Wednesday 14 July 2021

प्रवीण झा - स्कूली इतिहास (4)


         ( चित्र: नियंडरथल-सैपिएन्स युद्ध ) 

अफ़्रीका से चलते-चलते मनुष्य पूरी दुनिया में पसर चुके थे। यह जो भी क़ाफ़िला था, वह संभवत: एक ही आदम गाँव या एक ही परिवार का था। एक ही वंश के लोग। बात अज़ीब है, मगर डीएनए तो यही कहता है। ये सभी होमो सैपिएन्स थे, जिनकी मुलाकात दुनिया के अन्य मानव प्रजातियों से हो रही थी। 

जब ये भारत आए तो घूमते-फिरते वह भोपाल के निकट भीमबेतका (भीम बैठक) की गुफ़ाओं में बस गये। ऐसी और भी गुफ़ाएँ थी, मगर यह एक बड़ा केंद्र था। यह उनका हेडक्वार्टर था। यहीं से योजना बना कर वह पूरे दक्षिण एशिया, चीन, अंडमान, फ़िलीपींस, इंडोनेशिया, लंका और यहाँ तक कि ऑस्ट्रेलिया तक गए। अब सवाल यह है कि क्या आज आप भारत से टहलते हुए ऑस्ट्रेलिया जा सकते हैं? फिर वे कैसे चले गए, और इसके प्रमाण क्या हैं? 

एक प्रमाण तो डीएनए ही है। दूसरी बात कि उस समय यानी आज से पचास-साठ हज़ार वर्ष पहले समुद्र उथला था, और कुछ उछल-कूद करते, कुछ छोटी डोंगियाँ बना कर पहुँचा जा सकता था। यह माना जाता है कि ऑस्ट्रेलिया उससे पहले एक वीरान द्वीप था, जहाँ आदमी तो क्या बंदर, गुरिल्ला आदि भी नहीं थे। वहाँ के पहले वानर मनुष्य ही थे, जो भारत के रास्ते कूदते-फाँदते पहुँचे थे। ये लोग अपने साथ कुछ मार्गदर्शक कुत्ते भी ले गए थे, जो ऑस्ट्रेलिया में ‘डिन्गो’ प्रजाति कहलाते हैं।
होमो सैपिएन्स ने धीरे-धीरे अपनी बुद्धि से अन्य मानव प्रजातियों का खात्मा शुरू कर दिया। उन्होंने कई लड़ाईयाँ लड़ी, जो पानीपत की लड़ाई और विश्व-युद्धों से कम न रही होगी। हमने इतिहास की किताबों में ऐसी लड़ाई नहीं पढ़ी जिसमें एक पूरी नस्ल ही खत्म हो गयी हो। उस जमाने के इस होलोकॉस्ट का ज़िम्मेदार कोई न कोई सैपिएन्स सरदार रहा होगा। 

यह लड़ाई कई जगहों पर कई बार लड़ी गयी। जैसे आज के इज़रायल में। आंध्र के ज्वालापुरम में सत्तर हज़ार वर्ष पुराने हथियार मिले। इस लड़ाई और बाद में एक टोबा ज्वालामुखी विस्फोट के बाद भारत के आदि-मानव खत्म हो गए, सिर्फ़ सैपिएन्स बच गए। 

सैपिएन्स की सबसे भीषण लड़ाई नियंडरथल नामक मानव प्रजाति से हुई। वह युद्ध पूरे यूरेशिया में कई जगह हुए, और कई हज़ार वर्ष चले। गोली-बंदूक या तलवार तो थी नहीं, ये लड़ाइयाँ तीर-धनुष और पत्थरों से ही होते होंगे। 

नियंडरथल से सैपिएन्स का प्रेम भी हुआ होगा। आज के अधिकांश यूरोपीय, अरबी, और उत्तर भारतीयों के डीएनए का दो प्रतिशत अंश नियंडरथलों का है। ऐसे पूर्वजों का, जिनकी नस्ल को हमारे ही पूर्वजों ने खत्म कर दिया।

इन युद्धों के बाद जब दुनिया में सिर्फ़ सैपिएन्स ही बच गए, पृथ्वी पर हिम-युग आ गया। पच्चीस हज़ार वर्ष पूर्व दुनिया बर्फ़ से ढक गयी, और सभी सैपिएन्स गुफ़ाओं में छुप गए। जब दस साल बाद यह बर्फ़ की चादर पिघली, तो देखा कि प्रलय आ गया। कई इलाके जलमग्न हो गए। ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और इंडोनेशिया जाने का रास्ता बंद हो गया। अब जो मनुष्य जहाँ-जहाँ पहुँच गए थे, वे वहीं रह गए। हज़ारों वर्षों तक मनुष्य को पता भी नहीं लगा कि कोई अमरीका या ऑस्ट्रेलिया जैसी जगह भी है, जहाँ हमारे हिम-युग के बिछड़े भाई-बंधु रहते हैं।
( क्रमशः )

According to Indian beliefs, present epoch is called ‘Kalyug’. In scientific terms, which epoch are we living in?

A. Pleistocene
B. Holocene
C. Miocene
D. Oligocene

(Yesterday’s answer- B. Paternal grandmother) 

प्रवीण झा
© Praveen Jha 

स्कूली इतिहास (3)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2021/07/3_13.html
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