Wednesday 20 January 2021

शब्दवेध (82) -1 भारत और यूनान -1

हम यहाँ यूनान शब्द का प्रयोग  ग्रीक  के अर्थ में कर रहे हैं न कि आयोनिया के लिए जो एशिया (वर्तमान तुर्की) में था, जहाँ की स्थानीय बोली ने, वहाँ प्रभुत्व जमाए वैदिक भाषियों के संपर्क में पहले ग्रीक बोली का रूप लिया था। उसी के नाम का अर्थ-विस्तार भारत में ग्रीस (यूनान) और  ग्रीक (यूनानी/ यवन) के लिए हुआ। फिर यवन का प्रयोग पश्चिम के दूसरे लोगों के लिए (विधर्मी) के आशय में भी प्रचलित हुआ।  

यूनानियों की जो बात मुझे आकर्षित करती है, वह है, उनकी अक्खड़ता।  एक ओर वे भारोपीय भाषा, संस्कृति को आत्मसात कर रहे थे, तो  दूसरी ओर  उनके सामने झुकने को तैयार न थे। इसे प्रथमतः चरवाही करने वाले और खेती से परिचय के बाद स्थायी जीवन अपनाने वाले गूजरों, जाटों, यादवों, आभीरों के दबंग स्वभाव से समझा जा सकता  है।  यही दबंगई मध्येशिया की चरवाही जमातों में देखने में आता है।  आन के लिए वे आपसी विरोध भूल कर एक साथ हो जाते थे। इसका नमूना स्पार्टा और त्राय का टकराव है। हुआ यह कि स्पार्टा के राजा, (जो ईलियड के नायक आगमेनन का भाई था)  की पत्नी का,  जिसे हेलेन नाम से जाना जाता है, त्राय के मनचले राजा पारी (इसके लिए प्रियम् नाम भी प्रचलित है) अपहरण कर लिया।  वह अनन्य सुंदरी  थी।

हेलेन  का हमारे लिए अर्थ है, ग्रीक युवती।   ग्रीक नाम रोमनों ने दिया था, वे  स्वयं अपने को हेल्ला कहते थे, और इसलिए हेलेन उसका नाम नहीं विशेषण है।  यह अपहरण लगता है हित्तियों और यूनानियों के बीच इज्जत का सवाल बन गया और इसके बाद यूनानियों के सारे कबीले एकजुट हो कर बदले के लिए लंबी लड़ाई मोल लेते हैं: 
an expedition to reclaim Helen, wife of Menelaus, king of Sparta, and brother of Agamemnon….Helen was abducted by the Trojan prince Paris (also known as Alexandros)
A conflict between Mycenaeans and Hittites might have occurred.

फिर भी जब किले को तोड़ नहीं पाते हैं तो लकड़ी के नकली घोड़े में छिप कर कैसे किले के भीतर पहुँचते हैं, इस कथा से हम परिचित हैं। जिन दो बातों से कम लोग परिचित होंगे उनमें से एक यह कि ईलियड को रचनाकार का नाम होमेरस (सोमरस) था, जिसे रोमनों ने होमर बना दिया। दूसरी इस युद्ध के बाद चार सौ साल के लिए ग्रीस अंधकार युग में चला जाता है। युद्ध में जीतने वाले भी बर्वाद होते हैं यह यथार्थ कई युद्धों की एकमात्र शिक्षा है।
The period between the catastrophic end of the Mycenaean civilization and about 900 BCE is often called a Dark Age. It was a time about which Greeks of the Classical age had confused and actually false notions.(Encyclopedia Britanica.)
During the Dark Ages of Greece the old major settlements were abandoned (with the notable exception of Athens), and the population dropped dramatically in numbers. Within these three hundred years, the people of Greece lived in small groups that moved constantly in accordance with their new pastoral lifestyle and livestock needs, while they left no written record behind leading to the conclusion that they were illiterate. Later in the Dark Ages (between 950 and 750 BCE), Greeks relearned how to write once again, but this time instead of using the Linear B script used by the Mycenaeans, they adopted the alphabet used by the Phoenicians “innovating in a fundamental way by introducing vowels as letters. The Greek version of the alphabet eventually formed the base of the alphabet used for English today.” 
(Martin, 43)  (History of Greece: The Dark Ages,  Ancient-Greece.Org.)

