अब एक नजर डॉ. एस सोमनाथ की पृष्ठभूमि पर डालते हैं। एस सोमनाथ, अंतरिक्ष विभाग के सचिव और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष हैं और उन्होंने, टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, कोल्लम से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक और भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री पूरी की है। उन्होंने स्वर्ण पदक के साथ संरचना, गतिशीलता और नियंत्रण के क्षेत्र में विशेषज्ञता भी हासिल की है। टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग की नींव 1956 में रखी गई थी और इसका उद्घाटन 3 जुलाई 1958 को हुआ था। यह केरल का पहला सरकारी सहायता प्राप्त इंजीनियरिंग कॉलेज है। यह सूचना इंडियन एक्सप्रेस अखबार से ली गई है। अब मुझे यह पता नहीं कि, बीटेक एमटेक के पाठ्यक्रम में, वेदों से कोई विषय रहा है या नहीं।
आज का युग, सबकुछ तुरंत मान लेने का युग नहीं है। और वेदों, उपनिषदों का काल खंड भी तो, सबकुछ, तुरत फुरत और यथाकथा मान लेने का युग नहीं रहा है। हर ज्ञान पर सवाल उठता रहा है, शास्त्रार्थ होते रहे हैं और सत्य की तह तक जाने की जद्दोजहद होती रही है। सब कुछ वेदों में है, यह धारणा, वेदों पर भी सवाल उठाती है और एक सामान्य जिज्ञासा उभर आती है कि, सब कुछ वेदों में कहां है। वेद अब पिघले सीसे के दौर के नहीं रहे और न ही दुरूह और अपाठ्य हैं। दुनियाभर की भाषाओं में इनके अनुवाद उपलब्ध हैं और इनका अध्ययन हो भी रहा है। फिर वेदों में विज्ञान है, पर कोई शोध, क्या किसी शीर्ष वैज्ञानिक संस्था जैसे आईआईटी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस ने किया है?
मोटे तौर पर हमें यह जानकारी है कि, वेद में कविताएं हैं, साहित्य हैं, देव स्तुतियां है, दाशराज्य युद्ध के वर्णन है, इंद्र की प्रशंसा है, संगीत है, जादू टोना जैसा भी कहीं कहीं कुछ है। अंतरिक्ष के प्रति जिज्ञासा है, चांद तारों को लेकर भी कहीं न कहीं कुछ लिखा है, पर यह सब उत्कंठा है, जिज्ञासा है, कोई समाधान नहीं है। उपनिषदों में, दर्शन है और पुराणों में इतिहास, लेकिन ऐसा इतिहास जो, अयस्क रूप में है, जिसका शोधन कर के, इतिहास निकलना पड़ता है।
चरक और सुश्रुत संहिता जैसी आयुर्वेद के ग्रंथ हैं, साथ ही, आर्यभट्ट, वराहमिहिर आदि के खगोल अध्ययन के कुछ सूत्र, स्थापनाएं और धारणाएं हैं। पर आधुनिक विज्ञान का स्रोत वेद है, इसे स्पष्ट रूप से, वेद के पंडितो को, संसार के सामने लाना होगा। जब कोई भी व्यक्ति केवल सामान्यीकरण करते हुए कह देता है कि, वेदों से ही विज्ञान निकला है तो, यह धारणा, उतनी उत्कंठा नही जगाती है, जितनी कि, सोमनाथ जैसे एक मान्यताप्राप्त वैज्ञानिक के कहने पर, मस्तिष्क में अनेक सवाल उठ खड़े होते हैं।
विजय शंकर सिंह
Vijay Shanker Singh
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