अनुच्छेद 370, मामले में संविधान पीठ की सुनवाई के बारहवें दिन, एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर (J&K) के, राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए एक समय-सीमा या रोडमैप प्रस्तुत करने के लिए कहा। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसके कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत की पीठ, 2019 में जम्मू-कश्मीर को एक राज्य से केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) में बदल देने के मुद्दे पर, सक्रिय रूप से विचार कर रही है। यह महत्वपूर्ण सुनवाई, अनुच्छेद 370 के तहत, जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिये जाने के खिलाफ दायर अनेक याचिकाओं के संबंध में हो रही है।
केंद्र सरकार (यूनियन ऑफ इंडिया) का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने 2019 में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पेश करते समय संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए एक बयान का उल्लेख किया कि, 'उचित समय में जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा।' जब एसजी ने कहा कि यूटी (केंद्र शासित प्रदेश) का दर्जा स्थायी नहीं है, तो मुख्य न्यायाधीश ने समय सीमा के बारे में पूछताछ की और पूछा, "यह (जम्मू कश्मीर का यूटी स्टेटस) कितना अस्थायी है? आप चुनाव कब कराने जा रहे हैं?"
सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दिया कि, "वह इस मामले पर निर्देश मांगेंगे, यह दोहराते हुए कि, राज्य का दर्जा बहाल करने की प्रक्रिया, पहले से ही प्रगति पर है।"
दलीलों के दौरान, सीजेआई ने इस बात पर भी विचार किया कि, "क्या राष्ट्रीय सुरक्षा के, मुद्दे पर, संघ (केंद्र सरकार) के लिए किसी राज्य को अस्थायी अवधि के लिए, केंद्रशासित प्रदेश में बदलना संभव है?"
हालाँकि, सीजेआई ने इस बात पर भी जोर दिया कि, *ऐसे परिदृश्य में, सरकार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक बयान देना होगा कि, एक यूटी (केंद्र शासित प्रदेश) को एक राज्य में वापस लाया जायेगा।"
सीजेआई ने कहा, "यह (कोई भी राज्य या जम्मू कश्मीर) स्थायी रूप से यूटी (केंद्र शासित प्रदेश) नहीं हो सकता।"
सॉलिसिटर जनरल ने फिर से आश्वस्त किया कि, "सरकार का रुख इस दृष्टिकोण के अनुरूप है, जैसा कि संसदीय बयान में दर्शाया गया है।" मुख्य न्यायाधीश ने, राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं की प्रासंगिकता को स्वीकार तो किया लेकिन, राज्य में लोकतंत्र बहाल करने के महत्व पर भी, प्रकाश डाला। सीजेआई ने टिप्पणी की, "हम समझते हैं कि यह सब, राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले हैं... राष्ट्र का संरक्षण, सर्वोपरि चिंता का विषय है। लेकिन आपको बिना किसी बंदिश में बांधे, आप (सॉलिसिटर जनरल) और एजी (अटॉर्नी जनरल) उच्चतम स्तर (सरकार के) पर निर्देश मांग सकते हैं कि, क्या कोई समय सीमा (सरकार द्वारा) ध्यान में रखी गई है? "
एसजी ने जवाब दिया, "मैं निर्देश लूंगा। और मैं (इस बारे में) बयान और (किए गए) प्रयास भी दिखाऊंगा..."
मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर जोर दिया कि हालांकि राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखा गया है, लेकिन राज्य में समान रूप से, लोकतंत्र की बहाली भी महत्वपूर्ण है।''
दोपहर बाद जब सुनवाई फिर से शुरू हुई, तो सॉलिसिटर जनरल ने निर्देश लेने के बाद पीठ को सूचित किया कि, "जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा, जबकि लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में बरकरार रखा जाएगा।"
एसजी ने कहा, "निर्देश (सरकार का) यह है कि यूटी (केंद्र शासित प्रदेश) कोई स्थायी विकल्प नहीं है। लेकिन मैं परसों एक सकारात्मक बयान दूंगा। लद्दाख यूटी (केंद्र शासित प्रदेश) ही रहेगा।" एसजी ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि, "पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था को छोड़कर, अन्य सभी शक्तियां जम्मू-कश्मीर राज्य के पास हैं।"
सुनवाई के ग्यारहवें दिन, न्यायालय ने केंद्र से पूछा था कि, "क्या जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश में बदलना संघवाद के सिद्धांत के अनुरूप है, जैसा कि, तब किया गया था जब राज्य राष्ट्रपति शासन के अधीन था और इसकी विधानसभा भंग कर दी गई थी।"
तब सॉलिसिटर जनरल ने कहा था, "यह (राज्य) पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था (लॉ एंड ऑर्डर) के मुड्डों को छोड़कर, सभी उद्देश्यों के लिए प्रभावी रूप से एक राज्य ही है।"
० क्या राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदला जा सकता है?
