2 दिसंबर 2018 को बुलंदशहर जिले के स्याना गांव में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की निर्मम हत्या भीड़ ने कर दी थी। यह भीड़ जिनकी थी उनमे बजरंग दल के जिला संयोजक भी था जिसका नाम योगेश था। हत्या का कारण गौहत्या से उपजा आक्रोश था। मैंने इस घटना पर लगातार लिखा था। इसका कारण, एक तो पुलिस से मेरा जुड़ाव और दूसरे सुबोध के साथ मेरी निकटता।
काफी हंगामा हुआ। जांच के लिये एसआईटी गठित हुयी। मुल्ज़िम गिरफ्तार हुए। सुबोध को सरकार ने मदद दी। अफसर कुछ बदले गये। अखबारों में छपा। फिर धीरे धीरे सब भूलता गया। यह घटना बस याद रही तो सुबोध के घर परिवार को। मृत्यु का एक रूप यह भी है।
उसी घटना का एक मुल्ज़िम आज जब जमानत पर बाहर आया तो उसका स्वागत जब मैंने टीवी चैनलों पर प्रसारित होते देखा तो मुझे आश्चर्य नहीं हुआ। और अगर सारे मुल्ज़िम अदालत से बरी हो भी जाँय तो भी मुझे हैरानी नहीं होगी। क्योंकि मैं यह बात अंदर तक जानता हूँ कि भीड़ हिंसा के अभियुक्त के खिलाफ अदालत में जुर्म साबित कर पाना, मुश्किल होता है। कारण इसके अनेक हैं । इस पर फिर कभी।
आज जब हत्यारोपी शिखर अग्रवाल, जमानत पर जेल से छूटा तो उसे न केवल उसके समर्थकों ने माला पहना कर उसका स्वागत किया बल्कि उसके स्वागत में वंदे मातरम औऱ भारत माता की जय के नारे लगाए गए। वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे क्या अब भीड़ हिंसा के आरोपियों के लिये भी लगाने की कोई नयी परंपरा और संस्कृति विकसित हो गयी है ? क्या किसी हत्यारोपी के स्वागत में इन नारों के उद्घोष से वंदे मातरम और भारत माता की जय की गरिमा नहीं गिर रही है ? धर्मांध अराजकता और अपराधियों का इस प्रकार का खुल कर महिमामंडन केवल बुलंदशहर, रांची, और दादरी में ही नहीं है बल्कि राजस्थान के जोधपुर में शम्भू रैगर नामक एक बलात्कार के अपराधी के पक्ष में तो पूरा जुलूस ही निकला था।
अभियुक्त के स्वागत और माल्यार्पण की यह घटना आज पहली बार नहीं हो रही है। इसकी नजीर भाजपा सरकार के दो केंद्रीय मंत्रियों ने पहले भी ऐसे माल्यार्पण और सम्मान करके दे दिए हैं। एक तो दादरी के अखलाक हत्याकांड के मुल्ज़िम को जो जेल में मरा था को तत्कालीन केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने तिरंगे में लपेट कर अंतिम यात्रा के लिये रवाना किया। दूसरे झारखंड में जमानत पर छूटे भीड़ हिंसा के मुल्जिमों को तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा द्वारा माल्यार्पण करके सम्मानित करने की घटना। जब यह दो बड़ी नजीरें उपलब्ध हों तो आज की यह घटना उनकी तुलना में सामान्य ही कही जाएगी।
© विजय शंकर सिंह
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