राहुल गांधी की कनपटी पर एक गोल घेरा दिखाते हुयी एक फोटो लगभग सभी न्यूज़ पोर्टल पर छपी है। इसे ज़ूम कर के देखें, यह एक लेजर लाइट की टारगेट को ढूंढती हुयी रोशनी लगती है। असल मे यह है क्या अभी कन्फर्म नहीं है। कहा जा रहा है यह लेजर फिटेड स्नाइपर गन की लाइट है ।
लेजर फिटेड स्नाइपर गन एक अपेक्षाकृत नया हथियार है। लेजर एक तीव्र विद्युतीय तरंग होती है जो बेहद तेजी से अपने लक्ष्य को भेद सकती है। यह तकनीक चिकित्सा के काम मे भी आती है और इससे हिंसा भी की जा सकती है। बड़े बड़े विस्फोट भी किये जा सकते हैं। यह तीव्र विद्युतीय तरंग से निकलती है।
चीन ने एक ऐसी लेजर गन विकसित की है जो एक किलोमीटर दूर से अपने लक्ष्य पर पलक झपकते ही मार कर सकती है। इस प्रकार का गन और भी देश बना रहे हैं। लेकिन सामान्यतः यह गन बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं है।
राहुल गांधी की कनपटी के पास घिरता रोशनी का घेरा लेजर गन के कारण है या कैमरे का फोकस है या यह कोई और उपकरण या शस्त्र है यह मैं फ़ोटो देख कर नहीं बता पाऊंगा। शस्त्र एक्सपर्ट ही इस विषय मे कुछ बता सकते हैं। पर अगर यह घेरा लेजर गन का है तो बेहद चिंता की बाद है। लेकिन जो भी हो यह घेरा असामान्य सा दिख रहा है और इसे वीवीआइपी सुरक्षा के संदर्भ में बेहद गंभीरता से लेना चाहिये।
चुनाव के दौरान पब्लिक एक्सपोजर बहुत अधिक होता है। अधिकतर राजनीतिक हत्याएं जनता के बीच जब वीवीआइपी होते हैं तभी होती हैं। ऐसी हत्याओं की योजना पब्लिक एक्सपोजर के समय को ध्यान में ही रख कर बनायी जाती हैं। महात्मा गांधी, राजीव गांधी की हत्याएं जनता के कार्यक्रम के दौरान हुयी थीं। गांधी जी 30 जनवरी 1948 को दिल्ली में अपनी नियमित प्रार्थना सभा मे और राजीव गांधी 21 मई 1991 को श्रीपेरंबुदूर में एक जनसभा के दौरान मारे गए थे। राजीव गांधी पर कोलंबो में भी एक परेड के निरीक्षण के समय एक सैनिक ने रायफल की बट से उन पर हमला करने का प्रयास किया था। राजीव गांधी पर एक बार 2 अक्टूबर को राजघाट स्थित गांधी समाधि पर जाते समय पेंड से छुप कर पिस्तौल से फायर किया गया था। पर इस धटना में निशाना चूक गया था और कोई भी नुकसान किसी का भी नहीं हुआ था।
लेकिन इंदिरा गांधी की हत्या उनके घर मे हुयी थीं। उनकी हत्या उनकी सुरक्षा में ही लगे जवानों ने की थी। इसी घटना के बाद एसपीजी ( स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप ) का गठन एसपीजी अधिनियम 1988, जो संसद में 1988 में पारित हुआ था, के अंतर्गत किया गया था। यह एलीट सुरक्षा ग्रुप केवल प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिये ही गठित किया गया था। 1989 में जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री पद से हट गए तो यह सुविधा स्वतः एसपीजी एक्ट के अनुसार ही वापस हो गयी। इसलिए जब 21 मई 1991 को राजीव गांधी की हत्या हुयी थी तो तत्कालीन सरकार पर यह भी आरोप लगा था कि राजीव की सुरक्षा में एसपीजी हटा कर सरकार ने गलती की । पर जब यह एक्ट बना था तब एसपीजी प्रोटेक्टी के रूप में केवल वर्तमान प्रधानमंत्री ही आते थे। 1991 में जब नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने तब एसपीजी एक्ट में संशोधन कर के पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार को भी शामिल किया गया। इसी नियम के अंतर्गत सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को एसपीजी सुरक्षा घेरा मिलता है।
