Tuesday 13 July 2021

प्रवीण झा - स्कूली इतिहास (3)


           ( ओंगेआदिवासी अंडमान)

कई बड़े परिवार के लोग एक बड़े घर में रहते हैं। तीन पुश्तें एक साथ रहती हैं। उनके पड़ोस में उनके दादा के भाइयों का परिवार रहता है। इस तरह पूरे गाँव में एक बड़ा परिवार रहता है, जिनके पूर्वज कभी एक ही रहे होंगे। 

कई स्थानों पर पूर्वजों का पता ख़ास उपनाम से लगता है। जैसे दुनिया भर के माउंटबेटन उपनाम के व्यक्ति आपस में जुड़े हैं। अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और नागपुर के एंग्लो-इंडियन बाइडेन परिवार के पूर्वज एक हैं। भारत में माना जाता है कि एक गोत्र और मूल के लोगों के पूर्वज एक हैं। लेकिन, इस बात को पक्का करना हो, तो कौन सी तरकीब लगानी होगी?

हम सबका एक डीएनए है, जो हमारा हस्ताक्षर है। वह यूनीक है, किसी से नहीं मिलता। सगे भाई-बहन के डीएनए में कम से कम एक लाख अंतर होते हैं। एक परिवार के दो व्यक्तियों में दो-तीन लाख अंतर मिल सकते हैं। हमारे माता-पिता से भी हमारा डीएनए अलग होता है। 

यूँ समझ लें कि माता और पिता ने ताश के पत्तों की दो गड्डियाँ सामने रखी, और मिला कर शफ़ल कर दी। अब जो पुत्र रूप में ताश की गड्डी मिली, उसमें पत्ते तो उनके ही हैं, मगर उन्हें भी नहीं मालूम कि कौन सा पत्ता कहाँ लगा है। फिर कैसे पता किया जाए कि पूर्वज कौन?

दरअसल हर माँ गुप्त रूप से एक जोकर का पत्ता छोड़ जाती है। वह शफ़ल नहीं होता। इसे ‘माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए’ (mtDNA) कहते हैं। यह पत्ता हमारी माँ, नानी, परनानी, और हमारे सभी मातृ-पूर्वजों से बिना अदल-बदल कर चलता आ रहा है। अगर हमारा वह डीएनए किसी युगांडा के व्यक्ति से हू-ब-हू मिल जाए, तो इसका अर्थ है कि हज़ार वर्ष पहले हम दोनों की मातृ-पूर्वज एक थी। हम एक ही परिवार से हैं। लेकिन, इस पत्ते से दादा-परदादा का पता नहीं लग सकता। उसके लिए दूसरी तरकीब है। 

पिता भी एक सीक्रेट जोकर का पत्ता छोड़ते है। वह Y क्रोमोसोम डीएनए कहलाता है। वह एक पुरुष से दूसरे पुरुष तक बिना अदल-बदल कर जाता है। अगर उसका मिलान कर लिया जाए, तो यह पता लग जाएगा कि किन दो पुरुषों के पितृ-पूर्वज एक हैं।

लेकिन, इससे क्या हासिल हुआ? अगर दुनिया के सभी मनुष्यों के पास ऐसे जोकर के पत्ते हैं और ये कभी बदले नहीं गए, तो सबके पूर्वज एक ही हो जाएँगे। बाइबल के आदम-हव्वा की तरह। 

कोई यह भी कह सकता है कि एक नहीं, सौ अलग-अलग आदि पूर्वज होंगे। उन सबने अपने-अपने ब्रांड के जोकर पत्ते आगे पास किए होंगे। यानी सौ आदम और सौ हव्वा।

लेकिन, क्या यह नहीं हो सकता कि एक ही पत्ता हज़ारों वर्ष घिसने के बजाय, कोई इस मध्य पत्ते बदल देता हो? डीएनए में एक जरा सा निशान लगाने से आने वाली कई पुश्तें ही बदल जाती हो? यही होता है, और यह ‘म्यूटेशन’ कहलाता है। इस तरह कई समूह और शाखाएँ तैयार होती है। एक पुराने बरगद के पेड़ की तरह। 

जब वैज्ञानिकों ने यह मिलान किया तो वह चौंक गए। अफ़्रीका से बाहर पूरी दुनिया में एक ही L3 समूह के मातृ डीएनए मिले, और एक ही CT समूह के पितृ डीएनए मिले। यानी अफ़्रीका से बाहर के लगभग हर व्यक्ति के आदि-पिता और आदि-माता एक ही थे? 
( क्रमशः )

#groundzero #basics #historyforchildren

A boy Vikram wishes to trace his ancestors. Which of these ancestors could not be found out either by mtDNA or by Y chromosome analogy described above?

A. Maternal grandmother (Nani) 
B. Paternal grandmother (Dadi)
C. Paternal grandfather (Dada)
D. Paternal great-grandfather (Father) 

[Yesterday’s Answer - D. Tigris and Euphratus riverine area is termed Fertile Crescent or cradle of civilization]

प्रवीण झा
© Praveen Jha 

स्कूली इतिहास (2)
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2021/07/2_11.html
#vss 

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