आर्मी वेटरन्स ने सेना के राजनीतिक इस्तेमाल और मोदी जी की सेना कहने पर राष्ट्रपति जो सशस्त्र सेनाओं के सुप्रीम कमांडर भी होते हैं को इस विषय पर अपनी आपत्ति जताते हुये एक सामुहिक पत्र जो अंग्रेजी दैनिक द टेलिग्राफ में छपा है, में लिखा है कि,
"We refer, Sir, to the unusual and completely unacceptable practice of political leaders taking credit for military operations like cross-border strikes, and even going so far to claim the Armed Forces to be ‘Modi ji ki sena’."
( हम आप को याद दिला दें महोदय, कि एक असामान्य और पूरी तरह से अस्वीकार्य स्थिति राजनीतिक दलों के नेताओ में आ रही है कि वे सैन्य गतिविधियों और सीमापार सैन्य गतिविधियों का श्रेय वे स्वयं ले रहे हैं और भारतीय सेना को मोदी जी की सेना कह कर के सम्बोधित कर रहे हैं। )
देश के आठ पूर्व सैन्य प्रमुखों ने राष्ट्रपति (तीनों सेनाओं का सुप्रीम कमांडर) को चिट्ठी लिखकर सेना के राजनीतिक इस्तेमाल को रोकने का आग्रह किया है। पूर्व सैन्य प्रमुखों ने कहा है कि राष्ट्रपति सुप्रीम कमांडर की हैसियत से, सभी राजनीतिक दलों को किसी भी मिलिट्री एक्शन या ऑपरेशन का राजनीतिकरण नहीं करने के लिए सरकार को निर्देश दें। पूर्व सेनाध्यक्षों की यह अपील गुरुवार को पहले चरण के मतदान के घंटों बाद सार्वजनिक हो गई।
राष्ट्रपति को पत्र लिखने वालों में जनरल एसएफ रॉड्रिग्ज, जनरल शंकर रॉय चौधरी, जनरल दीपक कपूर, एडमिरल लक्ष्मीनारायण रामदास, एडमिरल विष्णु भागवत, एडमिरल अरुण प्रकाश, एडमिरल सुरेश मेहता और चीफ मार्शल एनसी सूरी जैसे मिलिट्री वेटरन शामिल हैं। इन पूर्व सैन्य प्रमुखों ने एक स्वर में राष्ट्रपति से देश की सेना के सेक्युलर मूल्यों को सुरक्षित रखने का आग्रह किया है।
हालांकि, पत्र में किसी भी खास राजनीतिक दल या नेता का नाम नहीं लिया गया है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कई जगहों पर सेना की कार्वाइयों का राजनीतिक इस्तेमाल होता पाया गया। इस पर चुनाव आयोग को दखल देना पड़ा और सेना से जुड़े पोस्टरों तथा बैनरों के इस्तेमाल पर रोक लगानी पड़ी।
राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में सेना के अधिकारियों ने कहा है,
“सेना की छवि ग़ैर राजनीतिक और सेक्यूलर रही है, इसी वजह से सेना को लेकर जनता के बीच विश्वसनीयता कायम है. आपको पता है कि सेना के जवानों को राजनीति से जुड़े किसी भी मुद्दे पर अपनी राय रखने की छूट नहीं होती. लेकिन, कई अधिकारियों ने हमें बताया है कि मौजूदा परिस्थितियों में सेना के राजनीतिक इस्तेमाल से उनके भीतर नाराज़गी है. "
" सीमापार कार्रवाई का श्रेय राजनेता ले रहे हैं, जो पूरी तरह से अनुपयुक्त और अस्वीकार्य है. इसके साथ ही सेना को “मोदी जी की सेना” की संज्ञा दी जा रही है. इसके साथ ही राजनीतिक दलों के नेता सेना के पोशाक पहनकर चुनावी कैंपेन कर रहे हैं. सैनिकों खासकर विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान की तस्वीरों का इस्तेमाल वोट के लिए किया जा रहा है। "
" हमें इस बात की भी खुशी है कि सैनिकों से जुड़े बयानबाजी करने वाले लोगों के ख़िलाफ़ नोटिस जारी की गई. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ भी नोटिस जारी की गई. हालांकि हमें इस बात का दु:ख है कि नोटिस जारी होने के बाद भी इस तरह की बयानबाजी नहीं थम रही. चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रहा है, हमें डर है कि सैनिकों का राजनीतिक इस्तेमाल करने के मामले में बढ़ोतरी होगी."
" हमें विश्वास है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि संवैधानिक नियमों के तहत स्थापित सैनिकों के इस तरह से राजनीतिक इस्तेमाल से सेना के मनोबल पर आघात पहुंचेगा. इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को नुक़सान हो सकता है. इसलिए हम आपसे यह अपील करते हैं कि सेना के ग़ैर राजनीतिक और सेक्यूलय छवि को बरकरार रखने की प्रतिबद्धता सुनिश्चित करें. इसलिए हम आपसे आग्रह करते हैं कि सेना, सेना के पोशाक या चिह्न और सेना से जुड़े किसी भी काम को राजनीतिक रंग देने वाले नेताओं के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाए.”
चुनाव आयोग ने सख़्त निर्देश दिया है कि कोई भी राजनीतिक पार्टी अपने चुनावी कार्यक्रमों में सेना का इस्तेमाल वोट मांगने के लिए ना करे. इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेताओं ने अपनी सभाओं में सेना के नाम पर वोट मांगा है।
मंगलवार (9 अप्रैल) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं से बालाकोट एयर-स्ट्राइक और पुलावामा के शहीदों को समर्पित करने का आह्वान किया था। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने चुनावी भाषण में सुरक्षाबलों को ‘मोदी जी की सेना’ कहकर संबोधित किया था। भारतीय सेना दुनियाभर की सेनाओं में अपने अराजनीतिक चरित्र और पेशेवराना स्वभाव के लिये जानी जाती है। आर्मी वेटरन्स की यह चिंता और राष्ट्रपति को उनका यह सम्बोधन जायज और समयानुकूल है।
© विजय शंकर सिंह
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