसिंह पुरी मंदिर वगैरह। 11वीं और 12वीं शताब्दी में ईरान और अरब से यहां बहुत से औलिया इकराम आए जिनमें हजरत बहाउद्दीन जकरिया, शाह रुकने आलम, शाह शम्स तबरेज, शेख़ सदरुद्दीन आरिफ, शेख़ ज़ियाउद्दीन, शेख़ बुरहानुद्दीन एवं शाह यूसुफ गर्देज़ मुख्य हैं। इनमें कुछ के मज़ार अभी भी मुल्तान में मौजूद हैं। इसलिए मुल्तान को सूफियों का शहर भी कहा जाता है। 

इसके अतिरिक्त मुल्तान हैंडीक्राफ्ट, विशेष रूप से पौटरी के काम के लिए भी प्रसिद्ध है। मुल्तान का हाजी का सोहन हलवा भी बहुत प्रसिद्ध है। खाना खाकर हम होटल से बाहर निकले और मुल्तानी सोहन हलवे की तलाश में चल पड़े। मुल्तान से 285 किलोमीटर दूर रहीम यार खान नामक शहर में अनवर की बहन की शादी हुई है अतः हम सबको वहां जाना था। जल्दी जल्दी हम शाह रुकने आलम और हजरत बहाउद्दीन जकरिया के मजारों पर गए। वहां फातिहा पढ़ी और बाहर आ गए। वक्त की कमी के कारण वहां बैठकर कव्वाली भी नहीं सुन सके। मज़ारों की फोटो खींची जो लगाई जा रही हैं। 

लगभग 4 घंटे की यात्रा के पश्चात हम रात में पाकिस्तान के शहर रहीम यार खान पहुंच गए।  वहां सब लोग बहुत स्नेह और प्रेम से मिले। यह पुराने स्टाइल की बड़ी सी हवेली थी जिसमें बड़े-बड़े कमरों के अलावा बड़ा सा दालान और आंगन भी था। देर रात तक विभिन्न विषयों पर बातें होती रही और वे सब भारत में रह रहे अन्य सम्बन्धियों के बारे मे जानकारी लेते रहे। अगले दिन के प्रोग्राम पर भी चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि कराची जाते समय सक्खर शहर के निकट एक प्राचीन साधु बेला मंदिर है जिसकी विशेषता यह है कि वह सिंधु नदी के बीच में एक टापू पर स्थित है। इसके अतिरिक्त सक्खर के निकट ही मोहनजोदाड़ो के अवशेष हैं जहां होते हुए कराची जा सकते हैं। उनका यह प्रस्ताव हमें अच्छा लगा। अतः अगले दिन सुबह 9:00 बजे नाश्ता करके हम सक्खर शहर के लिए चल पड़े।
(जारी) 

मंजर जैदी
© Manjar Zaidi

भारत के वह ऐतिहासिक स्थल जो अब पाकिस्तान में हैं (13) 
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2022/07/13_21.html 
#vss

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