Saturday, 10 August 2019

जम्मू कश्मीर - मुख्यमंत्री, हरियाणा का अनुचित बयान / विजय शंकर सिंह

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल 2019 से यह उम्मीद बनी है कि अब वे #कश्मीर से लड़कियां ला सकते हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एक कार्यक्रम में कहा कि हमारे मंत्री ओपी धनखड़ अक्सर कहते हैं कि वह बिहार से बहू लाएंगे. इन दिनों लोग कह रहे हैं कि अब कश्मीर का रास्ता साफ हो गया है। अब हम लोग कश्मीर से बहू लाएंगे। यह भाव विजेता के जश्न की तरह है। अनु 370 और 35 A एक प्रकार का मानसिक अलगाववाद तो देता था, पर जम्मू कश्मीर के प्रति इस तरह की बयानबाजी उसी अलगाववाद के पक्ष में एक आधार भी देता है। यह एक मानसिक विकृति ही कही जाएगी।

शादी हेतु लड़की तो कोई भी दुनिया मे किसी भी मुल्क से ला सकता है। हम लडकिया और लड़के तो हर जगह से ला सकते हैं, पर अपनी लड़कियां हर जगह दे नहीं सकते हैं, यह भी एक अजीब पर भारतीय संदर्भ में सार्वकालिक सच है ! लड़की लायी जाय,  यह दो ही तरह से सम्भव है। या तो प्रेम कर के या जबर्दस्ती उठा कर के। पर इस बयान में न तो प्रेम की भावना है और न उठा के लाने का दुस्साहस,  बस एक ही भाव है कि अब तक कश्मीर अनु 370 और 35 A के कारण अस्पर्शनीय था, अब यह बंदिश उठी तो सबसे पहले लड़कियां ही दिखीं। यह मानसिकता ही मध्ययुगीन बर्बर विजेता की मानसिकता होती है । दुनियाभर में विजयी होती हुयी सेना द्वारा बलात्कार के किस्से आज भी मिलते हैं।

उधर प्रधानमंत्री, जम्मू कश्मीर के विकास की बात कर रहे हैं, वहां सीमापार से आने वाले आतंकियों के खात्मे के मंसूबे बांध रहे हैं, और यहां उन्हीं के पार्टी के लोग बस एक ही एजेंडे पर कायम हैं, और वह है, वहां की सुंदर लड़कियां। अब कहा जा रहा है कि यह बात परिहास में कही गयी है। पर परिहास में भी अगर विवाह करके पत्नी या बहू लाने की  लालसा है तो पति या दामाद लाने की लालसा क्यों नहीं उपजती है ? जब घर मे एक तरफ दुःख और संशय पसरा हो, तब परिहास भी ऐसा हो कि वह दुःख और संशय हटे, न कि आहत करे। कभी कभी परिहास स्पष्ट कथन से अधिक चुभता है और इसकी खलिश अनर्थ भी कर देती है। खट्टर एक मुख्यमंत्री हैं कोई साइबर लफंगे नहीं कि उन्हें ब्लॉक कर के हम भूल जाएंगे।

जब से जम्मू कश्मीर में नए बदलाव हुये हैं, सत्तारूढ़ दल सहित अनेक लोगो मे जश्न का माहौल है। यह जश्न जल्दबाजी का जश्न है। अभी वहां, धारा 144 सीआरपीसी के अंतर्गत प्रतिबंध हैं। कर्फ्यू भी हैं। यह किलेबंदी खत्म हो तो वहां के लोगों का जश्न दिखे । अभी वहां स्थिति सामान्य बिलकुल नहीं है। कश्मीर इस समय दुनिया मे सबसे अधिक सैन्यीकृत क्षेत्र बना हुआ है। नए बदलाव को लेकर वहां अभी भ्रम है। जम्मू कश्मीर के लोग अभी इस बदलाव के लिये मानसिक रूप से तैयार भी नहीं थे। ऐसी स्थिति में तमाम पुष्ट अपुष्ट खबरों के साथ साथ, तरह तरह की अफवाहें भी फैलती रहती हैं। इस गम्भीरता को सरकार भी समझ रही है। प्रधानमंत्री का 8 अगस्त को 8 बजे दिया गया भाषण इस गम्भीरता को ही बताता है।

जम्मू कश्मीर अनुच्छेद 370 के संशोधित होने के बाद से ही अभिन्न अंग नहीं हुआ और न ही कोई नया विलय हुआ है। बल्कि इसी अनुच्छेद के कुछ प्राविधानों को संशोधित किया गया है। अनुच्छेद अब भी बरकरार है। पर भाजपा के नेता और लोग जिस विजयी भाव से इस संशोधन पर जश्न मना रहे हैं वह विजेता के जश्न की तरह है। यह जश्न जेके की जनता को चुभेगा और बहुत से ऐसे लोग हैं जो इस चुभन को भी एक उपलब्धि के रूप में ले रहे हैं। आप अपने ही परिवार, समाज, और देश के अंदर किसी की सदाशयता भी पाना चाहें और उसे मानसिक रूप से विजित भाव मे भी रखना चाहें तो आप उसकी सदाशयता पा ही नहीं सकते। अगर वक़्ती तौर पर कुछ समर्थन पा भी जांय तो वह भय से उत्प्रेरित होगा। भय हटते ही वह प्रतिरोध दुगुने वेग से उभर जाएगा।

उनकी नज़र में, वे केवल एक ही उपलब्धि इस बदलाव की पा रहे हैं कि अब वे कश्मीरी लड़की वहां से ला सकते हैं, और वहां ज़मीन खरीद सकते हैं। संस्कार में लिपटी हुयी यह लंपटता उन्हें कहां सिखाई जाती है, यह मुझे नहीं पता, पर यह बयान उनके संस्कार के झीने आवरण को बेपर्दा कर देती है। कल एक विधायक ने भी यही बात कही और आज एक मुख्यमंत्री ने भी इसे दोहराया। अब कम से कम मनोहर लाल खट्टर को तो अपने कहे पर खेद जता ही देना चाहिये।

© विजय शंकर सिंह

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