Friday 19 April 2019

मंच के चारों ओर खाईं - यह भी पहली बार ही है मित्रों / विजय शंकर सिंह

महाराष्ट्र में नरेंद्र मोदी किसानों की एक जनसभा को संबोधित करने जा रहे हैं। लेकिन कोई किसान मंच तक न पहुंच पाये उसके लिये मंच के आगे तीनों तरफ छः फुट का गड्ढा खोदा गया है। इसे पानी से भर दिया जाएगा। जहां सूखे से महाराष्ट्र तबाह है, सबसे अधिक आत्महत्याएं जहां हो रही हों, पीने का पानी भी मुश्किल से उपलब्ध है, वहां 6 फुट की खाईं खोद कर उसे पानी से भरना एक शातिर अय्याशी है। 

यह मीटिंग पिम्पलगांव बसवन्त में जो नाशिक के पास है हो रही है। वहां किसान बहुत उत्तेजित हैं। वहीं से मुम्बई तक किसानों ने एक लंबा मार्च भी आयोजित किया था। वह प्याज़ का क्षेत्र भी कहा जाता है। किसान आंदोलन के कारण यह क्षेत्र अक्सर कानून व्यवस्था की समस्या के लिये भी जाना जाता है। किसानों के संभावित उपद्रव से बचने के लिये यह उपाय किया गया है। हालांकि इसकी आलोचना भी हो रही है।

आप ने अक्सर मंच के आगे अंग्रेज़ी के D आकार का एक गैप मंच और जनता के बीच मे देखा होगा। यह D सुरक्षा कारणों से बनाया जाता है ताकि अगर कोई जबर्दस्ती मंच की ओर बढ़े तो उसे वही पकड़ लिया जाय। इस D में केवल मान्यता प्राप्त प्रेस फोटोग्राफर ही जा सकते हैं। यह एक सामान्य सुरक्षा ड्रिल है। इधर जब से पादुका अस्त्र का रिवाज बढ़ गया है इस D का क्षेत्र बढ़ा दिया गया है।

लेकिन मंच के आगे छह फुट की खायीं खोद कर उसे पानी से भरने की बात पहली बार हो रही है। यह इसलिए कि कोई किसान या किसानों का समूह इसे पार कर के मंच पर चढ़ न जाय। यह उसी प्रकार है जैसे पहले किलों के चारों तरफ खायीं खोदी जाती थी और उसमें पानी भर के मगरमच्छ छोड़ दिया जाता था, ताकि दुश्मन किले की दीवार के पास न आ सके।

इतना भय क्यों है किसानों से ? उन्हें सरकार ने तो बहुत कुछ दिया है फिर वे असंतुष्ट क्यों हैं। 2022 में तो किसानों की आय दूनी होने ही जा रही है। 2000 /- की किश्त भी दे ही दी गयी है । फिर डर किस बात का सरकार ?

A moat to keep protesting farmers away in Nashik? - https://mumbaimirror.indiatimes.com/loksabha-elections/news/a-moat-to-keep-protesting-farmers-away-in-nashik/articleshow/68961629.cms

© विजय शंकर सिंह

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