Friday 30 July 2021

प्रवीण झा - स्कूली इतिहास (19)

“हमने एक किताब में पढ़ा कि आर्यों के आक्रमण से हड़प्पा  -मोहनजोदड़ो की सभ्यता खत्म हुई?”

“पता नहीं, उस किताब ने यह बात कहाँ से पढ़ी। जब हड़प्पा का लिखा कोई पढ़ नहीं पाया, जब आर्यों का कोई आनुवंशिक (जेनेटिक) प्रमाण स्पष्ट नहीं है, जब ऐसे किसी युद्ध के प्रमाण नहीं मिले, तो यह बात नहीं कही जा सकती”

“मैंने पढ़ा है कि ऐसा ऋग्वेद में लिखा है”

“शायद आपने यह पढ़ा होगा कि ऋग्वेद में जिन युद्धों का जिक्र है, वह हड़प्पा से जुड़ी हो सकती है। ऐसे कयास इतिहासकार अवश्य लगाते रहे हैं, मगर आज के समय वैज्ञानिक इतिहास लिखा जाता है। पहले तो यही सिद्ध करना होगा कि ऋग्वेद कब लिखा गया, उसकी पहली प्रति कहाँ है, और उसमें लिखी घटनाओं की वैज्ञानिक मैपिंग करनी होगी।”

“मगर वह तो लिखी ही नहीं गयी। वह तो बोल कर आगे बढ़ाई गयी”

“यह भी एक बात है जो भारत और चीन की सभ्यता में मिलती है। कई कथाएँ सिर्फ सुन कर पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ी है। जैसे चीन में भी सभ्यता विकसित हो रही थी, मगर तांग वंश से पहले के जमीनी प्रमाण ढूँढने कठिन है। वहाँ भी श्रुति परंपरा (बोल-सुन कर) से ही बात आगे बढ़ी।”

“यानी अगर वे बेबीलोन या मिस्र की तरह लिख देते, और उसकी डेटिंग हो जाती, तो हम मान लेते”

“हाँ। लिखना एक पक्ष है। लेकिन, मैंने पहले कहा है कि संभव है पत्थर पर नहीं कागज या भोजपत्र पर लिखा गया हो जो गुम हो गया हो। चीन में भी कागज बना लिए गए थे। भारत में जब हड़प्पा जैसी सभ्यता थी, तो यह मानना कठिन है कि सिर्फ बोल-सुन कर ही कार्य होता हो।”

“आपने लिखा कि हड़प्पा में धान के खेत थे, जबकि चावल की खोज तो चीन में हुई”

“मैंने पहले लिखा है कि जंगली चावल मनुष्य के पहले से थे। मनुष्य ने इसे खोज कर खेती करनी शुरू की। इसके प्रमाण हड़प्पा में तो मिले ही, उड़ीसा के जंगलों में भी मिले। अब क्रेडिट भले ही चीन ले ले क्योंकि उनके पास बृहत रूप से इस खेती के प्रमाण हैं।”

“क्या हड़प्पा में देवी-देवता थे? वे किस धर्म के थे?”

“धर्म का कंसेप्ट तो शायद न आया हो, सभ्यताओं ने कुछ देवता अवश्य बना लिए होंगे। हड़प्पा में मिली आकृतियों से लोग अपने-अपने अनुमान लगाते रहे हैं कि वह किसकी पूजा करते थे या आज के किस देवता से आकृति मिलती है। अन्य सभ्यताओं की तरह वहाँ भी ऐसी मान्यताएँ अवश्य थी।”

“इस सभ्यता को क्या कहा जाए? मैंने सिंधु-सरस्वती सभ्यता भी पढ़ा है”

“यह सच है कि इसका विस्तार आज के पाकिस्तान से लेकर भारतीय पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात तक था। इस हिसाब से सिंधु की शाखाओं के अतिरिक्त आज की घग्गर-हकर नदियों के किनारे भी अच्छी-खासी जनसंख्या थी। यह अनुमान लगते हैं कि यहीं सरस्वती नदी थी, और इस कारण सिंधु और सरस्वती नाम जोड़ दिए जाते हैं।”

“तो हड़प्पा के बाद आर्य आए। वे कब आए, कहाँ से आए?आए भी या नहीं?”

“आपकी टेक्स्टबुक क्या कहती है? पढ़ते समय यह ध्यान रखें कि जब तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिल जाता, तब तक हर कयास को कयास ही मानें। किसी बात को मानने या सिद्ध करने की यह वजह न हो कि आप ऐसा चाहते हैं। पहले इस प्रश्न पर ही बात करेंगे- ‘आए भी या नहीं? आर्य थे भी या नहीं?’। 

धन्यवाद ! 
( प्रथम सीरीज समाप्त )

(Yesterday’s answer: C. Dancing girl)

प्रवीण झा
© Praveen Jha 

स्कूली इतिहास (18)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2021/07/18.html 
#vss

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