Tuesday, 14 November 2017

जवाहरलाल नेहरू की जेल यात्राओं का विवरण / विजय शंकर सिंह

                                                                                   

सोशल मीडिया पर यह बात भी गाहे बगाहे कही जाती है कि जवाहरलाल नेहरू को किसी नियमित जेल में नहीं बल्कि आरामदायक डाक बंगले में रखा जाता था । उन्हें ब्रिटिश सरकार विशेष सुविधा देती थी । यह बात सच नही है।  

नेहरू विरोधियों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वे नेहरू के बारे में कोई भी अध्ययन करने से कतराते हैं । उन्हें या तो नेहरू के लेखन और विचारों से भय लगता है कि कहीं उनका हृदय परिवर्तन न हो जाय या तो वे नेहरू के प्रति इतने अधिक घृणा भाव से आवेशित हैं कि वे उनके लिखी किताबों के पन्ने पलटना भी नहीं चाहते । वे यह छोटी सी बात समझ नहीं पाते हैं कि किसी के भी विचार का विरोध करने के पहले उसके विचारों का अध्ययन करना ज़रूरी है । नेहरू अपने जीवन मे कुल 20 बार अलग अलग जेलों में रहे। कुल अवधि साढ़े नौ साल के लगभग है । यह सूचना नेहरू स्मारक संग्रहालय तीन मूर्ति भवन जो उनका, उनकी मृत्यु तक सरकारी आवास रहा, से ली गयी है और गूगल पर भी उपलब्ध है । 

नेहरू, को सावरकर जैसा कष्ट नहीं भोगना पड़ा , यह भी एक सच है। सावरकर के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा था । वे अंडमान के जेल में थे । वहां उन्हें बहुत यातनाएं दी गयी। देशद्रोह के आरोप में तिलक भी मांडले जेल में रहे । लेकिन नेहरू को कभी देशद्रोह का आरोपी नहीं बनाया गया था । 1924 में गांधी के ऊपर देश द्रोह का मुकदमा चला था । गांधी ने जुर्म स्वीकार करते हुये देशद्रोह की सज़ा जो 6 साल की उन्हें मिली थी, वह भुगत भी ली थी।  उसके बाद देशद्रोह का मुक़दमा क्रांतिकारी आंदोलन कारियों पर चला । नेहरू एक राजनैतिक बंदी थे। जेल मैनुअल के अनुसार राजनीतिक और ग्रेजुएट बंदियों को लिखने पढ़ने और अन्य सुविधाएं देने का प्राविधान है । जो वे लिखते थे उसे जेल और सीआईडी विभाग के लोगों की नज़र में भी था। नेहरू ने अपनी सारी पुस्तकें जेलों में ही लिखी। आज भी जेल में कोई कैदी लिखना पढ़ना चाहे तो उसे सुविधाएं और पुस्तके उपलब्ध करायीं जाती है । गांधी ज़रूर सामान्य जेल में नहीं रखे जाते थे । वे आगा खान पैलेस में अधिकतर बंदी बना कर रखे गए थे । इसका मुख्य कारण उनकी वैश्विक क्षवि, उनका खराब स्वास्थ्य भी था ।

जेल यात्रा का विवरण प्रस्तुत है ।
1. 6 दिसंबर 1921 से 3 मार्च 1922, लखनऊ जिला जेल, 88 दिन ।
2. 11 मई 1922 से 20 मई 1922 , इलाहाबाद जिला जेल, 10 दिन ।
3. 21 मई 1922 से 31 जनवरी 1923, लखनऊ जिला जेल, 256 दिन ।
4. 22 सितंबर 1923 से 4 अक्टूबर 1923, नाभा जेल, 12 दिन ।
5. 14 अप्रैल 1930 से 11 अक्तूबर 1930, नैनी सेंट्रल जेल, इलाहाबाद, 181 दिन ।
6. 19 अक्टूबर, 1930 से 26 जनवरी, 1931, नैनी सेंट्रल जेल इलाहाबाद, 100 दिन ।
7. 26 दिसंबर 1931 से 5 फरवरी, 1932, नैनी सेंट्रल जेल, इलाहाबाद, 42 दिन ।
8. 6 फरवरी, 1932 से 6 जून, 1932, बरेली जिला जेल, 122 दिन ।
9. 6 जून 1932 से 23 अगस्त 1933, देहरादून जेल, 443 दिन ।
10. 24 अगस्त, 1933 से 30 अगस्त, 1933, नैनी सेंट्रल जेल, इलाहाबाद, 7 दिन ।
11. 12 फरवरी 1934 से 7 मई 1934, अलीपुर सेंट्रल जेल कलकत्ता, 85 दिन ।
12, 8 मई 1934 से 11 अगस्त 1934, देहरादून जेल, 96 दिन ।
13. 23 अगस्त, 1934 से 27 अगस्त, 1934, नैनी सेंट्रल जेल, इलाहाबाद, 66 दिन ।
14. 28 अक्टूबर, 1934 से 3 सितंबर, 1935, अल्मोड़ा जेल, 311 दिन ।
15. 31 अक्टूबर 1940 से 16 नवम्बर 1940, गोरखपुर जेल, 17 दिन ।
16. 17 नवम्बर, 1940 से 28 फरवरी, 1941, देहरादून जेल, 104 दिन ।
17. 1 मार्च 1941 से 3 दिसंबर 1941, लखनऊ जिला जेल, 49 दिन ।
18. 19 अप्रैल 1941 से 3 दिसंबर, 1941, देहरादून जेल, 229 दिन ।
19. 9 अगस्त, 1942 से 28 मार्च, 1945, अहमदनगर किला जेल, 963 दिन ।
20,  30 मार्च, 1945 से 9 जून, 1945, बरेली सेंट्रल जेल, 72 दिन ।


