Tuesday, 27 June 2023

नेताजी सुभाष के सहयोगी - इमदाद साबरी / विजय शंकर सिंह

स्वाधीनता आंदोलन के एक मजबूत सेनानी, मौलाना इमदाद साबरी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सबसे निकट अनुयायियों और साथियों में से एक थे। जब तक नेताजी कांग्रेस में रहे, तब तक वे भी कांग्रेस में बने रहे और साथ ही वे कांग्रेस में महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे।

कांग्रेस के, सन 1938 के  हरिपुरा अधिवेशन में, इमदाद साबरी साहब,  नेताजी के प्रति वफादार रहे और जब सुभाष बाबू ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक नाम से एक नई पार्टी का गठन किया तो, साबरी  साहब, फॉरवर्ड ब्लॉक में शामिल हो गये। जब नेताजी सुभाष  कलकत्ता में अपने घर में नजरबंद थे तो, कई बार साबरी ने, नेताजी तक, महत्वपूर्ण सूचनाएं पहुंचाते थे।

राष्ट्रीय और स्वाधीनता आंदोलन में इमदाद साबरी की गतिविधियों पर, ब्रिटिश हुकूमत की नजर थी और अंग्रेजों ने उन्हें, कई बार जेल में भी रखा। अगस्त 1945 में, इमदाद साबरी को, दिल्ली स्थित अपने घर पर, आजाद हिन्द फौज के अधिकारियों और जासूसों  को आश्रय देने और, मेजबानी के लिए,  गिरफ्तार किया गया था।  उन पर दिल्ली में आज़ाद हिन्द फौज को रसद तथा अन्य सहायता प्रदान करने का आरोप भी लगाया  गया था।

दिल्ली जेल में उनकी मुलाकात, आजाद हिन्द फौज एएचएफ के पांच सैनिकों, कनौल सिंह, सुजीत राय, सरदार करतार सिंह, भागवत गौतम उपाध्याय और राम दुलारे, से हुई,  जिन्हें अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी।  साबरी ने, आईएनए के इन पांच सैनिकों के लिए जनता का समर्थन जुटाया और सजा पर अमल नहीं होने दिया। 1947 में भारत के आजाद होने के बाद इन सभी को रिहा कर दिया गया।

इमदाद साबरी ने नेताजी और आजाद हिन्द फौज के खिलाफ, ब्रिटिश दुष्प्रचार  की पोल खोलने के लिए तारीख-ए-आजाद हिंद फौज, मुकद्दमा आजाद हिंद फौज, आजाद हिंद फौज का एल्बम, सुभाष बाबू की तकरीरे, सुभाष बाबू जापान किस तरह गए आदि जैसी कई किताबें लिखीं।  पेशे से पत्रकार रहे, इमदाद, ने नेताजी के नेतृत्व में मुक्ति संग्राम को लोकप्रिय बनाने में अपनी सारी ऊर्जा समर्पित कर दी थी।

1988 में अपनी आखिरी सांस तक उन्होंने कभी भी, नेताजी की मृत्यु से जुड़ी, 'विमान दुर्घटना सिद्धांत' पर विश्वास नहीं किया।  

विजय शंकर सिंह 
Vijay Shanker Singh 

No comments:

Post a Comment