Tuesday, 9 October 2018

सरकार चलाना सीखिए सरकार ! / विजय शंकर सिंह

* सरकार को पता है कि,
रॉबर्टवाड्रा करोड़ों रुपये के भूमि घोटाले में लिप्त है । सरकार के पास सुबूत भी है। पर आज तक कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की गयी । क्यों ?

* सरकार को पता है कि
रॉबर्ट वाड्रा का फ्लैट लंदन में हैं जिसे रक्षा सौदों के दलाल संजय भंडारी ने दिया था। सरकार ने फ्लैट भी देख लिया है। पर सरकार ने वाड्रा से पूछताछ करने की भी जहमत नहीं उठायी। क्यो ?

* सरकार को पता है कि,
राफेल सौदा यूपीए में इसलिये नहीं हुआ कि कांग्रेस रॉबर्ट वाड्रा के मित्र को सौदे की दलाली दिलाना चाहती थी। पर यह बात बनी नहीं। इस पर भी न तो सरकार ने संसद में कुछ कहा और न ही कोई जांच बैठायी। क्यों ?

* सरकार को यह पता है कि
सोनिया गांधी विश्व की चौथी अमीर महिला हैं। पर आज तक सरकार ने उनकी आय से अधिक संपत्ति की जांच नहीं की । क्यों ?

* सरकार को पता है कि,
राफेलसौदा का विवाद राहुल पाकिस्तान के इशारे पर उठा रहे हैं, औऱ विधि मंत्री रविशंकरप्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस पर ज़ोर देकर कहा कि यह उनका आरोप चार्ज है। पर इस गम्भीर आरोप पर भी सरकार ने कोई कार्यवाही नहीं की । क्यों ?

* सरकार को पता है कि,
पाक आईएसआई के पूर्व प्रमुख के साथ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी मिल कर सरकार के तख्तापलट की साज़िश रच रहे हैं। पर सरकार ने इस अतिगम्भीर आरोप पर भी कोई कार्यवाही नहीं की। क्यों ?

* सरकार को पता है कि,
कश्मीर के एक मुफ़्ती ने खुल कर देश के एक और विभाजन की मांग की और अखबारों में भी छपा, पर सरकार ने इस पर कोई भी कार्यवाही आज तक नहीं की। क्यो ?

* जेएनयू में भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे 9 फरवरी 2016 को लगे थे और कई दिनों तक देश और हिंदुत्व खतरे में रहा पर आज तक न तो नारे लगाने वाले लोगों के खिलाफ अदालत में चार्ज शीट तक दायर नहीं हो पाई । क्यो ?

* सरकार को पता है कि,
गुजरात के पलायन के पीछे अल्पेश ठाकोर का हाँथ है पर आज तक अल्पेश के खिलाफ कार्यवाही नहीं की है । क्यों ?.

* सत्तर सालों में यह भी पहलीं बार हो रहा है कि सरकार की नाकामी के लिए विपक्ष से ही कहा जा रहा है कि वह कार्यवाही करे।

* सुनने में अजीब लग रहा है न। सरकार को सारे राज पता हैं। सरकार के पास सारे सुबूत हैं। सम्बित पात्रा लहरा कर उन्हें दिखाते हैं। पर अठारह अठारह घन्टे के काम के बाद भी समझ मे नहीं आता क्या किया जाय इनपर।

* पर सरकार इन मुद्दों और आरोपो पर कोई कार्यवाही नहीं करती है। क्यों ?
डरती है या फिर सरकार बस हवाबाजी के लिये झूठे आरोप लगाती रहती है ?
या सरकार को कार्यवाही करना ही नहीं आता है ?
या सरकार अकर्मण्य और किंकर्तव्यविमूढ़ है ?

सच तो यह है कि सरकार और सरकारी दल केवल आरोप लगा कर अपने आईटी सेल के द्वारा झूठ और फरेब का एक मायाजाल रचते हैं। नितिन गडकरी खुद कह चुके हैं कि अनाप शनाप वादे करना, मिथ्या आरोपों के अंबार खड़ा कर देना, और उसी बवंडर में जनता को उलझाए रखना इनकी खूबी है। लेकिन यह हवाबाजी देर तक नहीं टिकती है। भावुकता का उन्माद एक असामान्य स्थिति होती है वह सदैव रह ही नहीं सकती है। जनता जब असल जीवन से जुड़ों मुद्दों पर सवाल पूछती और कैफियत तलब करती है तो सरकार या तो पिछली सरकारों की कमियां गिनाने लगती हैं या 2022 के नए वादे करने लगती है।

सरकार बनाना और चुनाव जीतना तो आसान है पर दृढ़ता और सक्षमता से सरकार चलाना बिल्कुल भी आसान नहीं, बल्कि कठिन है। दुर्भावना और दुष्प्रचार से सरकार तो बनायी जा सकती है पर सरकार, सरकार की तरह चलायी नहीं जा सकती है सरकार !
यह शासन न करने की कला है !!

© विजय शंकर सिंह

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