1. From 6 December, 1921 To 3 March, 1922 Lucknow District Jail, 88 days.
2. From 11 May, 1922 To 20 May, 1922 Allahabad District Jail, 10 days
3. From 21 May, 1922 To 31 January, 1923 Lucknow District Jail, 256 days
4. From 22 September, 1923 To 4 October, 1923 Nabha Jail, 12 days
5. From 14 April, 1930 To 11 October, 1930 Naini Central Prison, Allahabad, 181 days
6. From 19 October, 1930 To 26 January, 1931 Naini Central Prison, Allahabad, 100 days
7. From 26 December, 1931 To 5 February, 1932 Naini Central Prison, Allahabad, 42 days
8. From 6 February, 1932 To 6 June, 1932 Bareilly District Jail, 122 days
9. From 6 June, 1932 To 23 August, 1933 Dehra Dun Jail, 443 days
10. From 24 August, 1933 To 30 August, 1933 Naini Central Prison, Allahabad, 7 days
11. From 12 February, 1934 To 7 May, 1934 Alipur Central Jail, Calcutta, 85 days
12. From 8 May, 1934 To 11 August, 1934 Dehra Dun Jail, 96 days
13. From 23 August, 1934 To 27 August, 1934 Naini Central Prison, Allahabad, 66 days
14. From 28 October, 1934 To 3 September, 1935 Almora Jail, 311 days
15. From 31 October, 1940 To 16 November, 1940 Gorakhpur Jail, 17 days
16. From 17 November, 1940 To 28 February, 1941 Dehra Dun Jail, 104 days
17. From 1 March, 1941 To 18 April, 1941 Lucknow District Jail, 49 days
18. From 19 April, 1941 To 3 December, 1941 Dehra Dun Jail, 229 days
19. From 9 August, 1942 To 28 March, 1945 Ahmadnagar Fort Prison, 963 days
20. From 30 March, 1945 To 9 June, 1945 Bareilly Central Prison, 72 days.

इस प्रकार जो लोग यह बराबर दुर्भावना वश यह दुष्प्रचार करते रहते हैं कि जेल , नेहरू के लिए आरामदायक गेस्ट हाउस था , उन्हें यह समझ लेना चाहिये कि वे एक भी दिन के लिये किसी गेस्ट हाउस में नहीं गए । उन्होंने जेल यात्रा का समय पढ़ने, किताबें लिखने आदि में उपयोग किया । एक भी याचिका या प्रार्थना पत्र उन्होंने खुद को छोड़ने के लिये नहीँ दिया । सरकार उन्हें आवश्यकता अनुसार वार्ता के लिये ही छोड़ती रहती थी। लखनऊ जेल में जिस कोठरी में बंद थे उसे एक स्मारक के रूप में बदल दिया गया था। पर जब उत्तर प्रदेश में मायावती की सरकार आयी तो जेल को आलमबाग से शहर के बाहर स्थानांतरित किया गया तो वह जेल पूरी की पूरी तोड़ दी गयी। उनका वह कमरा हो नैनी जेल में था आज भी सुरक्षित रखा गया है । 

अपनी भारतीयता पर ज़ोर देने वाले नेहरू में वह हिन्दू प्रभामंडल और छवि कभी नहीं उभरी, जो गाँधी के व्यक्तित्व का अंग थी। अपने आधुनिक राजनीतिक और आर्थिक विचारों के कारण वह भारत के युवा बुद्धिजीवियों को अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ गाँधी के अहिंसक आन्दोलन कि ओर आकर्षित करने में और स्वतन्त्रता के बाद उन्हें अपने आसपास बनाए रखने में सफल रहे। पश्चिम में पले-बढ़े होने और स्वतन्त्रता के पहले यूरोपीय यात्राओं के कारण उनके सोचने का ढंग पश्चिमी साँचे में ढल चुका था। 17 वर्षों तक सत्ता में रहने के दौरान उन्होंने लोकतांत्रिक समाजवाद को दिशा-निर्देशक माना। उनके कार्यकाल में संसद में कांग्रेस पार्टी के ज़बरदस्त बहुमत के कारण वह अपने लक्ष्यों की ओर अग्रसर होते रहे। लोकतन्त्र, समाजवाद, एकता और धर्मनिरपेक्षता उनकी घरेलू नीति के चार स्तंभ थे। वह जीवन भर इन चार स्तंभों से सुदृढ़ अपनी इमारत को काफ़ी हद तक बचाए रखने में कामयाब रहे। अंत में यह प्रसंग पढ़ें, एक बार  चर्चिल ने उनसे पूछा था
"आप हमारी हुकूमत के दौरान कितने साल जेल में रहे।"
नेहरू ने कहा,
"दस वर्ष के लगभग।"
चर्चिल बोले,
"फिर तो आपको हम लोगों से नफ़रत करनी चाहिए।"
उन्होंने कहा,
"हम लोग गाँधी के शिष्य हैं । उन्होंने दो बातें सिखाईं डरो मत। दुसरी घृणा बुराई से करो व्यक्ति या समाज से नहीं। हम डरे नहीं ,जेल गए। अब घृणा किसे करें।"

© विजय शंकर सिंह

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