पर्वतों, नदियों, स्थान-नामों और यहां तक कि अपनी जातीय पहचान के लिए प्रचलित शब्द किसी क्षेत्र में किसी नई भाषा के वर्चस्व से बदल नहीं जाते हैं। वे पहले से होते हैं, महत्व के केंद्र यदि पहले से रहे हों तो उनके नाम बदल भी दिए जायँ, पर नगण्य स्थान नामों आदि में परिवर्तन संभव नहीं होता। वर्चस्वी संस्कृति के प्रभाव के बाद इनके लिए जो नए केंद्र और संस्थान बनते हैं उनको जो नाम दिए जाते हैं, वे अवश्य इस भाषा के अनुरूप होते हैं। ऐसी स्थिति में पहाड़ आदि पर विचार करते समय यह भय बना रहता है कि कहीं, इन पर विचार करते हुए, किसी तरह का अन्याय न हो जाए।
यहाँ एक भेद अवश्य करना होगा। यह है व्यक्तिवाचक और जातिवाचक के बीच। जहाँ व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ प्राचीन बोलियों की बनी रह जाती हैं, वहीं जातिवाचक संज्ञाएँ नई वर्चस्वी भाषा के अनुरूप होती हैं।
किसी भाषा के आदिम क्षेत्र को पहचानने की दृष्टि से, इस पहलू पर विचार किया जाना चाहिए कि उसके व्यक्तिवाचक स्थान नाम, नदियों के नाम, पर्वतों के नाम, बोलचाल की भाषापरोपरा के हैं या नहीं। यदि इनमें विरोध है तो व्यावहारिक भाषा और उसे बोलने वाले प्रभावशाली लोग अन्यत्र से आए हुए हैं, यदि अविरोध है तो यह इस बात का निर्णायक साक्ष्य है कि भाषा का जन्म उसी क्षेत्र में हुआ है और यह उस भू-भाग में फैली है जिसके व्यक्तिवाचक स्थाननाम, नदी नाम, जाति नाम वर्तमान भाषा से अनमेल पड़ते हैं।
भारोपीय भाषा की उत्पत्ति को लेकर इतने लंबे समय तक विचार होता रहा परंतु इस अचूक मानदंड को कभी काम में नहीं लाया गया, जबकि अमेरिका से परिचय के बाद यह सभी विद्वानों को आईने की तरह साफ दिखाई देता रहा हो। हम इस विषय पर यहां इससे अधिक चर्चा जरूरी नहीं समझते। यह भूमिका अंग्रेजी में पहाड़ और चट्टान के कतिपय पर्यायों पर विचार करने के लिए जरूरी थी।
रिज (ridge)
----------------
रज- 1. पानी, 2. धूल, 3. चमकीला/ आभासित > ऋज्र (गतिशील, प्रवाही) > 1. ऋजु - सीधा, 2. रज्जु, 3. रंज/रंग, रेच/रेक (अतिरेक)> रेकु- रिक्त, रेक्ण- धन आदि पर ध्यान दें। अंग्रेजी में रज के निकट का कोई शब्द हमें दिखाई नहीं देता। इस मूल से निकले रजत के प्रतिशब्द अर्जेंटम को अवश्य भारत से बाहर तलाशा जा सकता है। रज के इसी आभा वाले पक्ष से राजा शब्द निकला है। अंग्रेजी में सीधे राजा शब्द नहीं है, परंतु रानी के लिए रेजिना (regina- queen, < L. regina) मिलता है। ला. में राजा के लिए रेक्स (rex), राजसी के लिए रीगल (regal- kingly), रेजस (regius- royal), राजसत्ता के लिए रिजीम (regime < L. regimen), राज के लिए रिजन (region, L. regio- to rule), राज्यकाल के लिए रेन (reign<ला. regnum<रिगेर regere- to rule ) राजसत्ता के लिए रेजीमेंट(regiment< L. regimentum < regere-to rule),
सातत्य के लिए रज्जु के विकल्प रेन (rein - briddle )- फा. रास (वै. रश्मि, हिे. रस्सी) देखने में आता है। पानी वाला भाव रिंज (rinse-to wash lightly by pouring, shaking and dipping) में, और गति वाला, राइज ( rise- to extend upwards, to surmount); रेज. (raise- to make higher or greater), राइड (ride-to be borne by an animal, vehicle), और उठान रिज (ridge- the earth thrown up by the plough between the furrows, a long narrow top or crest, a hill range).