दुनिया भर में जितनी भी राजनीतिक हत्याएं हुयी हैं उनमे भी अधिकतर पब्लिक एक्सपोजर के समय हुयी हैं। यही वह अवसर होता है जब वीवीआइपी सुगमता के साथ हत्यारो के लिये उपलब्ध हो जाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति जॉनएफ केनेडी की हत्या सड़क पर एक खुली कार में एक बहु मंज़िली इमारत से गोली मार कर की गयी थी। फ्रांस के राष्ट्रपति द गॉल की हत्या की कोशिश भी एक सार्वजनिक समारोह में की गयी थी पर वह बच गए थे। इस पर एक बेहद रोचक फ़िल्म द डे ऑफ जैकाल भी बनी है और इसी नाम से फ्रेडरिक फोरसिथ का लिखा उपन्यास भी उपलब्ध है। मिश्र के राष्ट्रपति अनवर सादात की हत्या काहिरा में परेड की सलामी लेते हुए 6 अक्टूबर 1981 को की गयी थी। अब्राहम लिंकन की हत्या भी 15 अप्रैल 1865 में वाशिंगटन में एक थियेटर में मध्यांतर में गोली मार कर कर दी गयी थी।
राहुल गांधी एक एसपीजी प्रोटेक्टी हैं। और एसपीजी उनके साथ बराबर बनी रहती है। एसपीजी देश की सबसे कुशल और संसाधन सम्पन्न वीवीआइपी सुरक्षा पुलिस है जो केवल प्रधानमंत्री चाहे वे पूर्व हों या वर्तमान को और उनके परिवार को जीवन पर्यंत उपलब्ध होती है। वीपी सिंह ने यह सुरक्षा बाद में स्वेच्छा से लौटा दी थी।
जहां भी एसपीजी प्रोटेक्टी जाते हैं वहां से अग्रिम सम्पर्क कर के वीवीआइपी को निरापद बचा लाने की सारी कोशिशें होती हैं। पर चुनाव में दौरान, कार्यक्रम की अधिकता, भीड़, जनता से रूबरू होने की ललक और फोर्स की कमी के कारण कुछ प्रशासनिक दिक्कतें होती हैं। वीवीआइपी के काफिले में कौन कौन रहेगा, जहां से काफिला गुजरेगा वहां क्या क्या एहतियात बरता जाएगा यह सब एसपीजी और जिला पुलिस मिल कर तय करती है। इसका एक रूल बुक है। उसे यहां सर्वजनिक करना उचित नहीं है।
राहुल गांधी की सुरक्षा को लेकर कांग्रेस पार्टी ने केंद्रीय गृह मंत्री को लेजर फिटेड स्नाइपर गन से आसन्न खतरे की आशंका पर एक पत्र लिखा है। निश्चित ही सरकार इस पर कुछ न कुछ कार्यवाही कर रही होगी। सुरक्षा घेरा तोड़ कर जनता से मिलने की आदत भी अक्सर हर लोकप्रिय वीवीआइपी की होती है। कभी कभी यह कृत्य भी एक संकट काल को निमंत्रण देना होता है। वीवीआइपी ड्यूटी में लगा बल केवल वीवीआइपी की ही सुरक्षा के लिये ही जिम्मेदार होता है। अगर अन्य कोई घटना या दुर्घटना किसी भी अन्य कारण से घट जाती है तो एसपीजी की पहली और अंतिम प्राथमिकता, कर्तव्य और दायित्व ही यह होता है कि वीवीआइपी को निरापद वहां से हटा लें।
प्रमुख विपक्षी दल के प्रमुख होने के कारण राहुल गांधी के साथ ऐसे हादसे हो सकते हैं। भारत मे राजनैतिक हत्याओं का इतिहास रहा है। सरकार को लेजर फिटेड स्नाइपर गन के बारे में अगर यह खबर सच है तो गंभीरता से विचार करना होगा। इसे हल्केपन से नहीं लिया जाना चाहिये और सरकार हल्केपन से लेगी भी नहीं।
देश ने दो प्रधानमंत्री और गांधी जी को हत्या में मरते देखा है। खबर है अमेठी में छह सात बार लेजर स्नाइपर गन से निशाना साधने की कोशिश अज्ञात लोगों ने की है। सरकार ने इस लाइट को मोबाइल की लाइट की संभावना से देखा है। यह पहली लापरवाही नहीं है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के समय राहुल गांधी के हेलीकॉप्टर से भी एक दुर्घटना बाल बाल बची थी। ऐसी लापरवाही को मजाक में नहीं लिया जाना चाहिये।
© विजय शंकर सिंह
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