Monday, 27 December 2021

प्रवीण झा - दक्षिण भारत का इतिहास (7)

“क्या तमिल ब्राह्मण महामानव थे, जो तीन नोबेल जीत गए?”

“महामानव? वह क्या होता है?”

“आनुवंशिक या नस्लीय श्रेष्ठता?”

“इस श्रेष्ठता का हौवा उन्नीसवीं सदी में डार्विन के साथ आया। इक्कीसवीं सदी के ‘मानव पलायन आनुवंशिकता’ (Human migration genetics) के साथ फुस्स हो गया।”

“क्या मतलब?”

“दुनिया में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जहाँ मानव दूसरे क्षेत्र से आए-गए न हों।”

“तो फिर कोई मूल निवासी कैसे कहा जाता है?”

“मूल निवासी का कंसेप्ट तभी संभव है, जब आने-जाने के रास्ते किसी प्राकृतिक या अन्य कारण से बंद हों। जैसे ऑस्ट्रेलिया सरीखे द्वीप पर आदिवासी रहते थे, और जहाजों का आविष्कार नहीं हुआ था। वहाँ सदियों तक बिना किसी बाहरी मिश्रण के रह गए”

“और भारत में?”

“भारत में तो अनगिनत क्षेत्रों से लोग आए। हज़ारों वर्षों तक न सिर्फ़ बाहरी मिश्रण हुए, बल्कि अंदर में भी कई तरह के मिश्रण हुए। आखिर यह अवसरों का देश था। आज के अमरीका की तरह। अब कोई पीढ़ी-दर-पीढ़ी ठान ले कि हज़ारों वर्षों तक एक ही स्थान पर एक ही पारिवारिक समूह में वंश रखेगा, तो वह मूल निवासी कहला सकता है। लेकिन, खानाबदोशी कृषक युग से लेकर ग्लोबल इकॉनॉमी तक यह एक असंभव कल्पना है।”

“क्या अब नस्ल का कोई मतलब नहीं? द्रविड़ कोई नस्ल नहीं? कॉकेशियन कोई नस्ल नहीं?”

“अब संजातीय समूह (ethnic groups) या पॉपुलेशन का प्रयोग होता है, जिसमें भिन्न आनुवंशिकता के लोग भी रह सकते हैं। मसलन अभिनेता टॉम अल्टर के पुत्र जैमी अल्टर क्या सांस्कृतिक रूप से कॉकेशियन कहलाएँगे ? अमरीका में तो हर तीसरा परिवार भिन्न-भिन्न आनुवंशिकता के हैं, वे क्या कहलाएँगे? नस्ल की अवधारणा कुछ कूढ़मगजों तक सिमट कर रह जाएगी।”

“फिर तमिल ब्राह्मण इतने आगे कैसे गए ? तीन नोबेल कैसे जीता ? गूगल और पेप्सी के सीईओ कैसे बने ?”

“ब्राह्मण मतलब क्या? वे क्या मदुरै के मंदिर में पूजा करवा रहे थे? वे तो पश्चिमी शिक्षा पा कर वहाँ तक पहुँचे”

“रामानुजन ? सी वी रामन ?”

“अंग्रेज़ों के आने के बाद जब पश्चिमी स्कूल-कॉलेज खुले, तो उसमें ब्राह्मणों ने बढ़-चढ़ कर शिक्षा ली। यह उन्हें सूट करता था। मद्रास प्रेसिडेंसी के तमाम मिशनरी स्कूलों में सबसे अधिक ब्राह्मण ही पढ़े। तमिल ब्राह्मण सबसे पहले सूट-बूट में आए, फिर बंबई और कलकत्ता के ब्राह्मण।”

“कोई आँकड़ा?”

“उन्नीसवीं सदी में मद्रास से 16 आइसीएस अधिकारी चुने गए, जिनमें पंद्रह ब्राह्मण थे। 27 अभियंताओं में 21. इसी तरह अधिकांश प्रशासनिक पदों पर। शिक्षण संस्थाओं में। जबकि वे सिर्फ़ तीन प्रतिशत जनसंख्या थे।”

“वे पढ़ते अधिक होंगे? बुद्धि तीक्ष्ण होगी?”

“उनकी दक्षता ही यही थी। उन्होंने अपनी सामाजिक गतिशीलता (social mobility) के लिए शिक्षा का उपयोग किया। उन्होंने मंदिरों और यजमानों को छोड़ा और अंग्रेज़ी शिक्षा में एक पारिवारिक माहौल बना कर लग गए।”

“हाँ! इंद्रा नूयी ने एक साक्षात्कार में कहा है कि उनके घर पर दिन भर पढ़ाई ही चलती रहती थी। कोई खेल-कूद आदि नहीं।”

“शिखा में रस्सी बाँध कर पढ़ने वाली कहानी तो नहीं कह दी?”

“जो भी हो, इससे किसी को क्या समस्या थी?”

“शिक्षा से कोई समस्या नहीं। लेकिन, जब तीन प्रतिशत जनसंख्या वाला वर्ग सभी प्रमुख पदों पर दिखायी दे, तो यह बात बहुसंख्यक वर्ग को चुभ सकती है। मैक्स-मूलर ने 1857 के संग्राम के बाद एक बात कही थी…”

“क्या?”

“कहा था -भारत को हमने एक बार शक्ति से पराजित किया है। एक बार और पराजित करेंगे। शिक्षा से।”
(क्रमशः)

प्रवीण झा
© Praveen Jha

दक्षिण भारत का इतिहास (6)
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