रॉक (rock)
---------------
रक/लक- पानी > रक्त/लक्त (आ-लक्तक) > अं. लैक्ट -(lact- ) - दूध-> लैक्टोमीटर ( lactometer) - दुग्धमापी; लैक्टियल (lacteal)- दूधिया; रुक (रोचन, लोचन) >. लुक (look तु. हि. लू, लुकाठा, भो. लुक्का, लुक्क- उल्कापात का प्रकाश, फा. रू, रुख); लेक (lake-a large or considerable body of water within land) - तालाब; लाइक (like- 1.identical, 2. to approve, enjoy) - सदृश, चाहना; लेकु ( OE. lacu- stream> ME. lac.> lanne; *a small stream or water channel); लैक्टियल (E. lacteal - of milk, L. lac, lactis- milk) दूध का बना; लैकस्ट्राइन ( lacustrine- pertaining to lakes-) झील विषयक, लिक (lick) चाटना; लीक (leak) चूना; लिक्विड (liquid)- द्रव; लैक (lac -) लाख >लाक्षा*; लक(luck, look) रॉक (rock- a large outstanding natural mass of stone), रेक ( raik - course, journey, range, pasture) रुक (ruck- 1. wrinkle, fold or crease)- रुक्षता, 2. heap, stack, a multitude) - जमाव, जमाकड़ा, और राक ऐंड रोल - नृत्य विशेष। इस तरह हम पाते हैं कि रक, लक, रिक, लिक, लीक, रुक, लुक, रेक, लेक, लैक (रेचन), और नृत्य का रॉक या दोलन सभी जल और जलीय आशय रखते हैं फिर रॉक पत्थर की विशाल चट्टान बन भी जाये तो उस नियम को नहीं उलट सकती जिसके अनुसार मूक को वाचाल जल अपने किसी नाद से बनाता है।
माउंट/ माउंटेन (mount/ mountain)
-------------------------------------------------
माउंट शब्द सुनकर आपको अमाउंट की याद आनी चाहिए। याद तो माड़, मंडप, मड़ई, मंत. और अंत की भी आनी चाहिए, परंतु आपको लगेगा यहां कुछ ज्यादती हो रही है। उत्साह में बहक जाने या चौंकाने के लिए दूर की कौड़ी खींच कर लाने का आरोप लगाना अनुचित प्रतीत न होगा, परंतु सचाई जितनी आश्चर्यजनक होती है उतनी कभी कभी कवि कल्पना भी नहीं होती। चैंबर्स डिक्शनरी में दर्ज निम्न शब्दावली पर ध्यान दें:
अमाउंट ( amount - to go up, to come in total) 1. ऊपर जाना, 2. राशि। इसकी व्युत्पत्ति प्राचीन फ्रेंच और उससे पीछे लातिन से दी गई है (O.Fr. amonter -to ascend < L. ad, to mons, montis- a mountain) , अर्थात, अकाउंट भी उसी मूल से निकला है, जिससे माउंट और माउंटेन। माउंट को प्राचीन अंग्रेजी में मंत लिखा और बोला जाता था ( mount -O.E. munt) जो श्रीमंत, बलवंत आदि में प्रयुक्त मंत और वंत से अभिन्न दिखाई देता है। आगे की व्युत्पत्तियां पूर्ववत हैं (O.Fr. mond < L. mons, montis- mountain)। माउंट के कुछ और भी अर्थ जो इन्हीं में समाहित हैं, ऊपर चढ़ना, सवार होना, पार पाना, यहां तक कि जिल्दसाजी में ऊपर से कोई आवरण मढ़ना या चिपकाया जाना आदि हैं। ऐसे में क्या मूल अर्थ-योजना में भो. माड़, माड़ो, मड़ई, मेड़ - खेत के चतुर्दिक ऊँचा बाँध, मेठ - किसी कार्य दल का सरदार, सं. >मंडन, मंडप, मंदिर (देखें L. mundus - the world, E. mundane- earthly worldly और तुलना करें बक के व्युत्पत्तिकोश से जिसका हवाला हम पहले दे आए हैं) और मन्त को उचित स्थान मिलेगा या नहीं। ला. में दो रूप मिलते हैं, एक मन्स और दूसरा मोन्तिस (L. mons, montis) जो सं. मन (श्रीमन/ श्रीमान) और मन्त से अभिन्न हैं।
माउंट से मिलता-जुलता शब्द माउंड है, जिसकी व्याख्या पश्चिमी भाषाविदों को असमंजस में ड़ाल देती है (mound - boundary-fence, a bank of earth or stone,(orig. obscure) पर हमें चकित नहीं करती, क्योंकि हमारी बोलियों में मेढ़, मेठ, मढ़ना जैसे शब्द हमारी सहायता के लिए उपलब्ध है। इस शब्द का दूसरा अर्थ है ऊपर जाना, जाना (to go up, to climb) जिसकी उत्पत्ति फ्रेंच और लातिन के सहारे की गई है (<Fr. monter- to go up, < L mons, montis- mountain).वही ढाक के तीन पात।
परंतु क्या आप को अभी तक मुंड (शिरास्थि) और मुंडा (जन) का अर्थ मालूम था। अधिक से अधिक मूड़ने का अभ्यास हो सकता है पर मुंडन से सिर के बालों के हट जाने के बाद ही मुंड सर्वोपरि बन पाता है इसकी तरफ तो ध्यान गया ही न होगा। भगवान आप का भला करे क्योंकि यह बताने को फिर भी रह जाता है कि यह मन्, मंत, मंड, मुंड मूलतः उस बोली के शब्द हैं जो मुंडारी कही जाती है और जिसकी संस्कृत के निर्माण में उन बोलियों से कम भूमिका नहीं है जो द्रविड़ समुदाय में समाहित हैं।
-----------------------------
*लाक्षा के इतिहास पर ध्यान दें : रस/लस > रसा/लसा/लासा > लाख> लाक्षा। रस का प्रकाश : रस > लस (इ. लश्चर लूसे) > लख >सं. लक्ष/ लक्षण,, लक्ष्य अदि।
भगवान सिंह
( Bhagwan Singh )
No comments:
Post a Comment