Monday, 28 August 2023

अपना पक्ष रखने के लिए अदालत में उपस्थित होने वाले लेक्चरर को जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा निलंबित किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी / विजय शंकर सिंह

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारत के अटॉर्नी जनरल से जम्मू-कश्मीर शिक्षा विभाग के उस लेक्चरर को निलंबित करने के फैसले पर गौर करने को कहा, जिसने पिछले हफ्ते संविधान पीठ के समक्ष अनुच्छेद 370 मामले में बहस की थी।

आज (28/08/23) सुबह जैसे ही भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ, अदालत में सुनवाई शुरू करने के लिए एकत्र हुई, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने, उक्त लेक्चरर, जहूर अहमद भट के निलंबन का उल्लेख किया।  एडवोकेट सिब्बल ने कहा कि, जहूर अहमद भट ने, इस मामले में पेश होने के लिए दो दिन की छुट्टी ली थी और जब वह वापस गए तो उन्हें निलंबित कर दिया गया।  सिब्बल ने कहा, "यह अनुचित है, मुझे यकीन है कि एजी इस पर गौर करेंगे।"

सीजेआई ने एजी आर वेंकटरमणी से कहा, "मिस्टर एजी, कृपया इसे देखें।"

इस मौके पर भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, "मैंने अखबारों में पढ़ने के बाद जांच की है। अखबारों में जो बताया गया है वह पूरा सच नहीं हो सकता है।"  
इसके बाद सिब्बल ने तुरंत अदालत को बताया कि "25 अगस्त को पारित निलंबन आदेश,  मामले में, सुप्रीम कोर्ट में, उनकी उपस्थिति का संदर्भ देता है।"

एसजी ने कहा, "वह विभिन्न अदालतों में पेश होते हैं और अन्य मुद्दे भी हैं। हम इसे अदालत के समक्ष रख सकते हैं।"
सिब्बल ने कहा, "तो फिर उन्हें पहले ही निलंबित कर दिया जाना चाहिए था, अब क्यों? यह उचित नहीं है। लोकतंत्र को इस तरह से काम नहीं करना चाहिए।"

इस मौके पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से पूछा कि "क्या हुआ है। जो कोई भी इस अदालत के समक्ष पेश हुआ है, उसे निलंबित कर दिया गया है..."।
एसजी तुषार मेहता ने कहा, "हम इस पर गौर करेंगे।"
सीजेआई ने एजी से कहा, "लेफ्टिनेंट जनरल से बात करें और देखें कि क्या हुआ है। अगर इसके अलावा कुछ है, तो यह अलग है। लेकिन इस मामले में उनके अदालत में अपीयर होने के बाद ऐसा क्यों हुआ?"  
एजी न इस मुद्दे पर गौर करने के लिए हामी भरी।

कपिल सिब्बल ने कहा, "24 तारीख को वह पेश हुए और अगले दिन उन्हें निलंबित कर दिया गया। निलंबन आदेश में इसका संदर्भ है। मुझे यकीन है कि अटॉर्नी जनरल इस पर ध्यान देंगे।"

एसजी ने कहा, "हर किसी को अदालत के सामने पेश होने का अधिकार है। यह प्रतिशोध के तौर पर नहीं किया जा सकता।"
"मिस्टर सॉलिसिटर, आदेश और दलीलों के बीच निकटता है, इसे भी देखें!", न्यायमूर्ति गवई ने, एसजी से कहा।
एसजी ने कहा, "निलंबन का यह समय उचित नहीं है। मैं सहमत हूं।"  
न्यायमूर्ति कौल ने तब कहा कि यदि निलंबन पत्र में उनकी उपस्थिति का संदर्भ है, तो "यह एक समस्या होगी।"

विचाराधीन याचिका में, लेक्चरर, जफूर अहमद भट, 24 अगस्त को अदालत में, पार्टी-इन-पर्सन के रूप में उपस्थित हुए थे, और जिस तरह से अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया था, उस पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने अपने छात्रों को भारतीय संविधान और लोकतंत्र के सिद्धांतों को सिखाने की कोशिश करते समय आने वाली कठिनाई पर जोर दिया था और कहा था, "यह मेरे जैसे शिक्षकों के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है जब हम जम्मू-कश्मीर में अपने छात्रों को इस खूबसूरत संविधान के सिद्धांतों और लोकतंत्र के आदर्शों को पढ़ाते हैं। छात्र अक्सर एक कठिन सवाल पूछते हैं - क्या अगस्त 2019 की घटनाओं के बाद भी हम एक लोकतंत्र हैं ? इस प्रश्न का उत्तर देना मेरे लिए बेहद जटिल और चुनौतीपूर्ण हो जाता है।"

विजय शंकर सिंह 
Vijay Shanker Singh 

No comments:

Post a Comment