Saturday, 3 June 2023

मुकदमा बलात्कार के आरोप का, और अदालत की चिंता है, पीड़िता मांगलिक है या नहीं ! / विजय शंकर सिंह

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अजीब आदेश पारित किया है। एक पुरुष ने एक स्त्री से, विवाह के वादे पर यौन संबंध बनाए और फिर वह उस स्त्री से विवाह के वादे से मुकर गया। मुकरने का आधार, उक्त व्यक्ति ने यह बताया कि, "स्त्री, चूंकि मांगलिक है, इसलिए यह शादी नहीं हो सकती है।" हाईकोर्ट के जज साहब ने, इस विंदु पर लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग से यह राय मांगी कि, "वे उक्त महिला की कुंडली देख कर बताएं कि, वह मांगलिक है या नहीं।" 

अजीब फैसला है। फरियाद, शादी का झांसा देकर, यौन संबंध बनाने के बारे में है, और अदालत, इस बात की जांच करा रही है कि, लड़की मांगलिक है या नही। यदि लड़की मांगलिक है और इस आधार पर, वह पुरुष, उक्त महिला से विवाह नहीं करता है, तो, इससे, धोखा देकर यौन संबंध बनाने का अपराध क्या, अपराध नहीं रह जायेगा। अजीब दृष्टिकोण है, मांगलिक दोष के कारण,  विवाह तो नहीं हो सकता, पर इसी झांसे में, यौन संबंध बनाए जा सकते हैं! कमाल की न्यायिक सोच है।

सुप्रीम कोर्ट ने, आज शनिवार को ही, एक विशेष पीठ आयोजित कर, इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पारित इस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रमुख को यह निर्धारित करने का निर्देश दिया गया था कि "कथित बलात्कार पीड़िता उसकी कुंडली की जांच करके मंगली/मांगलिक है या नहीं।" 
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की अवकाश पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश का स्वत: संज्ञान लेते हुए यह आदेश पारित किया।

हाई कोर्ट के जस्टिस बृज राज सिंह की खंडपीठ ने शादी का झूठा वादा करके कथित बलात्कार के एक मामले में आरोपी द्वारा दायर जमानत अर्जी पर यह आदेश पारित किया।  आरोपी ने बचाव किया था कि महिला के साथ शादी नहीं की जा सकती क्योंकि वह 'मांगलिक' है।

शुरुआत में, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या उन्होंने आदेश देखा है। इस पर, सॉलिसिटर जनरल ने कहा, 
 "मैंने आदेश देखा है और यह बहुत परेशान करने वाला है। इस पर रोक लगाई जा सकती है।" 

शिकायतकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि आदेश पक्षों की सहमति से पारित किया गया था और न्यायालय के पास विशेषज्ञ साक्ष्य मांगने की शक्ति है।  उन्होंने कहा कि ज्योतिष विश्वविद्यालय में पढ़ाया जाने वाला विषय है।

इस पर जस्टिस धूलिया ने कहा कि, 
"लेकिन यह पूरी तरह से संदर्भ से बाहर है। निजता का अधिकार को बाधित करता है .."  जज ने आगे कहा, "हम तथ्यों को जोड़ना नहीं चाहते हैं कि ज्योतिष का इससे क्या लेना-देना है। हम उस पर आपकी भावनाओं का सम्मान करते हैं। हम केवल इससे जुड़े विषय को लेकर चिंतित हैं।"

सॉलिसिटर जनरल ने कहा, "ज्योतिष एक विज्ञान है। हम उस पर नहीं हैं। हम कह रहे हैं कि एक न्यायिक मंच द्वारा एक आवेदन पर विचार करते हुए, क्या यह एक प्रश्न हो सकता है।"
इस पर जस्टिस मित्तल ने कहा, "हम समझ नहीं पाते हैं कि ज्योतिष के पहलू पर विचार क्यों किया गया ...", 

हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट जमानत अर्जी पर गुण-दोष के आधार पर विचार कर सकता है।

किस्सा इस प्रकार है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष, एक पीड़िता ने तर्क दिया कि "आरोपी ने उससे शादी करने का झूठा वादा करके उसके साथ यौन संबंध बनाए और उसका उससे शादी करने का कभी इरादा नहीं था।" 
इसके विपरीत, अभियुक्त ने अपना पक्ष प्रस्तुत किया कि, "अभियुक्त और पीड़िता के बीच, इस लिए विवाह संपन्न नहीं हो सका क्योंकि पीड़िता एक 'मांगलिक' है।" 
इस आरोप का खंडन करते हुए पीड़िता के वकील ने कहा कि वह 'मंगल दोष' से पीड़ित नहीं है।

पक्षकारों के परस्पर विरोधी दावों को देखते हुए न्यायालय ने लखनऊ विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष (ज्योतिष विभाग) को निर्देश दिया कि वह लड़की मंगली है या नहीं, इस मामले में निर्णय करें।  कोर्ट ने पक्षकारों को दस दिनों के भीतर अपनी कुंडली एचओडी के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

विजय शंकर सिंह 
Vijay Shanker Singh 

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