ऊंची जगहों से रिसता हुआ झूठ,
नीचे नगर में फैल कर,
एक सड़ांध मारता ,
कीचड़ पैदा कर देता है ।
उसी बजबजाते और
बदबू मारते कीचड़ में लिपटे पांव,
और ऊपर दूर कहीं आसमान में
इन सब से बेफिक्र हो
घूमता हुआ चांद ,
कितना खूबसूुरत लगता है न !
© विजय शंकर सिंह )
No comments:
Post a Comment