यह एक तार ( टेलीग्राम ) का मज़मून है जो भगत सिंह और उनके साथियों द्वारा रूसी क्रांति के नायक वीआई लेनिन की मृत्यु वार्षिकी पर भेजा गया था। फ्रांस की राज्यक्रांति के बाद रूसी समाजवादी क्रांति यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी घटना थी, जिसने दुनिया के सभी देशों के जन आंदोलनों को प्रभावित किया। लेनिन इस रूसी क्रांति के नायक थे। उनकी मृत्यु 21 फ़रवरी को हुई थी।
" 21 जनवरी1930 , लेनिन की मृत्यु वार्षिकी दिवस के एक माह पहले मुक़दमे की तारीख थी। उस दिन दूसरे लाहौर षड़यंत्र केस के सभी अभियुक्त भगत सिंह और उनके साथी, अदालत में लाल रुमाल बांध कर उपस्थित हुए। जैसे ही मजिस्ट्रेट ने अपना आसन ग्रहण किया “समाजवादी क्रान्ति जिन्दाबाद,” “कम्युनिस्ट इंटरनेशनल जिन्दाबाद,” “जनता जिन्दाबाद,” “लेनिन का नाम अमर रहेगा,” और “साम्राज्यवाद का नाश हो” के नारे लगाये। इसके बाद भगत सिंह ने अदालत में तार का मजमून पढ़ा और मजिस्ट्रेट से इसे तीसरे इंटरनेशनल को भिजवाने का आग्रह किया। "
तार का मज़मून इस प्रकार है।
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तार का मज़मून इस प्रकार है।
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" लेनिन दिवस के अवसर पर हम उन सभी को हार्दिक अभिनन्दन भेजते हैं जो महान लेनिन के आदर्शों को आगे बढ़ाने के लिए कुछ भी कर रहे हैं। हम रूस द्वारा किये जा रहे महान प्रयोग की सफलता की कमाना करते हैं। सर्वहारा विजयी होगा। पूँजीवाद पराजित होगा। साम्राज्यवाद की मौत हो। "
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यह तार अपने गंतव्य पर अदालत द्वारा भेजा गया या नहीं यह तो मैं नहीं बता पाऊंगा पर मेरा अनुमान है कि यह अपने गंतव्य पर नहीं गया होगा। यह तार रोज़ाना अदालती कार्यवाही की तरह ट्रिब्यून के 22 जनवरी के अंक में छपा था। यह तार, भगत सिंह की विचारधारा को व्याख्यायित करता है।
© विजय शंकर सिंह
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