मेरी यूनानी इतिहास की जानकारी कम है पर यह समस्या मुझे परेशान करती रही है कि आखिर जिस एशिया (पश्चिम एशिया में रुतबे के साथ बसे भारतीय ही उनके एशिया थे क्योंकि आगे की जड़ों का उन्हें पता न था, पर  तब से आज तक जब यूरोप को एशिया और भारत का अंतर पूरी तरह मालूम है, व्याज रूप में भारतीयों को एशियाई  कह कर जुगुप्सा व्यक्त की जाती रही है और हम इसके  निहितार्थ को समझने में शिथिलता से काम लेते रहे हैं।  

जो भी हो हमारे पास इसका कोई समाधान नहीं है परंतु इसे एक प्रश्न के रूप में अपनी चेतना में अवश्य रखा जाना चाहिए कि ग्रीक काल से आरंभ भारत-विह्वलता और भारतद्वेष की निरंतरता - तुम्हीं से मोहब्बत तुम्हीं से लड़ाई/ यह इतिहास है या तुम्हारी खुदाई/ जहाँ तुम की तुम हो न मेरी रसाई/ अरे मार डाला दुहाई दुहाई।

हम  एक ऐसे युग में जी रहे हैं जिसमें उपलब्ध सुविधाओं के कारण हमारी पैसिविटी बढ़ृूूी है जिसमें गूगल जैसी प्रचार और पहुँच क्षमता वाले संगठनों के द्वारा यूरोपीय श्रेष्ठता का एक नया अध्याय आरंभ हो चुका है जो नाजियों द्वारा अपने को शुद्ध-रक्त-आर्य सिद्ध करने के लिए तैयार किए गए इतिहास से अधिक खतरनाक है।  मैं अपनी याददाश्त की कमी और पुस्तकालयों तक पहुँचने की क्षमता और कुछ आलस्यवश भी इंटरनेट सुविधाओं का यथासंभव लाभ उठाता रहता हूँ और जब इसकी जाँच करने के लिए कि ग्रीक उस क्षेत्र में उत्तर से कहां से आए थे तो उनसे अनेक स्रोतों से उपलब्ध सूचनाओं का स्पष्ट कथन था कि वे अनादि काल से वहीं है.

The Greeks called themselves Hellenes and their land was Hellas. The name ‘Greeks’ was given to the people of Greece later by the Romans. They lived in mainland Greece and the Greek islands, but also in colonies scattered around the Mediterranean Sea. There were Greeks in Italy, Sicily, Turkey, North Africa, and as far west as France
They sailed the sea to trade and find new lands. The Greeks took their ideas with them and they started a way of life that's similar to the one we have today.
People have been living in Greece for over 40,000 years. The earliest settlers mostly lived a simple hunter-gatherer or farming lifestyle.
The Minoans were the first great Greek civilisation. They didn't live on mainland Greece but on the nearby island of Crete, between 2200BC and 1450BC. They were known as the Minoans after their legendary king, Minos. (The early history of ancient Greece)

मैं तो इस बात की जाँच करना चाहता था कि यदि वे उत्तरी यूरोप से आए थे तो ग्रीस तक पहुँचने के रास्ते में मिस्र कैसे पड़ गया जो मेरी स्मृति में कहीं था। और लीजिए, इस बीच मेरी पूरी ज्ञान व्यवस्था ही बदल गई।  

और फिर आलस्य त्याग कर अपने नोट तलाशने आरंभ किए तो जो तथ्य सामने आया वह यह कि हमारे आलस्य और साधनहीनता का लाभ उठा कर सहज सुलभ सूचनाओं से हमें शिक्षित किया जा रहा है या रोबोट बनाया जा रहा है। 
यह पेचीदा समस्या है, इस पर कल।

भगवान सिंह
( Bhagwan Singh )


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