Friday 30 July 2021

प्रवीण झा - स्कूली इतिहास (18)


इतिहास का असली आनंद तभी है जब आप ‘टाइम मशीन’ से उस समय में लौट जाएँ। हमने एक किताब पढ़ी थी ‘मुर्दों का टीला’, जो आप भी पढ़ सकते हैं। मैं वह कहानी यहाँ नहीं कह रहा। यूँ ही कुछ सुनाता हूँ, जो वहाँ खुदाई में मिली चीजों पर आधारित है। आज से चार हज़ार वर्ष पूर्व के एक परिवार की कल्पना कीजिए।

मान लीजिए कि एक लड़का था विनोद। वह हड़प्पा की एक कॉलोनी में रहता था। उसकी कॉलोनी एक बड़े कैम्पस में थी, जिसमें एक ही डिज़ाइन और एक ही रंग के पक्के ईंट के बने कई घर थे। हर घर में अटैच्ड टॉयलेट था, एक ठीक-ठाक साइज का हॉल, रसोई में चूल्हा और तंदूर। कॉलोनी के मध्य एक क्रीड़ांगन, एक सामुदायिक हॉल और एक विशाल सीढ़ीदार स्विमिंग पूल था। घरों की कतारों के बीच से एक पक्की सड़क निकल कर मुख्य सड़क में मिल जाती थी। सड़क के किनारे ढकी हुई नालियाँ थी, जो नदी में जाकर गिरती थी। 

विनोद के पिता व्यापारी थे। अक्सर टूर पर रहते। वह दक्षिण में लोथल से एक नाव पकड़ते और बेबीलोन निकल जाते। वहाँ जाकर टेराकोटा की मूर्तियाँ और सीपियाँ बेच कर आते। उनकी धौलावीर के बाज़ार में एक अपनी दुकान भी थी, जो कई पंक्तिबद्ध दुकानों के मध्य थी। उस बाज़ार में ताँबे के बर्तन, टेराकोटा के खिलौने, सीपियों के हार, खेती-बाड़ी के औजार हर तरह की चीजें मिलती। कुछ दूर एक किला था, और एक बाँध था, जहाँ पानी इकट्ठा किया जाता था। 

विनोद का स्कूल? शायद वह वहीं हड़प्पा में रहा हो। मगर वहाँ किस भाषा में पढ़ाई होती थी, यह किसी को ठीक-ठीक मालूम नहीं। वह कुछ चित्र बना कर लिखते थे। जैसे मछली बना दी, त्रिशूल बना दिया, कोई रेखा खींच दी। उस भाषा को आज तक कोई ढंग से पढ़ नहीं पाया।

उनके परिवार के कुछ लोग पास के शहर मोहनजोदड़ो में रहते थे, जहाँ दोमंजिले मकान थे। वहाँ जब वे एक बैलगाड़ी में बैठ कर जाते, तो रास्ते में कई गाँव दिखते जहाँ मिट्टी के बने झोपड़ों में किसान परिवार के लोग रहते। उन गाँवों में कई खेत और बागान नज़र आते। चावल, गेंहू, कपास और जौ के खेत। किसान बैल से खेत जोत रहे होते, और समृद्ध किसानों के दलान पर एक हाथी भी बंधा होता। खेतों के बीच एक नहर घग्गर नदी से निकल कर आती। 

मोहनजोदड़ो एक महानगर था, जहाँ के माहौल कुछ रंगीन थे। वहाँ संगीत के ऑडिटोरियम थे, जहाँ नर्तकियाँ नृत्य करती। वे अपनी पूरी बाँह में चूड़ियाँ पहनती, और खूब शृंगार करती। उनके गले में भाँति-भाँति के हार होते। वहीं शायद एक राज-दरबार भी था, जहाँ एक दाढ़ी वाले राजा या पुरोहित रहते थे। शहर के मध्य एक ऊँचा मिट्टी का टीला था, जो उस शहर के सौंदर्य में चार चाँद लगा देता। उस टीले पर चढ़ कर विनोद पूरे शहर पर एक विहंग-दृष्टि (बर्ड्स आइ-व्यू) डालता। मगर न जाने क्या हुआ कि यह पूरा शहर और इसके साथ अन्य सभी शहर तबाह हो गए। सभी लोग किसी युद्ध या आपदा में मारे गए, भाग गए या कहीं खो गए। यह उस समय कई मामलों में दुनिया की सबसे विकसित सभ्यता थी, जिसके विषय में आज की दुनिया सबसे कम जान सकी।

इस शहर का नाम उस समय मोहनजोदड़ो नहीं था। यह नाम तो उनके बाद के लोगों ने दिया। मोहनजोदड़ो नाम का अर्थ है- मुर्दों का टीला।
( क्रमशः)

John Marshall was one of the first to discover Harappa and Mohanja-Daro sites of Indus Valley civilization. He found a bronze statue of a lady. What did he name her?

A. Yakshini
B. The nautch girl
C. The dancing girl
D. Lady with bangles

(Yesterday’s answer: B. Bearded man’s bust was found in Mohanja-Daro)

प्रवीण झा
© Praveen Jha 

स्कूली इतिहास (17)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2021/07/17.html
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