आज सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर एनआरसी, के बारे में सुनवाई करते हुये कुछ महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश जारी किए हैं। जिन्हें लाइव लॉ और सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट से लेकर संक्षेप में प्रस्तुत कर रहा हूँ। सुप्रीम कोर्ट ने फिर से विदेशी नागरिक ढूंढने कवायद शुरू करने से इनकार कर दिया है। उसके डेटा की सुरक्षा आधार के समान करने को कहा है।
आज के फैसले के मुख्य विंदु निम्न हैं।
● असम के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए यह कहा है कि NRC तैयार करने के लिए फिर से कवायद नहीं की जा सकती है। पीठ ने ये भी साफ किया है कि NRC डेटा की गोपनीयता बनाए रखने के लिए आधार के समान सुरक्षा होनी चाहिए।
● मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन की पीठ ने अंतरिम फैसला सुनाते हुए केंद्र व असम सरकार की मांग खारिज कर दी और कहा कि डेटा का कोई सैंपल री-वेरिफिकेशन नहीं होगा।
● जिनका जन्म 3 दिसंबर, 2004 के बाद हुआ है, को NRC में शामिल नहीं किया जाएगा, यदि उनके माता-पिता में से कोई एक संदिग्ध मतदाता है या किसी ट्रिब्यूनल द्वारा विदेशी घोषित किया गया है या वह मुकदमा लड़ रहा है।
● ट्रिब्यूनल द्वारा अवैध प्रवासी घोषित किए जाने वाले आदेश को गुवाहाटी हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी जाएगी। सभी NRC को 31 अगस्त को सिर्फ ऑनलाइन प्रकाशित किया जाएगा
● नागरिकता अधिनियम की धारा 3,6 ए और नियम 4, 4 ए के तहत निष्पादित NRC तैयारी को अन्य मानकों के आधार पर फिर से खोला नहीं जा सकता है।
● NRC डेटा की गोपनीयता बनाए रखने के लिए आधार के समान सुरक्षा और प्राधिकरण होगा।
● असम के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के अंतिम प्रकाशन की समय सीमा 31 अगस्त से आगे नहीं बढ़ाई जाएगी।
● NRC समन्वयक प्रतीक हजेला को यह निर्देश अदालत ने दिया है कि वो इस मामले में उठे सभी विवादास्पद मुद्दों को कोर्ट में दाखिल करे और पीठ इस संबंध में आदेश जारी करेगी।
● याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने यह कहा था कि वर्ष 1971 से पहले जिनका जन्म हुआ उनका जन्म प्रमाणपत्र भी मान्य होना चाहिए। जो विदेश चले गए थे लेकिन वो या उनके बच्चे अब लौट कर आ गए हैं तो उनको भी NRC में शामिल होने किया जाना चाहिए। वहीं हजेला ने कहा था कि जो भी देश के किसी हिस्से में बसे होने का प्रमाण दे रहे हैं वो NRC में शामिल किए जा रहे हैं।
● बीते 23 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने NRC प्रकाशन की समय सीमा को 31 जुलाई से बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया था। यह कदम राज्य NRC समन्वयक प्रतीक हजेला के अनुरोध पर उठाया गया था। NRC समन्वयक ने यह बताया था कि NRC प्रक्रिया में असम में हाल ही में आई बाढ़ व अन्य प्रशासनिक कारणों से परेशानी हो रही है। पीठ ने हालांकि NRC सूची में पुन: सत्यापन की अनुमति के लिए केंद्र द्वारा किए गए अनुरोध को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।
दरअसल केंद्र और असम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से असम के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को (NRC) अंतिम रूप देने के लिए 31 जुलाई की समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया था।
● दोनों सरकारों की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ के सामने यह प्रस्तुत किया था कि NRC ड्राफ्ट में बहुत सारे गलत प्रवेश हुए हैं और गलत तरीके से बाहर भी किया गया है। बांग्लादेश की सीमा से लगे असम के जिलों में रहने वाले व्यक्तियों के समावेश का कम से कम 20% नमूनों का पुनः सत्यापन आवश्यक है।
● सॉलिसिटर जनरल ने यह कहा कि भारत दुनिया की शरणार्थी राजधानी नहीं हो सकता। हालांकि NRC समन्वयक प्रतीक हजेला ने यह दावा किया था कि लगभग 27 लाख दावों के साथ लगभग 80 लाख लोगों का फिर से सत्यापन किया गया है।
( विजय शंकर सिंह )
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