Saturday, 24 August 2019

कश्मीर ब्लैकआउट मामले मे आईएएस अफसर का त्यागपत्र / विजय शंकर सिंह

आईएएस अधिकारी, कन्नन गोपीनाथन ने कश्मीर के नागरिकों के सभी मौलिक अधिकारों के निरस्त किये जाने के कारण अपनी सेवा से त्यागपत्र दे दिया है। वे यूटी कैडर के हैं।

संघ प्रदेश दादरा नगर हवेली में तैनात 2012 बैच के आईएएस अधिकारी गोपीनाथ कन्नन ने भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया है। वे इन दिनों पावर एंड नॉन कन्वेंशनल ऑफ एनर्जी के सेक्रेट्री पद पर कार्यरत थे। वे कश्मीर कैडर के चर्चित आईएएस अधिकारी शाह फैसल के बाद सबसे कम उम्र में अपनी सर्विस से इस्तीफा देने वाले दूसरे आईएएस अधिकारी बन गए हैं।

चर्चा है कि मौजूदा प्रशासनिक कार्यशैली से वे नाखुश थे। हालांकि उन्होंने इसको लेकर कुछ नहीं बोला है, लेकिन इतना जरूरत कहा कि वो अपनी आजादी चाहते हैं। बातचीत में कन्नन ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से उन्हें ऐसा लग रहा था कि वो अपनी सोच को आवाज नहीं दे पा रहे हैं इसलिए अपनी आवाज को वापस पाने के लिए इस्तीफा देने का निर्णय किया।

दैनिक भास्कर ने जब उनके भविष्य के बारे में पूछा कि इस्तीफा के बाद वो क्या करना चाहते हैं? क्या वो भी शाह फैसल की तरह राजनीति में जाएंगे तो उन्होंने फौरी तौर पर इससे साफ इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि अभी ऐसा कुछ भी नहीं सोचा है।

यह फैसला उन्होंने सैद्धांतिक तौर पर लिया है और मैं अपने सिद्धांत के साथ समझौता नहीं कर सकता। मौजूदा सरकार और यूटी प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने अपनी सर्विस नियमावली का हवाला देते हुए कुछ भी बोलने से साफ मना कर दिया। आपको बता दें कि गोपीनाथ कन्नन तब चर्चा में आए थे जब उन्होंने 2018 में केरल में आई भीषण बाढ़ के दौरान राहत सामग्री अपने कंधे पर रखकर लोगों तक पहुंचाई थी। उस दौरान पूरे देश में उनके इस कार्य की सराहना हुई थी।

वहीं पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने केंद्रीय चुनाव आयोग से भी मौजूदा यूटी प्रशासन के बड़े अधिकारियों की शिकायत की थी कि उन्हें प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। इसके बाद उन्हें सिलवासा कलेक्टर पद से हटाकर कम महत्व के विभाग की जिम्मेदारी दे दी गई थी। गोपीनाथ कन्नक सिलवासा कलेक्टर रहते हुए सराहनीय कार्य किया था।

उन्होंने कहा है कि,
वह यह समझ नहीं पा रहे हैं कि कैसे अपने ही देश के एक हिस्से के नागरिकों के सारे मौलिक अधिकार लंबे समय से स्थगित हैं और देश के अन्य भूभाग से इसकी कोई प्रतिक्रिया भी नहीं, जैसे वह किसी दूर देश का एक  भूभाग हो।
वह इस ब्लैकआउट से व्यथित हैं।

2018 में केरल की भीषण बाढ़ में अपनी पहचान छुपा कर पीठ में बोरी लादकर प्रभावितों तक राहत सामग्री पहुंचाने वाले आईएएस गोपीनाथ कन्नन ने सेवा और दायित्व की नयी इबारत लिखी थी। कन्नन, चर्चित आईएएस टॉपर अधिकारी शाह फैसल के बाद सबसे कम उम्र में अपनी सर्विस से इस्तीफा देने वाले दूसरे आईएएस अधिकारी हैं। यह मज़ाक़ और हंसी की बात कुछ लोगों को लग सकती है पर यह सेवाओं के मनोबल पर पड़ रहे असर को भी प्रदर्शित कर रही है। इतनी मेहनत से देश की सर्वोच्च सेवा में चयनित हो जाने के बाद फिर उसे त्याग देना कम हैरानी की बात नहीं है। 

© विजय शंकर सिंह

No comments:

Post a Comment