संविधान की धारा 370, जो कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देती है, और 35 A जो नागरिकता को स्पष्ट करती है को संशोधित करके उसे हटाने का निर्णय सरकार ने लिया है। अब संसद से इसे पारित करने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी होगी तब यह लागू होगा। सरकार ने अपने चुनावी वादे के अनुरूप संकल्प संसद में पेश किया है।
370 औऱ 35 A के हटने से अलगाववाद के विरुद्ध एक मनोवैज्ञानिक वातावरण बनेगा। सरकार राज्य को तीन भाग में विभाजित करने का निर्णय लिया है, जिसमें जम्मू को पूर्ण राज्य का दर्जा और लद्दाख और कश्मीर दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश घोषित किए जा सकते हैं।
हालांकि त्रिविभाजन का यह विचार 2000 ई का है जब सिंधु दर्शन कार्यक्रम में तत्कालीन गृहमंत्री एलके आडवाणी लेह गये थे तो लद्दाख के लोगों ने जम्मू कश्मीर से अलग हो कर केंद्र शासित राज्य बनना चाहा था। तभी से यह विचार भाजपा के थिंक टैंक में है।
जम्मू कश्मीर का एक अलग संविधान है जो संसद द्वारा पारित कानूनों को पुनः पास करता है तभी वह उक्त राज्य में लागू होता है। अभी जम्मू कश्मीर की विधानसभा भंग है। गवर्नर का शासन है। अब देखना यह है कि गवर्नर ही विधानसभा की जगह पर निर्णय लेते हैं या संसद ही यह भी तय कर देती है या कोई और कानूनी राह निकाली जाती है।
राजनीति या राज में कोई भी निर्णय न तो अच्छा होता है और न ही बुरा। सरकारें समय, परिस्थितियों और अन्य कारणों से जो उचित समझती हैं वह निर्णय लेती है। अपने अपने राजनैतिक स्टैंड से उसी निर्णय को समर्थक अच्छा और विरोधी बुरा कहते हैं । पर उस फैसले का भविष्य में क्या प्रभाव क्या पड़ता है इसी से उक्त निर्णय की गुणवत्ता का पता चलता है।
जम्मू कश्मीर के तीन भागों में, जम्मू, कश्मीर और लदाख के प्रशासनिक आधार पर बांटने के बाद, पाक अधीकृत कश्मीर की क्या कानूनी स्थिति रहेगी ?
फिलहाल, जम्मू कश्मीर विधान सभा मे उक्त भूभाग के लिए सीटें आरक्षित हैं और वे अब भी रिक्त रहती है । अभी तक पाक अधिकृत कश्मीर ( पीओके ), जम्मू कश्मीर राज्य का ही अभिन्न अंग है जो पाकिस्तान के अनिधिकृत कब्जे में है।
जम्मू कश्मीर के संविधान की क्या स्थिति होगी ?
वह संविधान इस त्रिविभाजन के बाद अब अप्रासंगिक हो गया है। वह संविधान पूरे जम्मू कश्मीर के राज्य जो राजा हरी सिंह ने भारत में शामिल किया था, और जिसमें पाक अधिकृत कश्मीर भी है के लिये था।
जम्मू, कश्मीर और लदाख के नए क्षेत्र की अब अलग अलग विधायिकाएं होंगी। पर जो रिक्त सीटें पीओके की हैं वह किस नए राज्य के विधानसभा में जाएंगी ?
© विजय शंकर सिंह
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