Tuesday, 4 October 2022

एक निंदनीय और शर्मनाक कृत्य / विजय शंकर सिंह

टेलीग्राफ की इस खबर पर कि,
"एक दुर्गा पूजा पंडाल में वे, गांधी जी को महिषासुर के रूप के दिखा रहें हैं," पर जिसे हैरानी हो, तो हों, पर मुझे इन घृणावादी धर्मांध और फासिस्ट सोच वाले संगठन की इस कृत्य से कोई हैरानी नहीं हो रही हैं। 
2022 में गांधी इनके लिए महिषासुर हैं, तो 1945 में गांधी ही नहीं, नेहरू, पटेल, सुभाष, आजाद, राजाजी सहित सभी प्रमुख स्वतन्त्रता संग्राम के योद्धा, इनके लिए रावण थे। हिंदू महासभा और आरएसएस, आजादी के आंदोलन के विरुद्ध अंग्रेजों के मुखबिर थे। 

1945 में अग्रणी पत्र में छपा यह कार्टून देखिए, एक तरफ गांधी और उनके साथ आजादी के लिए लड़ने वाले, अग्रिम पंक्ति के नेता, रावण के दश सिर की तरह हैं, और उनकी हत्या करने के इरादे से तीर खींचता हुआ, माफी मांग कर, 60 रुपए पेंशन पर गुजारा करने वाला और जिन्ना से मिल कर धर्मांध राष्ट्रवाद का सिद्धांतकार, तथा खुद ही खुद को वीर कहने वाला, सावरकर और डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी दूसरी तरफ हैं। 

गांधी को महिषासुर के रूप में चित्रित कर के गांधी का अपमान करने वाले इस संगठन के लोगों ने गांधी का सम्मान ही कब किया है और गांधी का व्यक्तित्व, इनसे सम्मान की अपेक्षा, करता भी नहीं है। पर दुर्गापूजा के इस पावन पर्व पर, क्या यह, अपने निकृष्ट सोच के साथ, दुर्गा को अपमानित और विवादित करना नहीं है? 

(विजय शंकर सिंह

No comments:

Post a Comment