ग़ालिब - 64.
उनके देखे से जो आ जाती है मुंह पर रौनक,
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है !!
उनके देखे से जो आ जाती है मुंह पर रौनक,
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है !!
Unke dekhe se jo aa jaatee hai, munh par raunaq,
Wo samjhte hain ki biimaar kaa haal achhaa hai !!
- Ghalib.
Wo samjhte hain ki biimaar kaa haal achhaa hai !!
- Ghalib.
उनके देखते ही मुंह पर जो चमक आ जाती है, तो वे समझते हैं कि मुझ बीमार की तबीयत ठीक है।
प्रिय का दर्शन सुखद होता है। दुःख , अवसाद, रुग्णता किसी भी विपरीत परिस्थितियों में कोई हो और अचानक ऐसी दशा में उसके सामने कोई प्रिय आ जाय तो दुःख तो नहीं कम होता है पर दुःख की अनुभूति कम हो जाती है। जो सुख की लहर चेहरे पर तैरने लगती है। यह अनुभूति जो प्रिय के दर्शन से चेहरे पर आयी है उससे आगन्तुक यह सोचने लगता है कि ये तो प्रसन्न हैं और सुखी हैं। जब कि वास्तविकता ऐसी नहीं है। प्रिय के आने से वह प्रसन्न दिख रहा है न कि उसका दुःख कम हुआ है। हां दुःख की अनुभूति कम हो गयी है।
कभी कभी बेहद दुख में भी प्रिय का संयोग आंसू ला देता है। पर वे अश्क़ दुख नहीं सुख के होते हैं। दुःख से कातर व्यक्ति को प्रिय दर्शन इस लिये सुखकर लगता है कि उसे लगता है उसके दुःख अब कम हो जायेंगे। प्रिय या तो दुःख बांट लेगा या दुःखों का निदान, समाधान ढूंढ लेगा। ग़ालिब ने इस शेर में इसी मनोदशा को बड़ी खूबसूरती से व्यक्त किया है।
© विजय शंकर सिंह
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