Thursday, 3 November 2022

"पुल के केबल में जंग लगा था, मरम्मत नहीं हुई थी" - पुलिस ने कोर्ट को बताया,पर मैनेजर ने कहा, यह ईश्वर की इच्छा थी / विजय शंकर सिंह

मोरबी के डीएसपी, पीए झाला जो, इस पुल दुर्घटना के विवेचक हैं ने, मंगलवार को अदालत में कहा कि, 
"सस्पेंशन ब्रिज (झूलता पुल) की केबल "जंग लगी" थी और केबल को, फिर से जोड़ दिया गया होता, तो यह घटना नहीं घटती।"
दीपक पारेख, ओरेवा कंपनी के प्रबंधकों में से एक हैं को, रखरखाव के लिए, पुलिस ने  जिम्मेदार बताया हैं।

नौ गिरफ्तार लोगों में से, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट CJM अदालत को बताया कि 
"यह भगवान (भगवान नी इच्छा) की इच्छा थी कि, यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई।"

गिरफ्तार किए गए नौ में से चार अभियुक्तों की 10 दिन की रिमांड की मांग, अदालत से करते हुए, डीएसपी झाला ने अदालत में, जुबानी कहा कि, 
"अनुमेय क्षमता निर्धारित किए, और सरकार की मंजूरी लिए बिना, पुल 26 अक्टूबर को खोल दिया गया था। वहां कोई जीवन रक्षक उपकरण नहीं था। रखरखाव और मरम्मत के हिस्से के रूप में, केवल प्लेटफॉर्म (डेक) को बदला गया था। एफएसएल (फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) की रिपोर्ट के अनुसार कोई अन्य मरम्मत का कार्य नहीं किया गया था।"

आगे कहा,
"पुल एक केबल पर था, और केबल की तेल या ग्रीसिंग नहीं की गई थी। जहां से केबल टूट गई थी, वह बुरी तरह से, जंग खाई थी। अगर केबल की मरम्मत कर, उसे फिर से जोड़ दिया गया होता, तो यह घटना नहीं होती। मरम्मत करने से संबंधित,कोई, दस्तावेज भी नहीं है कि, मरम्मत कैसे की गई और मरम्मत में क्या किया गया।" 

अदालत मे जो पुलिस ने कहा, उसके मुख्य विंदु इस प्रकार हैं, 
० तथ्य-1: 
मोरबी पुल 134 साल पुराना था। और उसकी जंजीरों में जंग लग गया था। नया बनने पर एक साथ केवल 15 लोगों के चढ़ने की छूट थी। जबकि गिरने के समय 300 लोग उस पर सवार थे।

तथ्य-2: 
मिल के मैनेजरों के मुताबिक कोई वैज्ञानिक और तकनीकी मूल्यांकन नहीं किया गया। उनकी केवल वेल्डिंग और मरम्मत का काम पूरा करने की जिम्मेदारी थी।

तथ्य-3: 
पहले पुल का फर्श लकड़ी का था। लेकिन 2007 में उसे बदलकर  तीन लेयर की एल्युमिनियम की फर्श डाल दी गई। और मौजूदा मरम्मत में एक लेयर और बढ़ा दी गई। भार बढ़ता गया।

तथ्य-4: 
सुपरविजन की ड्यूटी पर लगाए गए दो मैनेजरों में पारेख अरेवा के मीडिया मेनेजर थे और दूसरे दवे उसका क्लॉक डिवीजन देखते थे। दोनों महज कॉमर्स ग्रेजुएट हैं। कोई तकनीकी अनुभव नहीं।

तथ्य-5
:applied mechanics के एक एक्सपर्ट के मुताबिक मरम्मत के समय लोड टेस्टिंग,भूकंप मूल्यांकन, हवा का मूल्यांकन और internal resonance condition का अध्ययन आवश्यक शर्तों में शामिल है

आखिरी तथ्य: 
ऊपर की सभी बातें मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश की गई हैं। और आखिरी सच यह है कि पीएम मोदी के साथ घड़ी बनाने वाली अरेवा के मालिकान के घनिष्ठ रिश्ते हैं।

ईश्वर पहली बार, किसी प्रशासनिक अक्षमता के कारण हुये हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। अब अदालत, ईश्वर को तो तलब कर नहीं सकती है। पर गवर्नेंस का यह एक नया मॉडल है कि, अब गड़बड़ियों और निकम्मेपन की जिम्मेदारी ईश्वर पर थोप कर अकाउंटीबिलिट का एक नया तर्क गढ़ा जा रहा है। यही गुजरात मॉडल है। 
हे ईश्वर !!

ओरेवा ग्रुप में पीएम केयर्स फंड में कितना चंदा दिया है और कितने के इलेक्टोरल बांड खरीदे हैं, इसे सार्वजनिक किया जाय।

(विजय शंकर सिंह)

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