गुजरात के अहमदाबाद शहर के निवासी शहीद लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया (Lance Naik Gopal Singh Bhadoriya) के माता पिता ने कूरियर के जरिए पहुंचाए गए, शौर्य चक्र को लौटा दिया है। उन्होंने कहा कि, "शहादत के सम्मान को कूरियर से भेजकर आपने हमारे शहीद बेटे का अपमान किया है इसलिए हम इसे वापस लौटा रहे हैं।"
गोपाल सिंह के पिता का यह कथन सर्वथा उचित है और यह, लांस नायक, गोपाल सिंह भदौरिया की शहादत, उनके शौर्य, और सैन्य परंपरा का अपमान है। जो शौर्य चक्र, कूरियर से भेजा गया था, उसे उस जिले के जिला मजिस्ट्रेट खुद भी तो, जाकर, सरकार की तरफ से, शहीद के परिवार को दे सकते थे। नियमतः तो इसे एक समारोह कर के दिया जाना चाहिए था, पर यदि किन्हीं कारण वश यह संभव नहीं था तो, खुद यह काम जिला मैजिस्ट्रेट को सौंपा जाना चाहिए था और उनके साथ उस रेजीमेंट या यूनिट का कोई सैन्य अधिकारी भी होता।
सिक्के जैसा दिखने वाला सामान्य सा पदक, चाहे वह परम वीर चक्र हो, या कोई भी सम्मान, वह कोई इनाम नहीं होता है, वह एक आभार होता है, सम्मान होता है, और यह आभार उस कर्तव्य का होता है, उस बलिदान का होता है, जो उस सैनिक ने हमारे लिए, अपनी यूनिट के लिए, सेना के लिए और देश के लिए किया है,। शौर्य चक्र या कोई भी पदक सम्मान, कोई पिज्जा नहीं है कि, उसे कूरियर कर दिया और चुप हो कर बैठ गए।
परिवार वालों का कहना है कि "उनके बेटे ने देश के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी और सरकार ने उसकी शहादत का ये सिला दिया है।" उन्होंने कहा कि, "यह कोई गुप्त रखने की चीज थोड़ी है जो आप इसे चुपचाप दे रहे हैं। मेरे बेटे ने देश के लिए बलिदान दिया है इसलिए उसे देश के सामने ही सम्मान मिलना चाहिए।" लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया के पिता के बयान से हम सबकी सहमति होनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि, गोपाल सिंह भदौरिया को मुंबई में 26/11 के आतंकी हमलों में उनकी बहादुरी के लिए 'विशिष्ट सेवा पदक' से भी सम्मानित किया गया था। यह इनका दूसरा सम्मान और पदक है। यह घटना, साल 2017 की है, जब वे, जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान राष्ट्रीय राइफल्स के लांस नायक गोपाल सिंह शहीद हो गए थे।
(विजय शंकर सिंह)
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