Friday, 5 August 2022

शंभूनाथ शुक्ल / कोस कोस का पानी (51) जिम कॉर्बेट ने भूत देखा!



यूपी फ़ॉरेस्ट के तहत अमानगढ़ टाइगर रिज़र्व के गेस्ट हाउस में बैठ कर जिम कॉर्बेट का मज़ा लेने का आनंद ही कुछ और है। मुझे टाइगर यहीं मिले हैं। जिम कॉर्बेट स्वयं भी यहीं रुकता था। इस गेस्ट हाउस में दो बेडरूम हैं। एक ड्राइंग कम डाइनिंग भी। उसमें फ़ायर बॉक्स भी है। यहाँ बिजली का भरोसा नहीं है, इसलिए अगर पूरे 24 घंटे रुकना है तो अपने पास से कम से कम 20 लीटर डीज़ल ले जाएँ। जेनसेट है। गर्मी में पंखा चलाने व लाइट जलाने के लिए तथा जाड़े में हीटर चलाने के लिए। कुकिंग गैस का एक सिलिंडर भी ले जाएँ। ताकि भोजन, नाश्ता आदि बन सके। जो भी खाना चाहें, पीना चाहें वह भी बाज़ार से ख़रीद कर ले जाएँ। वैसे मुख्य मार्ग से यह अधिक दूर नहीं है। निकट का क़स्बा अफ़ज़लगढ़ है। और वहीं पर द्वारिकेश चीनी मिल है।

इस गेस्ट हाउस के बारे में कहा जाता है, कि यह भुतहा है। रात को एक चुड़ैल आती है। हालाँकि मुझे उसकी प्रतीक्षा रही पर मिली नहीं। किंतु हमारे एक मुस्लिम मित्र और उनके परिवार को दिखी है। इसके समीप एक छोटी झील है। वहाँ हाथी पानी पीने आते हैं। हम वहाँ गए थे। वहाँ पर थे, तभी हाथी दिखे। हम जल्दी से निकले। मलकिनी के कान का स्वर्णफूल वहाँ पर कहीं गिर गया। सोने का खोना शुभ नहीं होता। पत्नी ने उसी अनदेखी और अनजानी चुड़ैल से विनती की। हम फिर वहीं गए और वह स्वर्णफूल मिल गया। वह हाथियों के भला किस काम का!

शंभूनाथ शुक्ल 
© Shambhunath Shukla

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