करेंसी नोट प्रेस, नासिक ने RTI के जवाब में बताया है कि तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल के दस्तखत वाले नए डिजाइन के ₹500 मूल्य के नोट पीएम द्वारा 8/11/2016 को नोटबंदी की घोषणा के 19 महीने पहले 15/04/2015 को छापे गए थे। जबकि उर्जित पटेल RBI के गवर्नर 5/10/2016 में नियुक्त किए गए थे।
स्पष्ट है कि, उर्जित पटेल के आरबीआई गवर्नर नियुक्त होने के 17 महीने पहले ही उनके हस्ताक्षर वाले ₹500 के नोट छाप लिए गए थे।
इतनी बड़ी अनियमितता कैसे हुई ? ऐसे ही नहीं डा.मनमोहन सिंह ने कहा था कि "नोटबंदी एक संगठित लूट है।"
अभी नोटबंदी के ठीक पहले, रहे आरबीआई गवर्नर डॉ रघुराम राजन और नोटबंदी के समय और उसके बाद काफी समय तक, गवर्नर रहे ऊर्जित पटेल, अभी हैं। सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि नोटबंदी पर याचिकाओं की सुनवाई करते समय, इन दोनों महानुभावों को तलब करे और उनसे हलफनामा देकर अपना पक्ष प्रस्तुत करने को कहे।
मैं अब भी इस मत पर दृढ़ हूं कि, नोटबंदी से, देश की आर्थिकी को नुकसान पहुंचा है और अनौपचारिक सेक्टर तबाह हुआ है। इस आर्थिक ब्लंडर का कोई भी लाभ देश को नहीं मिला है। हो सकता हो, बीजेपी को लाभ मिला हो। अब यह कदम, 'जैसे थे', तो नहीं हो सकता पर, देश को आर्थिक रूप से बरबाद करने वाले, वे कौन हैं या थे, उनके बारे में देश को जानने का पूरा हक है।
2014 के बाद गवर्नेंस और राजकाज में ऐसे कई चमत्कार हुए हैं। ईडी प्रमुख को पुनः सेवा विस्तार देकर यह जता दिया गया है कि, वे इस सरकार के लिए कितने अपरिहार्य हैं। उनके बिना कोई ऑपरेशन संभव ही नहीं। इतने काबिल अफसर को जीवन पर्यंत के लिए ईडी का निदेशक बना देना चाहिए। आखिर योगता की कद्र तो होनी ही चाहिए !
The Hindu, अखबार की एक खबर के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, केएम जोसेफ़ ने, मुख्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर की जा रही नियुक्तियों पर कुछ सवाल उठाये और कहा कि केंद्र विगत 2015 से 2022 तक, 7 सालों में, 8 सीईसी की नियुक्ति कर, दिखावटी स्वतंत्रता की नीति पर चल रहा है।
सीईसी का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 साल की उम्र तक निर्धारित है और उसे केवल, संसद में, महाभियोग प्रस्ताव लाकर ही हटाया जेसे सकता है। जस्टिस जोसेफ ने कहा है कि,
"जिनकी 65 वर्ष उम्र होने में कुछ दिन बचे थे, उन्हें इस पद पर बैठाया गया। 2004 से यह नीति अपनाई जा रही है।"
2004 से 20012 तक 6 मुख्य निर्वाचन आयुक्त, और 2015 से 2022 तक 8 मुख्य निर्वाचन आयुक्त हुए हैं। यह एक प्रकार की दिखावटी आज़ादी प्रदान करना हुआ।
(विजय शंकर सिंह)
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