आज सुनवाई के दौरान संविधान के अनुच्छेद 3 के अनुसार किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदलने की संसद की शक्तियों के बारे में जीवंत चर्चा हुई। यह तर्क देने के लिए कि जम्मू और कश्मीर के संबंध में अलग-अलग नीतिगत विचार लागू होंगे, एसजी ने एक सीमावर्ती राज्य के रूप में इसकी प्रकृति को रेखांकित किया। इस बिंदु पर, न्यायमूर्ति कौल ने उन्हे टोका कि, "कई अन्य सीमावर्ती राज्य भी हैं।"
जवाब में, एसजी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि, "आतंकवाद और घुसपैठ के इतिहास को देखते हुए जम्मू-कश्मीर का एक अलग संदर्भ है।"
इस समय, सीजेआई ने पूछा कि, "यदि केंद्र के पास एक राज्य को केंद्रशासित प्रदेश के रूप में परिवर्तित करने की शक्ति है, तो यह कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है कि अन्य राज्यों के संबंध में ऐसी शक्ति का दुरुपयोग नहीं किया जाएगा, जैसा कि कुछ याचिकाकर्ताओं ने आशंका जताई है?"
सीजेआई ने पूछा, "एक बार जब आप प्रत्येक भारतीय राज्य के संबंध में संघ को वह शक्ति सौंप देते हैं, तो आप यह कैसे सुनिश्चित करते हैं कि जिस तरह के दुरुपयोग की उन्हें आशंका है- इस शक्ति का दुरुपयोग (आगे) नहीं किया जाएगा।"
एसजी ने जवाब दिया कि, "जम्मू-कश्मीर (राज्य में) "एक (अलग) तरह की स्थिति" थी जो अन्य राज्यों के संबंध में उत्पन्न नहीं होगी।"
इसके जवाब में जस्टिस कौल ने कहा, ''यह अपनी तरह की अनोखी स्थिति नहीं है. हमने उत्तरी सीमा पंजाब को बहुत कठिन समय में देखा है. इसी तरह, उत्तर पूर्व के कुछ राज्य भी ऐसी स्थिति से गुजर चुके हैं। कल अगर ऐसी स्थिति बन जाए कि, इनमें से प्रत्येक राज्य को इस समस्या का सामना करना पड़े ...मैं आपका तर्क समझ गया कि ये सीमावर्ती राज्य उनकी अपनी श्रेणी हैं। आप जम्मू-कश्मीर को किसी अन्य सीमावर्ती राज्य से कैसे अलग करते हैं?"
एसजी ने जम्मू-कश्मीर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को दोहराया, जिसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से इसकी निकटता भी शामिल है। उन्होंने पीठ को यह भी बताया कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद स्थानीय निकाय चुनाव सफलतापूर्वक हुए।
सीजेआई ने पूछा, "क्या संसद के पास मौजूदा भारतीय राज्य को केंद्रशासित प्रदेश में बदलने की शक्ति है? अगर उसके पास वह शक्ति है, तो हम अनुच्छेद 3 को कैसे पढ़ेंगे?"
न्यायमूर्ति कौल ने पूछा, "उस शक्ति के प्रयोग की प्रकृति क्या है? क्या यह स्थायी है, अस्थायी है, यह क्या है?"
सुनवाई अभी जारी है।
विजय शंकर सिंह
Vijay Shanker Singh
'सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 के संबंध में सुनवाई (11) / विजय शंकर सिंह '.
http://vssraghuvanshi.blogspot.com/2023/08/370-11.html
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